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Monday, March 29, 2010




प्रार्थना


हाथ जोड़े करते हैं उनको नमन,
सूरज उगते ही स्पर्श करते हैं चरण,
हर मुसीबत और मुश्किल से हमें बचाना,
करते हैं हम इश्वर से यही प्रार्थना !

हर घड़ी करते हैं हम इश्वर को याद,
रहे सब कुशल मंगल करते हैं फ़रियाद,
बेचैन मन को मिलता है चैन और सुकून,
बिना बाधा के हर काम बन जाए सम्पूर्ण !

जो लक्ष्य किया है तय उसपर है चलना,
हर बाधा रुकावटों का करना है सामना,
ज़िन्दगी में कोई काम न रहे अधूरा,
मन से की गयी प्रार्थना से हो जाए पूरा !

Tuesday, March 23, 2010




एक बूँद

कभी छलके झरनों से,
कभी बरसे बादलों से,

कभी उछले लहरों से,
वो है एक बूँद !


कभी दिखे पत्तों पे,
कभी टपके दर्द से,
कभी बहे ख़ुशी से,
वो है एक बूँद !


कभी छलके मुस्कुराने से,
कभी बहे याद आने से,

कभी टपके बिछड़ने से,
वो है एक बूँद !


Saturday, March 20, 2010




गर्मी

गर्मी और तेज़ धूप में है बेहाल,
कैसे बयान करें कोई अपना हाल,
दिखते हैं कहीं पंछियाँ,
गूंजे संगीत दिखे तितलियाँ !

रंग बिरंगे फूलों से भरे पौधे,
गर्मी में सुखकर झड़ रहे हैं पत्ते,
मज़दूरी करके पेट पालते हैं गरीब,
बन चुका है अब यही उनका नसीब !

इंतज़ार रहता है सूरज के उगने का,
पर वही सूरज की किरण लेती है जान,
जलती गर्मी में दोपहर के वक़्त,
पानी के लिए तरसता है हर शक्स !





Saturday, March 13, 2010



मेरी प्यारी दादीमा

सबसे प्यारी सबसे मीठी,
मेरी प्यारी प्यारी दादी !


रोज शाम को मुझे पढ़ाती,
रात को मुझको लोड़ी सुनाती !

दोस्तों से जब लड़ाई होती,
दादीमा के गोद में आकर लेट जाती !

तरह तरह के मिठाई बनाती,
दादीमा मुझे अपने हाथ से खिलाती !

खेलने जाती पकड़कर दादीमा का हाथ,
कभी न छोड़ती उनका साथ !

पापा मम्मी से जब डांट पड़ती,
आकर दादीमा के गले लग जाती !

हमेशा मुझको प्यार करती,
दादीमा प्यार से हर बात समझाती !

मंदिर जैसे भगवान बिना,
बगैर दादीमा के घर है सुना !


Tuesday, March 9, 2010




तलाश

कोई मक्सद था कोई मंजिल,
जाने फिर क्यूँ पुकारता ये दिल !

निकल पड़े जब मंजिल पर हम,
भुलाके अपने सारे दुःख और गम !

चाह थी उड़ने की आज़ाद पंछियों की तरह,
सुकून भरा जीवन मिले जिस जगह !

खुला आसमां फैला ये जहां,
दिल ने चाहा उड़ती फिरूँ यहाँ वहाँ !

एहसास हुआ जैसे दिल है खाली,
लगा पंख फैलाये मैं उड़ने वाली !






Thursday, March 4, 2010




बदलता ज़माना

कैसा बदल गया है ज़माना,
धरम के नाम पर हो रहा है दंगा,
जनता को झूठा दिलासा देते हैं नेता,
सिर्फ़ लम्बी चौड़ी भाषण है सुनाता !

रिशवत, घुसखोरी और चोरी,
इसमें भरा है देश पूरी,
चारों ओर है लड़ाई और लूटमार,
भाईचारे के नाम पर हो रहा है वार !


जिस देश पर लाखों हुए कुर्बान,
नज़र आता है टूटे हुए मंदिर मकान,
मासूम लोग देते हैं बलिदान,
क्या यही है मेरा भारत महान !


आओ सब मिलकर वतन को बचायें,
गरीबी और लाचारी को मिटायें,
ले आये हर आंगन में खुशियाँ,
बदल दे इस नए ज़माने की रीतियाँ !