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Tuesday, October 27, 2009





आंखें


सागर से भी गहरी है ये आंखें,
जो बिन बोले सब कुछ कह देती है,
जब लब पे बात आकर रूक जाती है,
तब मन की हर बात कह देती है ये आंखें !

कभी
खुशी झलकती है इन आँखों में,
कभी आंसू बनकर बरस पड़ती है,
कभी मासूमियत से भरी होती है,
पल पल रंग बदलती हैं ये आंखें !

कोई ढूंढें इन आँखों में दिल का करार,
तो कोई ढूंढें उनमें अपना प्यार,
दिखती है किसीको जन्नत इसमें,
तो किसीको नज़र आती है सिर्फ़ नफ़रत !

Wednesday, October 21, 2009



उलझन

ये ज़िन्दगी उलझनों से भरी है,
जो उलझती सुलझती और फिर उलझन बन जाती है,
ज़िन्दगी में कुछ करने का सपना देखा है,
पर वो हकीकत नहीं एक सपना बनकर ही टूट जाता है !


आखिर क्यूँ उलझने आती हैं?
क्यूँ सपने बिखर जाते हैं?
क्या सपने कभी हकीक़त नहीं हो सकते?
कोई उम्मीद की किरण क्यूँ नहीं दिखाई देती?

ज़िन्दगी तो एक जुआ जैसा खेल है,
हार और जीत दोनों ही इसमें शामिल है,
हम सपने क्यूँ देखते हैं?
सपने तो जैसे अँधेरी गुफाओं में खो जाते हैं !

उलझन में हम यूँ ही उलझते रहे,
सपने यूँ ही सजते रहे,
उलझन लिपटती रही साये की तरह,
हम तड़प उठे सूखे पत्तों की तरह !

Friday, October 16, 2009



शुभ दीपावली

अब खत्म हुआ इंतज़ार की घड़ी,
हर तरफ़ खुशियों की लहर चल पड़ी,
घर के द्वार पर खूबसूरती से सजी है रंगोली,
चमचम करती आई रे आई है देखो दिवाली !

मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना,
जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना,
सारे दुःख दर्द को भुला देना,
मन में उमंग और तरंग लिए दिवाली मनाना !

यहाँ वहां जहाँ भी नज़रें फेरो,
जगमगाते हुए दीप जलते देखो,
लड्डू बर्फी और तरह तरह की है मिठाइयां,
सबके चेहरे पे झलक रही है खुशियाँ !

फुलझरी की ताड़ताड़ संग किलकारियां,
हर तरफ़ है सिर्फ़ रोशनी ही रोशनियाँ,
झूमते नाचते गाते खिलखिलाते सभी,
आयो मिलकर हम मनाये दिवाली अभी !







Friday, October 9, 2009



आसां नहीं है राहें

आसां नहीं है राहें,
बुझ सी गई है निगाहें,
थककर हार जाऊँ मैं कैसे,
फिर से प्रशस्त करनी है अपनी बाहें !

प्रशस्त होती ज़िन्दगी पे,
काली घटा है छाई,
कालचक्र की मनोदशा को,
अब तक समझ न पाई !

आर्थिक मंदी की चपेट से,
डूबता हुआ सव मंजर,
सजी संवरी ज़िन्दगी में,
चुभाता कोई खंजर !

सपनें सजाये चली थी घर से,
किसीको आँचल में सर छुपाये,
वक्त की दरिया ने ऐसा डुबोया,
ज़िन्दगी भी गई और गई पनाहें !

Sunday, October 4, 2009



दोस्ती

इस दुनिया में दोस्त कम मिलेंगे,
जहाँ दुनिया नज़र फेर लेंगी,
उसी मोड़ पर तुम्हें हम मिलेंगे !

दोस्त वो जो बिन बुलाये आए,
कभी हंसाये और कभी रुलाये,
मगर हमेशा साथ निभाए !

तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की,
तुम्हारे जैसा सच्चा दोस्त जब मिल जाए,
तो हम भी खुशनसीब कहलायें !

दोस्त तू हमेशा मेरे दिल में रहना,
अगर कभी तेरी राहों में अँधेरा छाए,
तो रोशनी बनकर ये दोस्त छा जाए !