जुदाई तुम्हारी जुदाई ने हमें हर पल तड़पाया है, दर्द छुपाकर मुस्कुराना तुम्हारी जुदाई ने सिखाया है ! लोगों के दर्द को अपना समझना और उसे सहना, तुम्हारी जुदाई ने हमें सिखाया है ! तन्हाई में घुटघुट कर रोता रहता ये दिल, अफ़सोस है के तुमने हमें न समझा अपने क़ाबिल ! मेरे गम मेरी ख़ुशी से ख़ुशनसीब है, अब तो गमों ने आसुओं की कदर की है ! न जाने क्यूँ रंगीन ख़्वाबों में परछाई सी दिखती है, उस परछाई की आहट हमें बेचैन कर देती है ! अब तन्हाई साथ है और यही इत्तेफ़ाक है, मेरे जीने का सहारा अब सिर्फ तेरी यादें है ! |
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Wednesday, January 27, 2010
Posted by Urmi at 10:33 AM 14 comments
Tuesday, January 19, 2010
तितली हाथों में लेकर किताब, देख रही थी मैं ख़्वाब, आयी अचानक कहाँ से उड़ती हुई, और मैं बस उसे देखती रही ! रंग बिरंगी सुन्दर सी तितली, देखकर शर्मा गयी बिजली, मंडराने लगी मेरे दिल के कमरे में, बिखर के रंग सारे वो प्यारी तितली ! ज़न्नत से उतरी थी शायद ये तितली, आखों में मेरी बस गयी थी ये तितली, देखकर ऐसा लगा जैसे, पतझड़ में बहार आयी ! सुन्दरता से निखरी हुई ये तितली, पलक झपकते ही उड़ गयी, ऐसा लगा जैसे, रंगों भरी ज़िन्दगी अब बेरंग हो गयी ! |
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Posted by Urmi at 10:42 PM 20 comments
Saturday, January 16, 2010
ज़ख्म
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Posted by Urmi at 3:28 AM 15 comments
Monday, January 11, 2010
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Posted by Urmi at 1:39 AM 17 comments