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Sunday, November 8, 2009



अकेलापन

वीरान है ये आंखें मेरी,
राह देख रही हूँ बस तेरी,
छाई है यहाँ सुनी रातें,
याद दिलाये तुम्हारी बातें !


बादलों ने ऐसे घेर लिया,
उसे लिपटकर आँखों को बंद किया,
आया कैसा ये सुहाना मौसम,
बहने लगा जैसे प्यार में आलम !

रिमझिम रिमझिम बरसे सावन,
भीगा तनमन मांगे साजन,
इन वादियों ने मेरा मन मोह लिया,
भी जा, अब भी जा मेरे पिया !



13 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर विरह गीत!
बहुत-बहुत बधाई!

Unknown said...

waah !
atyant sundar.........
abhinav rachnaa.......

bhavnaatmak spandan ka komal sparsh karaati soumy kavita ke liye badhai !

Unseen India Tours said...

Wah kitna acha varnan kiya hai apne !! Anand aa gaya !!

संजय भास्‍कर said...

AKELE PAN ME KISI NA KISI KI YAAD JAROOR AATI HAI

ज्योति सिंह said...

bahut hi sundar ,tanhai ke khyaal

विजयप्रकाश said...

भीगा तनमन मांगे साजन-यह पंक्ति मन छूती है.एक विरह पीड़ित की व्यथा और इच्छा दोनों का ही का बहुत सटीक वर्णन किया है आपने.

সুশান্ত কর said...

मेरा ब्लगमे मन्तब्य करनेके लिय़े धन्यबाद! मे आपके कबिताओकि ओनुरागी बन गय़ा हु। आप बहुत आच्चे लिखते है। मे एक पत्रिका चापा करता हु। मेरा ब्लगमे देखिय़ेगा, उसका लिंक है। इसमे हम हिन्दीमेभि चापता हु. असममे हमलॊग अच्चे हिन्दीमे अच्चा लेख नेहि पाता हु। अगर अप लिखेंगे तॊ हमे अच्चा लगेगा. मे हिन्दीमे लिखनेकॊ कौशिष किय़ा. भुल हॊनेसे माफ किजिय़ेगा।

कविता रावत said...

Virah bhav liye aapki rachana achhi lagi. Aap बहुत ही दिलचस्प और हँसमुख लड़की hain yah jaankar achha laga. Hamesha khush rahana.
Shubhkana

SACCHAI said...

बादलों ने ऐसे घेर लिया,
उसे लिपटकर आँखों को बंद किया,
आया कैसा ये सुहाना मौसम,
बहने लगा जैसे प्यार में आलम !


" bahut hi badhiya ."


----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Creative Manch said...

बादलों ने ऐसे घेर लिया,
उसे लिपटकर आँखों को बंद किया,
आया कैसा ये सुहाना मौसम,
बहने लगा जैसे प्यार में आलम !


मनमोहक
बहुत सुन्दर विरह गीत!

शुभकामनायें



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CSK said...

तनहा-तनहा न कटेंगी अब ये रातें ये दिन..
आ भी जा मिल ले एक बार तू मुझसे ओ सनम ....
तनहा-तनहा...

अपनी भावनाओं को ऐसे ही सहेज कर रखियेगा..
इन्हें फूल समझ चुनने वाले अभी और आयेंगे...

अलीम आज़मी said...

waah waah aapka to jawaab nahi ...bahut hi khoosurti se har lafz me kitni aitemaad se jaise aapne uski zindagi ke liye jaan daal di... bahut khoob urmi ji

CSK said...

रिमझिम रिमझिम झमझम सावन,
भींगे तेरा तन मोरा मन
इस सावन में भींग-भींग कर,
झूमे क्यूँ मेरा ये तन-मन.....?

झूम-झूम के तुझे पुकारे...
कहाँ छुपे हो मेरे रति-मन,
तेरे मिलन की शीत-प्यास से,
मैं आया हूँ शरद-ऋतू बन...!

मुझे तनिक सा संवार देना,
बिखरा-बिखरा सा है तन-मन...
तेरी ऊष्मा निखार देगी,
सोच यही हर्षित हैं अंजन..!

प्यासे सावन से भींगे मन,
मांगे तेरे चंचल अंजन..
तेरे मिलन की शीत-प्यास से,
मैं आया हूँ शरद-ऋतू बन...!