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Sunday, April 18, 2010



सूरज

सूर्योदय और सूर्यास्त नियमित होता है,
सुख और दुःख में जीवन व्यतीत होता है !

सूरज के उगते ही दिन की शुरुआत होती है,
हर तरफ चहल पहल और मुस्कराहट होती है !


लोग नौकरी पर और बच्चे पढ़ने जाते हैं,
दिनभर सब काम में उलझे रहते हैं !

सूरज के ढलते ही पंछी घर लौट आते हैं,
संध्या का आगमन होने का एहसास दिलाते हैं !

राह देखते हैं सब सवेरा होने का,
कामना करते हैं अगले दिन मंगलमय होने का !






18 comments:

arvind said...

सूरज के ढलते ही पंछी घर लौट आते हैं,
संध्या का आगमन होने का एहसास दिलाते हैं !

vaah,suryoday ka khubsurat varnan.

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

सहज सरल भाषा में सुन्दर कविता !

amritwani.com said...

bahut khub




shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com/

विजयप्रकाश said...

आप प्रतिदिन की बातों से अपनी कविता के विषय चुनती है और फिर उन्ही साधारण बातों में नई बात पैदा कर देती हैं.यही आपकी खूबी भी है.इसी तरह लिखते रहिये. एक बात और...आपका नया प्रोफाईल फोटोग्राफ काफी अच्छा है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अनमोल वाक्यों का सुन्दर प्रस्तुतिकरण!

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर सुनहरे रंग मै रंगा चित्र ओर उस से भी सुंदर कविता
धन्यवाद

Anonymous said...

bahut hi achhi prastuti...
suraj ki dincharya bahut khub.....
regars
shekhar
http://i555.blogspot.com/

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

सरल, सुन्दर भाव,शुभकामना!

Unseen India Tours said...

अनमोल वाक्यों का सुन्दर प्रस्तुतिकरण

सम्वेदना के स्वर said...

आपने तो एक पेंटिंग बना डाली... बहुत ख़ूबसूरत!!

Apanatva said...

bahut pyaree rachana.......
tajgee ka ehsaas de gayee.

जयकृष्ण राय तुषार said...

Your blog is like a rainbow.i am your fan.pls see my blog and comment.jaikrishnaraitushar.blogspot.com

mukta mandla said...

सुख और दुख जीवन के दो पहिये है
दोनों में किसी के साथ बंधना अक्लमंदी
नहीं है इंसान सम रहे तो सुख और दुख
प्रभाव नहीं करते..वैसे मेरी ये बात सबको
अजीब लगेगी पर सुख की तुलना में दुख
बेहतर है क्योंकि ये हमें मजबूत बनाता है
आत्मचिंतन की ओर ले जाता है और अपने
पराये का बोध कराता है..वैसे हँसमुख लोग
इन बातों की परवाह नहीं करते ..

kshama said...

राह देखते हैं सब सवेरा होने का,
कामना करते हैं अगले दिन मंगलमय होने का !
How very positive!

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

नई सुबह नई शुरुआत... सुन्दर कविता...

Akshitaa (Pakhi) said...

सूरज दादा पर बहुत सुन्दर लिखा..अच्छा लगा.

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'पाखी की दुनिया में' पुरानी पुस्तकें रद्दी में नहीं बेचें, उनकी जरुरत है किसी को !