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Tuesday, April 13, 2010




अपने हुए पराये

पुत्र अकेला है विदेश में,
माता पिता स्वदेश में !

अब तक भेजा नहीं पता,
वह दूर देश में हुआ लापता !

कोई ख़त सन्देश,
सुहाते नहीं भजन उपदेश !


वह सात समंदर पार गया,
मम्मी पापा को भूल गया !

आँखों से आंसू झरते हैं,
गम हम दामन में भरते हैं !

उसकी याद सताती है,
हमें हरदम तड़पाती है !


दिन बीतता गया महीना बीता,
ख़बर के बिना अब कैसे जीता !


भूल गया वो पर भूला उसे कोई,
क्या एक पल भी याद तुझे आया कोई?

परदेस छोड़कर हो जा रवाना,
दौलत स्वदेस में खूब कमाना !

रिश्तों की एहमियत को समझ,
क्या यही शिक्षा मिली है तुझे नासमझ?


26 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत ही सही चित्रण किया है आपने आजकल के रिश्तों का!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

आजकल यही हो रहा है ! आपने सही फ़रमाया है ! सच तो यह है कि हमारे देश में साडी सुबिधायें उपलब्ध हैं, बस थोड़ी सी पैसे कि कमी हो सकती है !

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

बुज़ुर्गों के दर्द क सुन्दर बयान है आपकि कविता!वाह

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

sahi kaha aapne babli ji

Anonymous said...

bikul satya kaha aapne..
aalkal shayad yahi ho raha hai...
aaj kal mata-pita shayd kahin peeche chhotte ja rahe hain..
mamrmik kavita....
mere blog par is baar..
वो लम्हें जो शायद हमें याद न हों......
jaroor aayein...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज कल दौलत कमाने के चक्कर में रिश्तों को सच ही भूल बैठते हैं...

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

ओम पुरोहित'कागद' said...

बहुत अच्छा लिखा है बबली जी!भावविभोर हो जाता है पाठक इस संवेदना के आगे।

सम्वेदना के स्वर said...

उम्र होने को है पचास के पार
कौन है किस जगह पता रखना.
मर्मस्पर्शी रचना...

kshama said...

Babli, tumne to rula diya! Pardes me rahnewali apni bitiya bahut yaad aayi...

संजय भास्‍कर said...

हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.

विजय तिवारी " किसलय " said...

bahut sach likha hai aapne ....

लडकी घर से दूर है,
लड़का बसा विदेश .
ममता सिसके गाँव में.
बदला यूँ परिवेश ..

- विजय तिवारी "किसलय

अमिताभ श्रीवास्तव said...

are, yanhaa to aapne bahut hi prernaaspad rachnaa ki he..bahut khoob..is yathaarth ko aap jyada behatar tarike se anubhav karati he.., umda rachna

Neeraj Kumar said...

बहुत अच्छी बात कही है आपने और सच्चे मन से एक सन्देश भी दिया है... आजकल बहुत से बहानो को ढूढ़ लगभग सभी ऐसा ही कुछ करते है अलग-अलग तरीकों से और हम सभी इसको महसूस भी करते ही हैं...

सम्वेदना के स्वर said...

नई तस्वीर... अच्छा परिवर्तन है... हमने भी आज कलेवर बदला है ज़रा सा...

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत बढ़िया लिखा ..और हाँ आपकी नई प्रोफाइल फोटो बड़ी प्यारी लग रही है...


***************
'पाखी की दुनिया' में इस बार "मम्मी-पापा की लाडली"

arvind said...

आजकल यही हो रहा है !बहुत ही सही चित्रण .बहुत अच्छी प्रस्तुति।

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सही चित्रण किया है

Anonymous said...

mere blog par is baar..
नयी दुनिया
jaroor aayein....

Rohit Singh said...

भगवान किसी को अकेलापन न दे.... कुछ मां बाप को भी बच्चों का साथ देने की कोशिश करनी चाहिए . ठीक है पराया मुल्क होता है पर सोचिए बच्चा आपका ही है....

saloni said...

bahut hi umda aur bhavuk

mridula pradhan said...

very good.

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।

mridula pradhan said...

dil ko chunewali rachna.

nilesh mathur said...

दूरियां बढ़ने से रिश्तों में भी दूरियां आ जाती है, अच्छा प्रयास है लोगों को जगाने का

parveen kumar snehi said...

लडकी घर से दूर है,
लड़का बसा विदेश .
bahut achchhia pankti lagai.
man ko chhoo gai.
dhanyawad.

parveen snehi
www.parveensnehi.blogspot.com