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Sunday, October 9, 2011

दर्द

रूठी तन्हाई,
दर्द की बाहें घिरी,
ढूँढें मंज़िल !


मूक ज़िन्दगी,
सब सहे ज़िन्दगी,
फिर भी चले !

अचंभित हूँ,
धडकनें जो मिली,
रूकती नहीं !

आँखें छलके,
बहे तपते आँसू,
फिर भी जागे ?

बिना सहारे,
तेरी आस में जिए,
यही है जीना ?

सहन नहीं,
यूँ घुटकर जीना,
ज़हर पीना ?

25 comments:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर सार्थक रचना| धन्यवाद||

Kunwar Kusumesh said...

beautifully written.

Amrita Tanmay said...

जहर से भी मारक..अतिसुन्दर.

SHAYARI PAGE said...

i like your page :)

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

acchi rachna ..aaj andaj kuch badla hua hai jaisa ammoman hota hai..sadar badhayee aaur amantran ke sath

रविकर said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई स्वीकार करें ||

M VERMA said...

मूक ज़िन्दगी,
सब सहे ज़िन्दगी,
फिर भी चले !

यही है जिन्दगी. बहुत सुन्दर रचना ...

शूरवीर रावत said...

क्षणिकाओं के माध्यम से बहुत कुछ कह जाना. एक अनूठा प्रयास..... कम शब्दों मे अधिकाधिक कहना आपकी कविताओं की विशेषता है बबली जी.....
इस सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए आपका आभार !

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बहुत सुन्दर..आपकी अन्य कविताओं से बिलकुल भिन्न!!

Amrit said...

Very good as usual :)))

Kailash Sharma said...

मूक ज़िन्दगी,
सब सहे ज़िन्दगी,
फिर भी चले !

...बहुत सुन्दर..

खबरों की दुनियाँ said...

ATYANT MARMIK , GAJAB - SHANDAR ABHIVYAKTI.

Randhir Singh Suman said...

nice

Unknown said...

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...अति सुन्दर ब्लाग...सादर !!!

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण ,सार्थक रचना.

Rakesh Kumar said...

आह! बहुत खूब बबली जी.
क्या इनको हाइकू भी कहते हैं.
बहुत नुकीले हैं.
सीधे दिल के आर पार हुए जाते हैं.

संजय भास्‍कर said...

वाह बेहतरीन !!!!

भावों को सटीक प्रभावशाली अभिव्यक्ति दे पाने की आपकी दक्षता मंत्रमुग्ध कर लेती है...

संजय भास्‍कर said...

कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका

amrendra "amar" said...

बिना सहारे,
तेरी आस में जिए,
यही है जीना ?

सहन नहीं,
यूँ घुटकर जीना,
ज़हर पीना ?

बहुत सुन्दर रचना ...

Dev said...

ek samanya vishay par uttkrasht prastuti.

ओमप्रकाश यती said...

bahut achchhe haiku......badhaai

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

दर्द की झलक दिखाई पडती है,सुंदर पोस्ट,बधाई ..

Dr.NISHA MAHARANA said...

dard bhari dastan. very nice.

S.N SHUKLA said...

सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.

प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 03 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!