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Thursday, April 8, 2010




झूठे जग का झूठा नाता

घर के चारों ओर,
मचा था कितना शोर,
नन्ही चिड़िया मन की सच्ची,
दाना खाती लगती अच्छी !

मेहनत से घोंसला बनाया,
चुन कर तिनके उसे सजाया,
लेकिन टूट गया संसार,
बिखर गया उसका घर-बार !

कौन संवारे उसके घर को,
भटक रही है वो दर-दर को,
अण्डे देगी कहाँ बिचारी,
चिड़िया फिरती मारी-मारी !

क्या होगा उस मासूम चिड़िया का,
उसकी व्यथा कोई समझ न पाता,
सब अपने काम में उलझे रहता,
झूठे जग का झूठा नाता !







22 comments:

Anonymous said...

कौन संवारे उसके घर को,
भटक रही है वो दर-दर को,
अण्डे देगी कहाँ बिचारी,
चिड़िया फिरती मारी-मारी !
kya baat hai....dil mein utar gayi....
mere blog par is baar...
तुम मुझे मिलीं...
jaroor padhein...

Randhir Singh Suman said...

nice

संजय भास्‍कर said...

उसकी व्यथा कोई समझ न पाता,
सब अपने काम में उलझे रहता,
झूठे जग का झूठा नाता !

इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

कविता सुन्दर है ... सहज सरल भाषा में लिखी हुई है ...

विजयप्रकाश said...

वाह...इस कविता ने तो भावुक ही कर दिया.

Creative Manch said...

सहज सरल भाषा में लिखी सुन्दर कविता
बहुत-बहुत
बधाई और शुभकामनायें

मनोज कुमार said...

विचारोत्तेजक!

सम्वेदना के स्वर said...

बबली बहन, आपके विचार बड़े स्पष्ट हैं..और एक मासूमियत है आपकी कविता में..

arvind said...

कौन संवारे उसके घर को,
भटक रही है वो दर-दर को,
अण्डे देगी कहाँ बिचारी,
चिड़िया फिरती मारी-मारी !
...पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भावनाओं से ओत प्रोत अच्छी रचना..

मनोज कुमार said...

कविता की पंक्तियां बेहद सारगर्भित हैं।

Neeraj Kumar said...

बहुत ही सुन्दर और सटीक कविता है... सच है और सच्चाई से कही कही गयी है...चिड़िया के दर्द को कह कर आपने जाने कितनो के दर्द पे मलहम लगा दिया है...

Anonymous said...

खूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें.


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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

इस अच्छी और सच्ची प्रस्तुति के लिए बधाई!

Anonymous said...

aapki yeh rachna itni achhi hai...
main dobaara chala aaya.....

sandhyagupta said...

Sundar,saral aur prabhavi.shubbkamnayen.

Anonymous said...

mere blog par pehli baar english poem jaroor padhein....

Rohit Singh said...

ब्लॉग के चित्र पर लगी कविता ने ही दिल को चुरा लिया.....पर नीचे चिड़िया का दर्द....सही में घर का बसना फिर उजड़ना दर्द दे जाता है, पर छोटी चिड़िया हार नहीं मानती, हम इंसान हार मान जाते हैं.....आखिर क्यों?

ओम पुरोहित'कागद' said...

चिड़िया की व्यथा कथा को बखूबी उकेरा है आप ने।इन प्रतीकोँ के माध्यम से पाठक ठीक अपने पास से आरम्भ कर बहुत दूर तक की यात्रा कर सकता है।बधाई हो!

सम्वेदना के स्वर said...

क्या होगा प्यारी चिड़िया का,
कोई व्यथा समझ न पाता,
अपने काम में सब हैं उलझे,
झूठे जग का झूठा नाता!

Unknown said...

Wah !! Bahut Hi acha lagi ye najm ..