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Friday, March 25, 2011



हमारी धरती

इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !


मानव, मछली, पशु और पक्षी,
लाखों जीवों का है घर,
रहते हैं सब मिलकर धरती पर,
प्यार भरा है न कोई बैर,
सब में जीवन, है सब बराबर,
नहीं है कोई किसीसे कम !


इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !

रंग बिरंगे उड़ते पतंगे,
इन्द्रधनुष के अदभुत नज़ारे,
परिंदे गगन पे है मंडराते,
एक एक करके दाना चुगते,
डगमग डगमग चलते जाते,
देखकर मन ख़ुशी से खिल उठते !

इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !

तरह तरह के है फूल खिले,
जीवन रक्षक वृक्ष हमारे,
ताज़े सब्जी, अन्न और जल,
किसानों के मेहनत का है फल,
जब तक धरती हरी रहेगी,
स्वस्थ हमेशा कायम रहेगी !

इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !

Thursday, March 17, 2011

रंगों का त्यौहार

अनेक रंग है इस पर्व के,
आओ खेले होली हम सब मिलके,
भीगेंगे सारे रंगों में,
झूमेंगे साथी संगों में !

पर्व ये ऐसा जब रंग खिलते हैं सारे,
बैर और दुश्मनी के दंभ धुलते हैं सारे,
बहता है रंग जो चारों ओर,
हर तरफ गूंजे शोर ही शोर !

कपड़ों पर बिखरे गुलाल है,
देश भर में ख़ुशी का माहौल है,
विचार है ख़ास, बातों में है मिठास,
मधुर गीत से बने ये त्यौहार ख़ास !

पिचकारियों से रंग बिखेरते हैं सब,
बच्चे जवान बूढ़े आनंद लेते हैं संग,
छाई है प्रसन्नता हर घर द्वार,
आयी है देखो रंगों का त्यौहार !


Wednesday, March 9, 2011


उम्मीद

उम्मीदों की रोशनी से,
दामन भरा था मेरा !

जिसे चाहा था खुदसे ज़्यादा,
उसने तोड़ दिया अपना वादा !

रात दिन जिसके आने की उम्मीद करती,
उसे एक पल भी मेरी याद आती !

जिसका ख़्वाब हर पल देखती थी,
हो गया ओझल कुछ इस तरह !

वफ़ा का सिला उसने ऐसा दिया,
दिल रो रोकर बेहाल हो गया !

क़ाश उसके आने की उम्मीद करती,
आज मैं ख़ुदको तन्हा पाती !

बस कमी थी अगर कोई,
तो साथ नहीं था उसका !

सामने कश्ती थी और,
साहिल छूट गया मेरा !