प्यारी सी पंछी खड़ी थी अपने घर के आंगन में, नीले नीले आसमान को देखते हुए, चारों तरफ़ हरियाली छाई हुई थी, मन मेरा खुशी से झुमने लगा था ! मैं देख रही थी सुंदर पंछियों को, तभी आकर मेरे सामने बैठा एक मीठा सा पंछी, मैं उसकी ओर देखती रही और वो मुझे भी, पल भर में लगा की उसने बहुत कुछ कह दिया! मैं अपने अकेलेपन को दूर करने चली थी, अब उस पंछी से मेरी दोस्ती हो गई, न सोचा था कभी ऐसा दोस्त मिलेगा, उस छोटे से नन्हे पंछी से मुझे तमाम खुशियाँ मिल गई ! |
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Tuesday, September 22, 2009
Posted by Urmi at 5:52 PM
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22 comments:
ये पक्षी शायद इन्सान से भी अच्छे दोस्त होते हैं बहुत अच्छी कविता है बधाई
"अब उस पंछी से मेरी दोस्ती हो गई,
न सोचा था कभी ऐसा दोस्त मिलेगा,
उस छोटे से नन्हे पंछी से
मुझे तमाम खुशियाँ मिल गई !"
पंछी को प्रतीक मान कर आपने बहुत सुन्दर रचना
प्रस्तुत की है।
बधाई!!
बहुत खुब बबली दीदी। आपने पक्षियों को लेकर जो अभिव्यक्ति प्रस्तुत की वह काबिले तारीफ है। बहुत-बहुत बधाई
sach ye panchi manv jeevan ko khoob khushi de jate hai .
bhut pyari kavita
Respected Babli ji, Pakshion ke saath baatcheet achhi lagi.Beautiful poem.
sundar
Beautiful...
you have that thing of expressing your feelings very well :)
Keep it up...
Keep penning them down :)
बब्ली जी ,
कमाल है---आप इतनी अच्छी कवितायें भी लिख रही थीं--और आपने इन्हें अभी तक छिपा के रखा था।
बहुत अच्छी लगी आपकी कवितायें।
नये ब्लाग की हार्दिक शुभकामनायें।
हेमन्त कुमार
Another Lovely post !! This Poem is beautiful !!Unseen Rajasthan
are vaah....maine to aapki kaviaatyen pahle kabhi nahin dekhi....aur aaj jab dekhin....to muhn se nikal padaa....are vaah...babli.....!!kamaal...!!
अरे वाह पहले तो मैंने आपकी कवितायें देखी ही ना थी....और आज जब देखी तो मुहं से निकल ही पडा....अरे वाह....ये तो कमाल की हैं ....बबली....!!
पंछी को माध्यम बनाकर सफलतापूर्वक आपने अपने मन की बात कही।
Bahut sundar.
नए chitthe par आपका हार्दिक स्वागत है. सतत लेखन के लिए शुभकामनाएं. जारी रहें.
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bahut sundar kavitaa likhee hai.
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Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
आपका लेखन बहुत उम्दा लगा। बोलने वालों से मूक दोस्त वफादार होते हैं। ब्लोग पर मिलते रहें तो हम भी दोस्त बनें रहेंगें।
उस छोटे से नन्हे पंछी को सलाम. दोस्ती को सलाम.
narayan narayan
बहुत ही सुन्दर रचना बबली जी । लिखती रहे ।
sach ye panchi manv jeevan ko khoob khushi de jate hai .
bhut pyari kavita
बहुत ही सुन्दर रचना बबली जी
जय हो, जय हो........
परिंदे इंसानों से भी कहीं ज्यादा बेहतर दोस्त होते हैं लेकिन कब उड़ जाएँ , भरोसा नहीं , इसलिए सोच समझकर दोस्ती कीजियेगा
सुंदर रचना |
जय हो........
सुंदर भाव अभिव्यक्ति ...
इंसान इन छोटे-छोटे अनुभवों में ही
वह आनंद पाता है जो दुनिया की कोई
दौलत नहीं दे सकती ।
हमारे साथ इन भावों को बाँटने के लिए धन्यवाद !
http://gunjanugunj.blogspot.com
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