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Sunday, November 20, 2011

ख्वाइश

कैसे
कहूँ की अपना बना लो मुझे,
बाहों में अपनी समा लो मुझे !

बिन तुम्हारे एक पल भी कटता नहीं,
तुम आकर मुझी से चुरा लो मुझे !

ज़िन्दगी वो है जो संग तुम्हारे गुज़रे,
दुनिया के ग़मों से अब चुरा लो मुझे !

मेरी सबसे गहरी ख्वाइश हो पूरी,
तुम अगर पास अपने बुलालो मुझे !

ये कैसा नशा है जो बहका रहा है,
तुम्हारा हूँ मैं संभालो मुझे !

नजाने फिर कैसे गुज़रेगी जिंदगानी,
अगर अपने दिल से कभी निकालो मुझे !

34 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रेमपगी अच्छी प्रस्तुति

Bharat Bhushan said...

प्रेम की गहन छटाओं से भरी सुंदर कविता.

Arun sathi said...

शाश्वत प्रेम....बधाई

संतोष त्रिवेदी said...

'हम तुम्हें दिल से क्यूं निकालेंगे ?,
ये तुम्ही छिटक के दूर बैठे हो !'

सुन्दर भाव !

vidya said...

बहुत प्यारी..
मीठी सी कविता.

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर भाव!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

प्रेम के इजहार की खुबशुरत रचना,बेहतरीन पोस्ट,
मेरे नए पोस्ट पर स्वागत है ...

Amrita Tanmay said...

सुंदर कविता....बधाई

ऋता शेखर 'मधु' said...

सुन्दर कविता...बधाई|

दिलबागसिंह विर्क said...

मेरी सबसे गहरी ख्वाइश हो पूरी,
तुम अगर पास अपने बुलालो मुझे !
सुंदर प्रेम कविता

प्रेम सरोवर said...

कैसे कहूँ की अपना बना लो मुझे,
बाहों में अपनी समा लो मुझे !

उर्मी जी , जब हम किसी से जुड़ जाते हैं तो हम काफी मजबूर हो जाते हैं लेकिन दिल है कि मानता नही एवं आखिरी ख्वाहिश यही होती है कि उसके बाँहों में समा कर जीवन के कुछ खूबसूरत पल को जी लिया जाए । आपकी रचना एक अलौकिक कल्पना जगत में लेकर चली गयी । धन्यवाद ।

virendra sharma said...

बहुत अच्ची भावपूर्ण कविता नदी के मंथर प्रवाह सी .

Deepak Shukla said...

Hi..

Phir chhalkaya nasha prem ka, fir takraaya pyaar ka jaam..

Sundar gazal..

Deepak Shukla..

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

behtareen

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Bahut Umda ...Prem ke gahre bhav...

Jeevan Pushp said...

ये कैसा नशा है जो बहका रहा है,
तुम्हारा हूँ मैं संभालो मुझे !

बहुत ही भावपूर्ण एवं प्रेमपूर्ण प्रस्तुति !

Unknown said...

बेहद खुबसूरत..

Rakesh Kumar said...

बहुत सुन्दर ख्वाइश है,बबली जी.

भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

SM said...

ज़िन्दगी वो है जो संग तुम्हारे गुज़रे,
दुनिया के ग़मों से अब चुरा लो मुझे

beautiful poem

Human said...

बहुत अच्छे भाव,बहुत अच्छी रचना !

प्रस्तुत कहानी पर अपनी महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ ।

भावना

Amrit said...

Very nice

Asha Joglekar said...

सुंदर प्रेम गीत .

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बिन तुम्हारे एक पल भी कटता नहीं,
तुम आकर मुझी से चुरा लो मुझे !

BAHUT SUNDAR.

Dr.NISHA MAHARANA said...

ये कैसा नशा है जो बहका रहा है,
तुम्हारा हूँ मैं संभालो मुझे !बहुत खूब लिखा है बबली जी।धन्यवाद।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

प्रेम की पराकाष्ठा परिलक्षित हो रही है पंक्ति दर पंक्ति!!

Akshitaa (Pakhi) said...

सुन्दर सी पर प्यारी रचना..बधाई !!

Kailash Sharma said...

बहुत सुंदर प्रेममयी प्रस्तुति...

G.N.SHAW said...

अनोखी अदा , जो दिल से निकली और महक उठी ! बधाई

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर लगी यह कविता. देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.

Unknown said...

Babli, I cannot resist myself from sharing your post...

vijay kumar sappatti said...

बबली , बहुत ही सुन्दर गज़ल .. दिल को छूती हुई .. दुनिया के गमो से चुरा लो मुझे .. बहुत सुन्दर बात कही आपने बबली .. बधाई हो जी ..

विजय

Unknown said...

beautiful and nice;;

POOJA... said...

waah...
bahut sundar...

Naveen Mani Tripathi said...

vah ....prany ke swar adbhud hain .. badhai.