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Friday, April 23, 2010




नन्हा बच्चा

राह पर चलते चलते एक नन्हे बच्चे को रोता हुआ पाया,
अपने ही शैशव की छवि को उसमें प्रतिबिम्बित देखा !


दर्द हुआ देखकर उस शिशु को बिन माँ के बिलखते हुए,
भूख से तड़प रहा था और आँखों से आंसू टपक रहा था !

कितने बेरहम होंगे जो अपनी संतान को छोड़ गया,
उस परिस्थिति को देख मैंने ख़ुद को लाचार पाया !

जाने अचानक से एक साधू बच्चे की ओर आ गए,
ऐसा लगा मानो भगवान के रूप में साधू धरती पर पधारे !


नन्हे से बच्चे ने आश्चर्यचकित होकर साधू की ओर देखा,
बिना रोये मुस्कुराते हुए साधू की गोद में चला गया !


उस शिशु को हँसता हुआ देखकर दिल को सुकून मिला,
साधू ने उस नन्हे बच्चे को अपने आश्रम में आश्रय दिया !


19 comments:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

सुन्दर भावनाएं हैं ... दुनिया की सबसे खूबसूरत दृश्य है एक बच्चे के चेहरे पर मुस्कान ... इससे खूबसूरत चीज़ और कोई नहीं है !

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi bhawpurn prastuti...romanch ho aaya

राज भाटिय़ा said...

नाईस जी चित्र भी नाईस कविता भी नाईस, बच्चा भःई नाईस

Anonymous said...

bahut hi achhi rachna ..mann ko mohne wale bhaw piroye hain aapne..
bahut behtareen abhiwyakti...
regards
http://i555.blogspot.com/

SACCHAI said...

" sanvedansil ..aur gaherai bhari likhavat "

---- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Apanatva said...

bhavmay kavita .sunder abhivykti.

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

संवेदनशील अभिव्यक्ति..

Anonymous said...

बहुत अच्छा लिखते हो आप ... बहुत सुन्दर शुक्रिया !!

Unknown said...

बहुत देर से आपके ब्लॉग पर था एक -एक करके आपकी सभी रचनाएं पड़ी बहुत ही सुंदर , दोनों ही ब्लॉग बहुत अच्छे हैं आपके !!

Unseen India Tours said...

Kitni sundar Rachna hai apki !! Ek Ek shirsh param satya hai aur sochne par majboor kar deta hai !! Great Work.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

are waah.....kitti pyaari kahaani hai....aur kavitaa bhi to....

मुकेश कुमार सिन्हा said...

prashanshniya rachna!! nanhe dil ke liye tadpta pyar, dekh kar achchha laga........:)


kabhi yahan aayen
kaneshh jindagi ka....
www.jindagikeerahen.blogspot.com

Akanksha Yadav said...

संवेदनशील अभिव्यक्ति..भावपूर्ण चित्रण !!

स्वप्निल तिवारी said...

ghatna achhi hai ...inspiring hai ...par kavita ke roop me safal nahi lagti ... kavyatmak pahlu gayab hai..aisa mujhe laga..

Unknown said...

सुन्दर भाव

Ra said...

सुन्दर भाव लिए हुए सशक्त रचना ...हम आपकी भावनाओ की कद्र करते है ....वाकई शानदार !

http://athaah.blogspot.com

arvind said...

उस शिशु को हँसता हुआ देखकर दिल को सुकून मिला,
साधू ने उस नन्हे बच्चे को अपने आश्रम में आश्रय दिया !
...सुन्दर भावनाएं ,प्रशंसनीय