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Tuesday, October 5, 2010


दर्द--दिल

शाम होते ही चिरागों को बुझा दिया,
तेरी याद में अपने दिल को जला दिया !

क्या करें शायद अपनी राहें जुदा हैं,
वफ़ा बस नाम की है, बेवफ़ाई का फ़साना है !

मोहब्बत किया और उसे पहचाना हमने,
दिल की बेचैन उमंगों को मिटा दिया तुमने !

रात के जलते दिये दिन में बुझ गए,
तेरे प्यार की हर वो यादें मिट गए !

जाने क्या क्या वादा किया था तुमने,
पलभर का तेरा साथ भी पाया हमने !

आसमां पर लिखकर जाऊँ है प्यार तुझसे,
इस दिल में तेरे प्यार का चिराग जलता रहे !

23 comments:

arvind said...

आसमां पर लिखकर जाऊँ है प्यार तुझसे,
दिल में तेरे प्यार का चिराग जलता रहे !


...darde dil bayan karati khubsurat rachna.

DR.ASHOK KUMAR said...

उर्मी जी नमस्कार ! बहुत ही खूबसूरत अहसासोँ को पिरोया हैँ आपने इस रचना मेँ। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जमीँ पे हैँ चाँद छुपा हुआ।.......... कविता को पढ़कर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित है। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैं।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

दर्दे दिल कुछ इस कदर दे दिया है कि
दर्द न हो तो ज़िंदगी बेकार लगती है ....

खूबसूरत रचना .

पी.एस .भाकुनी said...

....आसमां पर लिखकर जाऊँ है प्यार तुझसे,
दिल में तेरे प्यार का चिराग जलता रहे !
खूबसूरत रचना .

विजयप्रकाश said...

तेरी याद में अपने दिल को जला दिया...अच्छी भावाभिव्यक्ति.हमेशा की तरह चित्र भी सुंदर है.

Anonymous said...

bahut hi khubsurat rachna ek baar phir se....
aapki lekhni ka to kayal ho gaya hoon...
bahut khub...

महेन्‍द्र वर्मा said...

शाम होते ही चिरागों को बुझा दिया,
तेरी याद में अपने दिल को जला दिया।

मन में छाप छोड़ने वाली अच्छी पंक्तियां।

Amrit said...

Very very nice as usual. One has to write a poem to describe your poetry.

कविता रावत said...

शाम होते ही चिरागों को बुझा दिया,
तेरी याद में अपने दिल को जला दिया।
....खूबसूरत मनोभाव के प्रस्तुति

राज भाटिय़ा said...

जाने क्या क्या वादा किया था तुमने,
पलभर का तेरा साथ भी न पाया हमने !
वाह जबाब नही जी, बहुत सुंदर.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बबली, हर बार के तरह मन के भावों को सचाई से बयान करने वाली कविता!

Anonymous said...

मेरे ब्लॉग पर मेरी नयी कविता संघर्ष

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

bahut sundar likha hai aapne babli ji...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मनोभावों को बयां करती बेहतरीन रचना.........

जयकृष्ण राय तुषार said...

खूबसूरत रचना के लिए बधाई

वीरेंद्र सिंह said...

भई वाह..क्या बात है
शानदार प्रस्तुति ....
इसलिए आपको आभार .

मुकेश कुमार सिन्हा said...

asma par likh kar jaun
iss dil me tere pyar ki chirag jalti rahe..:)


bahut khub babli jee....:) itna pyar!!
kya baat hai........:)

शरद कोकास said...

एक बहुत पुराना शेर है ... शाम होते ही चरागों को बुझा देता हूँ / दिल ही काफी है तेरी याद मे जलने के लिए " इस शेर से प्रेरित यह पंक्तियाँ अच्छी लगीं ।

SACCHAI said...

" urmi ..behatarin prastuti ke liye dhanyawad "


----- eksacchai { AAWAZ }

राहुल गाँधी याने .. सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली |

http://eksacchai.blogspot.com/2010/10/blog-post_07.html#links

Prem said...

बहुत सुंदर हैं आपके ब्लोग्स ,कविता और शाएरी भी अच्छी लगी । खानामसाला ने तो भूख ही बढ़ा दी । बहुत शुभकामनायें ।

Asha Joglekar said...

जाने क्या क्या वादा किया था तुमने,
पलभर का तेरा साथ भी न पाया हमने !
आह, कितना दर्द है प्यार में

Sunil Kumar said...

har sher khubsurat bahut bahut mubarak

vinay ranjan said...

खूबसूरत अहसासों की सुन्दर प्रस्तुति : साधुवाद।

एक अंदाज़-ए-बयां ये भी-
गुज़र गई है मगर रोज़ याद आती है
वो एक शाम जिसे भूलने की हसरत है
#ज़ीशान_साहिल #shaam