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Friday, August 19, 2011

याद उनकी

याद उनकी हमें पल-पल सताए क्यूँ?
खुश्क अँखियों में समंदर आए क्यूँ?

पानी को तरसते जिस वीराने में,
दर्द का सागर वहाँ पहुँच जाए क्यूँ?

तन्हा रात कटती नहीं बगैर तेरे,
ख़ुशी का इक लम्हा यूँ गुज़र जाए क्यूँ?

इन्कार का गिला ना किया जब हमनें,
मेरी आह पर इलज़ाम लगाए क्यूँ?

कहता है प्यार है बेपन्हा मुझसे,
हर मोड़ पर हमें यूँ आज़माए क्यूँ?

महसूस नहीं कर सके मेरे गम को,
आज मेरे दर्द पे मुस्कुराए क्यूँ?

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,
फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ?


31 comments:

Shikha Kaushik said...

gahan bhavon ko abhivyakt karti gazal .aabhar

BLOG PAHELI NO.1

नीरज गोस्वामी said...

महसूस नहीं कर सके मेरे गम को,
आज मेरे दर्द पे मुस्कुराए क्यूँ?

Subhan allah...lajawab...Bejod...

Neeraj

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति ..

Dr.Aditya Kumar said...

kya batr hai.

SACCHAI said...

कहता है प्यार है बेपन्हा मुझसे,
हर मोड़ पर हमें यूँ आज़माए क्यूँ?

महसूस नहीं कर सके मेरे गम को,
आज मेरे दर्द पे मुस्कुराए क्यूँ?

waah ! adbhut ..shandaar rachana

" अकल के मोटे ..दिमाग के लोटे : पप्पू धमाल (व्यंग)
http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post_18.html

डॉ. मोनिका शर्मा said...

पानी को तरसते जिस वीराने में,
दर्द का सागर वहाँ पहुँच जाए क्यूँ?

बहुत सुंदर

ashok andrey said...

priya babli jee yaden vastav main gehra asar karti hain jeevan main, shayad isiliye veh jeevan bhar iska ehsaas karta rehta hai har kshan tabhi to-
har iljam vo deta hai is dil ko,
phir bhee maasoom banaa najar aae kayun?
bahut gehraa ehsaas liye hai,badhai.

Prakash Jain said...

bahut khub....


www.poeticprakash.com

Dr (Miss) Sharad Singh said...

पानी को तरसते जिस वीराने में,
दर्द का सागर वहाँ पहुँच जाए क्यूँ?

मन को छू लेने वाली शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी रचना ....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

bade maasoom sawaalon ko poochhatee behatreen gazal!!

Arvind kumar said...

कहता है प्यार है बेपन्हा मुझसे,
हर मोड़ पर हमें यूँ आज़माए क्यूँ?

लाज़वाब...

ऋता शेखर 'मधु' said...

मन को छू लेने वाले सवाल...सुन्दर प्रस्तुति..
बधाई|

दिलबागसिंह विर्क said...

कहता है प्यार है बेपन्हा मुझसे,
हर मोड़ पर हमें यूँ आज़माए क्यूँ?
behtreen

sabhi she'r lazvab

Kailash Sharma said...

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,
फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ?

...बहुत खूब ! बेहतरीन प्रस्तुति..

Rakesh Kumar said...

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,
फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ?

आपकी मासूमियत कमाल की है बबली जी,जो
उनके इल्जाम देने पर भी आपको उनमें
मासूमियत ही नजर आ रही है.

सुन्दर अनुपम प्रस्तुति है आपकी.

आभार.

G.N.SHAW said...

सुन्दर भऊक कविता

Sawai Singh Rajpurohit said...

अति सुंदर

vidhya said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

Unknown said...

बहुत ही प्यार भरी रचना |

मेरी नई रचना जरुर देखें |अच्छा लगे तो ब्लॉग को फोलो भी कर लें |

मेरी कविता: उम्मीद

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

प्रिय बबली जी बहुत सुन्दर रचना ये दिल बेचारा है ही ऐसे कितने तीर झेल जाता है ...इसी लिए कभी कभी रेगिस्तान और इस वीराने में भी सागर उफन उफन जाता है
आभार आप का
भ्रमर ५

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,
फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ?

Satish Saxena said...

शुभकामनायें आपको !

virendra sharma said...

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,
फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ? बबली जी काबिले दाद हैं अशआर हैं सारे के अशआर इस दुर्योधन की सेना में सबके सब शकुनी शकुनीबैठें हैं ,एक भी सेना पति भीष्म पितामह नहीं हैं ,शूपर्ण -खा है ,मंद मति बालक है जिसे भावी प्रधान मंत्री बतलाया समझाया जा रहा है .एक भी कृपा -चारी नहीं हैं काले कोट वाले फरेबी हैं जिन्होनें संसद को अदालत में बदल दिया है ,तर्क और तकरार से सुलझाना चाहतें हैं ये मुद्दे .एक अरुणा राय आ गईं हैं शकुनियों के राज में ,ये "मम्मीजी" की अनुगामी हैं इसीलिए सरकारी और जन लोक पाल दोनों बिलों की खिल्ली उड़ा रहीं हैं.और हाँ इस मर्तबा पन्द्रह अगस्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है सोलह अगस्त अन्नाजी ने जेहाद का बिगुल फूंक दिया है ,मुसलमान हिन्दू सब मिलकर रोजा खोल रहें हैं अन्नाजी के दुआरे ,कैसा पर्व है अपने पन का राष्ट्री एकता का ,देखते ही बनता है ,बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ....
लीला पुरुष का गायन इस दौर में बहुत ज़रूरी है ,गायन वंदन ........ ., . ram ram bhai


कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

virendra sharma said...

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,
फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ? बबली जी काबिले दाद हैं अशआर हैं सारे के अशआर इस दुर्योधन की सेना में सबके सब शकुनी शकुनीबैठें हैं ,एक भी सेना पति भीष्म पितामह नहीं हैं ,शूपर्ण -खा है ,मंद मति बालक है जिसे भावी प्रधान मंत्री बतलाया समझाया जा रहा है .एक भी कृपा -चारी नहीं हैं काले कोट वाले फरेबी हैं जिन्होनें संसद को अदालत में बदल दिया है ,तर्क और तकरार से सुलझाना चाहतें हैं ये मुद्दे .एक अरुणा राय आ गईं हैं शकुनियों के राज में ,ये "मम्मीजी" की अनुगामी हैं इसीलिए सरकारी और जन लोक पाल दोनों बिलों की खिल्ली उड़ा रहीं हैं.और हाँ इस मर्तबा पन्द्रह अगस्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है सोलह अगस्त अन्नाजी ने जेहाद का बिगुल फूंक दिया है ,मुसलमान हिन्दू सब मिलकर रोजा खोल रहें हैं अन्नाजी के दुआरे ,कैसा पर्व है अपने पन का राष्ट्री एकता का ,देखते ही बनता है ,बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ....
लीला पुरुष का गायन इस दौर में बहुत ज़रूरी है ,गायन वंदन ........ ., . ram ram bhai


कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

Anju (Anu) Chaudhary said...

तुम ही सदा मुझ से दूर रहे ,मै तो दूर तुम से नहीं रही |
साथ पाने के लिए तुम्हारा,मैंने क्या क्या नहीं किया ||
anu

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति ..

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

बहुत खूबसूरत है !!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

गहरी अभिव्यक्ति!!
ईद की शुभकामनाएं!!

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) said...

सुंदर भावों की सुंदर अभिव्यक्ति.लाजवाब.

मदन शर्मा said...

वाह! बहुत सुन्दर गहरे भाव की कविता
सादर...

shephali said...

कहता है प्यार है बेपन्हा मुझसे,
हर मोड़ पर हमें यूँ आज़माए क्यूँ?
bahut sundar

Satish Kumar (9829555643) said...

Kya acha likhti to aap bahut khub maza aa gya aapki kavitaye padkar