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Saturday, February 20, 2010




संघर्ष


ज़िन्दगी तुझसे रूठी मैं,
मुझे मनाने की कोशिश करना,
मृत्यु के आलिंगन में जाऊं तो,

मुझे बेवफ़ा कहना !

तुझसे ही प्रेम किया था कभी,
जीने की चाह भी थी तभी,
तेरे ही गीत गाती रही,
तेरे ही धुन पर नाचती रही !

समझी तो थी खुशी तुझे,
गम ही गम समझती रही,
सिर्फ़ ख़्वाब ही तो देखती रही,
कभी परछाई तक भी न देखी !

तुझसे ही शिकवा करती रही,
तेरे ही आस में जीती रही,
तुझे तो समझ ही गयी मैं,
तू मुझे समझ न सका !

अब तो संघर्ष चलता रहा,
आखिर तुझसे हार ही गयी,
शर्म से ढके चेहरे न दिखाऊं तुझे,
तो तुम माफ़ कर देना मुझे !











18 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अब तो संघर्ष चलता रहा,
आखिर तुझसे हार ही गयी,
शर्म से ढके चेहरे न दिखाऊं तुझे,
तो तुम माफ़ कर देना मुझे !



शिकायत वाजिब है!
यहाँ हर शख्श परेशान ही है यारों!

बहुत सुन्दर कविता है!
बधाई!

Apanatva said...

ऐ ज़िन्दगी तुझसे रूठी मैं,
मुझे मनाने की कोशिश न करना,
मृत्यु के आलिंगन में जाऊं तो,
मुझे बेवफ़ा न कहना !

acchee abhivykti.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

कभी-कभी सोंचता हूँ कि हम कैसा प्रेम करते हैं कि उतने ही दुखी हो जाते हैं जितना कि कभी खुश थे!..ऐसा क्यों होता है..!
..आपकी कविता पढ़कर यह भाव जगा.

मनोज कुमार said...

ऐ ज़िन्दगी तुझसे रूठी मैं,
मुझे मनाने की कोशिश न करना,
मृत्यु के आलिंगन में जाऊं तो,
मुझे बेवफ़ा न कहना !

जो लिख दिया सो लिख दिया
अब ऐसा मत लिखा करना!

संजय भास्‍कर said...

deri se ane ki mafi chahta hoon..

संजय भास्‍कर said...

हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Chandan Kumar Jha said...

जीवन एक संघर्ष है यह तो चलता हीं रहेगा ।

सुन्दर सदेश देती अच्छी रचना ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

रचना अच्छी है पर निराशावादी अभिव्यक्ति है....
संघर्ष जारी रहे.....

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bahut he badhiya ji...

sundar bhaav..

Mahfooz Ali said...

तुझसे ही प्रेम किया था कभी,
जीने की चाह भी थी तभी,
तेरे ही गीत गाती रही,
तेरे ही धुन पर नाचती रही !

बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ.... मन मोह लिया कविता ने....
--
www.lekhnee.blogspot.com


Regards...


Mahfooz..

पी.एस .भाकुनी said...

ऐ ज़िन्दगी तुझसे रूठी मैं,
मुझे मनाने की कोशिश न करना,
मृत्यु के आलिंगन में जाऊं तो,
मुझे बेवफ़ा न कहना !such ! bahut achchi kavita...a real poem....

रचना दीक्षित said...

सच ही कहा है और क्या खूब कहा है
ऐ ज़िन्दगी तुझसे रूठी मैं,
मुझे मनाने की कोशिश न करना,
मृत्यु के आलिंगन में जाऊं तो,
मुझे बेवफ़ा न कहना !

Nivedita Thadani said...

Hello Urmiji,
Lovely blogs you do have. Thank you much for adding me in your friends list. I am happy to know a person who is so creative and talented.
Even I have written only one poem and translated few English poems in to Kannada.
I will be inspired by you to do more.

Apanatva said...

Happy holi......

रचना दीक्षित said...

आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें

संजय भास्‍कर said...

रंग बिरंगे त्यौहार होली की रंगारंग शुभकामनाए

M VERMA said...

अब तो संघर्ष चलता रहा
और फिर संघर्ष ही तो जीवन है

Unknown said...

शर्म से ढके चेहरे न दिखाऊं तुझे,
तो तुम माफ़ कर देना मुझे !

Kitna gahra bhav hein in akhiri do panktiyon me .....

Lazbaab !!