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Tuesday, November 24, 2009





अरमान

नीले नीले आसमान तले,
बैठी थी मैं अरमान लिए,
दूर कहीं जाना था मुझे,
पर बैठ गई मैं हाथ मले !

बदल गया मौसम का रंग,
रह गई रूप
मैं देख दंग,
मेरा मन पागल सा झूमा,
भँवरे ने कलियों को चूंमा !

अरमानों ने ली अंगड़ाई,
मुखड़े पर खुशियाँ है छाई,
चलते चलते रुक गए कदम,
बेदम दिल ने पाया है दम !

बह गई उसी पल एक हवा,
बन गया शीत सा गरम तवा,
क्या सोचा था और क्या पाया,
चलकर बसंत द्वारे आया !








Thursday, November 19, 2009



रिश्ता

तुम्हारी खुशी से ही नहीं,
गम से भी रिश्ता है हमारा,
ये जो तुम्हारी ज़िन्दगी है,
वो एक हिस्सा है हमारा !

प्यार का रिश्ता बहुत गहरा है हमारा,
सिर्फ़ लफ़्ज़ों का ही नहीं,
रूह का भी रिश्ता है हमारा,
तुम बिन अब जीना नहीं है गवारा !

बस एक गुज़ारिश है तुमसे मेरी,
एक शाम चुरा लूँ मैं तुम्हारी,
तुम चाहो तो भुला देना मुझे,
पर मैं न भुला पाऊँगी तुझे !

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
अगर तुम्हें मिले तो उठा लेना,
मेरे हिस्से की हर खुशी हाथों में सजा लेना !











Wednesday, November 11, 2009


माँ

माँ तुम अत्यन्त ममतामयी हो,
तुम्हीं कमला तुम्हीं वांग्मयी हो,

उर्जा से भरपूर संदील धूप हो,

तुम देवी की मूरत हो!
माँ पहले खाना मुझे खिलाती,
बाद में तुम ख़ुद खाना खाती,
मेरी खुशियों में खुश होती,
मेरे दुखों में आँसूं बहाती!
तुमने मुझे संस्कार सिखलाया ,
अच्छा बुरा मुझे बतलाया ,
मेरी गलतियों को सुधारा ,
हमेशा मुझपर प्यार बरसाया ।
तुम अमृत की गागर हो,
फूलों जैसी कोमल और नाज़ुक हो,
तुम बिन मेरा जीवन है अधूरा,
हाँ माँ तुम ही मेरे जीने की वजह हो !



Sunday, November 8, 2009



अकेलापन

वीरान है ये आंखें मेरी,
राह देख रही हूँ बस तेरी,
छाई है यहाँ सुनी रातें,
याद दिलाये तुम्हारी बातें !


बादलों ने ऐसे घेर लिया,
उसे लिपटकर आँखों को बंद किया,
आया कैसा ये सुहाना मौसम,
बहने लगा जैसे प्यार में आलम !

रिमझिम रिमझिम बरसे सावन,
भीगा तनमन मांगे साजन,
इन वादियों ने मेरा मन मोह लिया,
भी जा, अब भी जा मेरे पिया !



Sunday, November 1, 2009



यादें

ज़िन्दगी क्या है ?
एक खेल है,
सुख और दुःख का मेल है,
याद करती हूँ सुख भीने पलों को,
भुलाने को दुःख खिलाती हूँ,
ह्रदय कमल के सुप्त शत दलों को !

प्यार का आलम यहाँ हर जगह नहीं होता,
प्यार बेवजह होता है, बावजह नहीं होता,
यादों का मौसम हमेशा बरसता रहता है,
ये बदलती ऋतुओं की तरह नहीं होता !

फूलों को कितने जतन से रखते हैं ये खार,
फूल फ़िर भी बनते हैं गैरों के गले का हार,
खार लेकिन देवदास सा उदास नहीं होते,
अपने प्रिय की हर अदा से करते हैं प्यार !

हर सुर- ताल पे झूमने को मन चाहता है,
पर 'राधा-कृष्ण' सा महारास नहीं होता,
चाहते सभी हैं ज़िन्दगी में आनन्द लेना,
पर ऐसा मुकद्दर सभी के पास नहीं होता !