नवनिर्माण जहाँ नैतिकता का पतन हो, मानवता का दफ़न हो, जहाँ नवयुवकों के सर पे कफ़न हो, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! जिसके बच्चे के सीने में जलन हो, मानव-मानव से त्रस्त हो, क़दम-क़दम पर धोखा, भ्रष्टाचार और रिशवत हो, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! नैतिकता का अब बोलबाला कहाँ, आदम-आदमखोर बनकर रहता है जहाँ, छातियाँ भी डरती है संगीनों से, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! जनता भी कम नहीं कमीनों से, होती है बलात्कार सामने, पूछते फिरते हैं, कल की घटना सुना है आपने, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! |
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Sunday, December 6, 2009
Posted by Urmi at 3:47 PM
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16 comments:
कविता तो बढ़िया है मगर
"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गाद्अपि गरीयसी"
को भी ध्यान रखों!
वाह बिटिया जी!
अब तो कविता बहुत अच्छी लग रही है!
सुन्दर व्यंग्य है!
बधाई हो!
सलाह मानने के लिए धन्यवाद!
यह बहुत अच्छी बात है कि अब आपकी कविता कास्वर बदल रहा है ..दर असल कविता का उद्देश्य ही होता है कोंचना , सामाजिक विकृतियों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना ।
जिसके बच्चे के सीने में जलन हो,
मानव-मानव से त्रस्त हो,
क़दम-क़दम पर धोखा, भ्रष्टाचार और रिशवत हो,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !
यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.........
खूबसूरत कविता.........
khoobsoorat abhivyakti hai ji...
सुन्दर रचना!
जिसके बच्चे के सीने में जलन हो,
मानव-मानव से त्रस्त हो,
क़दम-क़दम पर धोखा, भ्रष्टाचार और रिशवत हो,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ।
वास्तविक्ता पर व्यंग करती सुन्दर रचना ।
जिसके बच्चे के सीने में जलन हो,
मानव-मानव से त्रस्त हो,
क़दम-क़दम पर धोखा, भ्रष्टाचार और रिशवत हो,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !
" ye panktiyon ne dil jeet liya bahut hi sunder ."
" badhai "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
सुन्दर रचना!
LAJWAAB
कविता बहुत अच्छी लग रही है!
THANKS
BABLI JI
SUNDER KAVITA KE LIYE
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !
बहुत सुन्दर व्यंग बबली जी,अगर बुराई हमारे घर के अंदर है तो उसे हमे हीं साफ़ करना होगा, कोई बाहर से आने वाला नहीं और हम किसी के भरोसे भी नहीं रह सकते है । यह भारत भूमि सही मायने मे तब स्वर्ग कहालायेगी सभी लोग सुख शांति से रह सके ।
एक बार पुनः कहना चाहुँगा बहुत सुन्दर कविता ।
apanee kamiyo ke prati jagrati jarooree hai tabhee to aaj aawaz utha sakate hai .
wahwa.....
अरे वाह, आप तो व्यंग्य भी लिखती हैं!
bahut achchhi kavita likhi hai ,
जिसके बच्चे के सीने में जलन हो,
मानव-मानव से त्रस्त हो,
क़दम-क़दम पर धोखा, भ्रष्टाचार और रिशवत हो,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !
sach hai
behtreennnnnn
babli ji...
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