BLOGGER TEMPLATES AND TWITTER BACKGROUNDS

Thursday, November 19, 2009



रिश्ता

तुम्हारी खुशी से ही नहीं,
गम से भी रिश्ता है हमारा,
ये जो तुम्हारी ज़िन्दगी है,
वो एक हिस्सा है हमारा !

प्यार का रिश्ता बहुत गहरा है हमारा,
सिर्फ़ लफ़्ज़ों का ही नहीं,
रूह का भी रिश्ता है हमारा,
तुम बिन अब जीना नहीं है गवारा !

बस एक गुज़ारिश है तुमसे मेरी,
एक शाम चुरा लूँ मैं तुम्हारी,
तुम चाहो तो भुला देना मुझे,
पर मैं न भुला पाऊँगी तुझे !

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
अगर तुम्हें मिले तो उठा लेना,
मेरे हिस्से की हर खुशी हाथों में सजा लेना !











24 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया लिखा है!

बस एक गुज़ारिश है तुमसे मेरी,
एक शाम चुरा लूँ मैं तुम्हारी,
तुम चाहो तो भुला देना मुझे,
पर मैं न भुला पाऊँगी तुझे !

यह छंद तो बहुत ही खूबसूरत है।
बधाई!

Udan Tashtari said...

बहुत अच्छी रचना लगी. सुन्दर भाव!!

M VERMA said...

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
बेहतरीन भाव की नाजुक सी रचना
बहुत सुन्दर

मनोज कुमार said...

अद्भुत मुग्ध करने वाली, विस्मयकारी।

Unknown said...

bahut khoob babli ji !
gazab ka kaam

प्यार का रिश्ता बहुत गहरा है हमारा,
सिर्फ़ लफ़्ज़ों का ही नहीं,
रूह का भी रिश्ता है हमारा,
तुम बिन अब जीना नहीं है गवारा !

abhinandan is maasoom kavita ke liye !

Himanshu Pandey said...

सुन्दर रचना । आभार ।

श्यामल सुमन said...

कविता के हर शब्द में छुपा नया एहसास।
सुमन कामना रोज बढ़े आपस का विश्वास।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Dr. Amarjeet Kaunke said...

ati sundar

Dr.Aditya Kumar said...

love is other name of sacrifice.
excellent expression.

संजय भास्‍कर said...

तुम्हारी खुशी से ही नहीं,
गम से भी रिश्ता है हमारा,
ये जो तुम्हारी ज़िन्दगी है,
वो एक हिस्सा है हमारा !

प्यार का रिश्ता बहुत गहरा है हमारा,
aati sunder

निर्मला कपिला said...

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
अगर तुम्हें मिले तो उठा लेना,
मेरे हिस्से की हर खुशी हाथों में सजा लेना
बहुत सुन्दर बधाई इस रचना के लिये।

Arshia Ali said...

बहुत सुंदर चाह है। बधाई।
--------
क्या स्टारवार शुरू होने वाली है?
परी कथा जैसा रोमांचक इंटरनेट का सफर।

ज्योति सिंह said...

तुम्हारी खुशी से ही नहीं,
गम से भी रिश्ता है हमारा,
ये जो तुम्हारी ज़िन्दगी है,
वो एक हिस्सा है हमारा !
bahut sundar bhav hai man ke ,bahut pyari rachna

Anonymous said...

bahut khoob babli ji !

gazalkbahane said...

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
अगर तुम्हें मिले तो उठा लेना,

पीर से उपजी अनन्यतम अभिव्यक्ति,सुन्दर कल्पना

Rishu said...

bahot umda likhti hain aap....sabhi rachnaye achhi lagi.

keep sharing

मुकेश कुमार तिवारी said...

उर्मी जी,

इस बंदिश ने प्यार में समर्पण की अभिलाषा को पुर्नपरिभाषित किया, बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ :-

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

wah wah babli ji kya uttam likha hai...aise he likhti rahiye...
badhaayee...

cheers!
surender
http://shayarichawla.blogspot.com/

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
अगर तुम्हें मिले तो उठा लेना,
मेरे हिस्से की हर खुशी हाथों में सजा लेना !
Marmsparshee kavita kee khuubasoorat panktiyan......

Apanatva said...

bahut hee pyaree rachana lagee aapakee .

शरद कोकास said...

भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
अगर तुम्हें मिले तो उठा लेना,
यह पंक्तियाँ अच्छी लगीं

पूनम श्रीवास्तव said...

बहुत ही खूबसूरती से आपने रिश्तों को शब्दों में पिरोया है।सुन्दर रचना।
पूनम

Mithilesh dubey said...

बहुत अच्छी रचना लगी, बहुत बढ़िया लिखा है....

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.