उन शहीदों को नमन आज फिर बाँका सिपाही, जंग में इक मर गया, जाते-जाते साँस अपनी, नाम माँ के कर गया ! झेल कर सीने पे अपने, दुश्मनों के वार को, फूल बूढ़ी माँ की बगिया का यकायक झर गया ! जिंदगी कैसे कटेगी, माँ की बिन बेटे के अब, प्रश्न आँखों की नमी का, मौन हर उत्तर गया ! उस सिपाही ने भी चाहा था कि घर आबाद हो, अब तो उसकी माँ का जीना, हो बहुत दूभर गया ! फक्र करती माँ शहादत पर, तुम्हारी रात दिन, कहते फिरती बेटा मेरा, करके ऊँचा सर गया ! उन शहीदों को नमन जो घर की सीमा लाँघ कर, हँसते-हँसते देश पर, कर जान न्यौछावर गया ! |
---|
Sunday, November 27, 2011
Posted by Urmi at 8:09 PM 33 comments
Sunday, November 20, 2011
ख्वाइश कैसे कहूँ की अपना बना लो मुझे, बाहों में अपनी समा लो मुझे ! बिन तुम्हारे एक पल भी कटता नहीं, तुम आकर मुझी से चुरा लो मुझे ! ज़िन्दगी वो है जो संग तुम्हारे गुज़रे, दुनिया के ग़मों से अब चुरा लो मुझे ! मेरी सबसे गहरी ख्वाइश हो पूरी, तुम अगर पास अपने बुलालो मुझे ! ये कैसा नशा है जो बहका रहा है, तुम्हारा हूँ मैं संभालो मुझे ! नजाने फिर कैसे गुज़रेगी जिंदगानी, अगर अपने दिल से कभी निकालो मुझे ! |
---|
Posted by Urmi at 7:55 PM 34 comments
Sunday, November 13, 2011
मासूम चिड़िया एक चिड़िया, उड़ती हुई आयी, आँगन में ! देखा उसको, चारों ओर देखते, आँखें प्यारी-सी ! दाना खिलाया, मुझे देखती रही, बड़े प्यार से ! कुछ देर में, पंख फैलाये उड़ी, हुई उदासी ! अगले दिन, सुबह वहीँ बैठे, उसको पाया ! पल में उड़ी, साथी संग वो आयी, साथ में बैठी ! घोंसला बना, अंडा देने वाली थी, अन्दर घुसी ! कुछ देर में, फिर से उड़ गई, राह तकूँ मैं ! आयी वापस, साथी को संग लिए, चुपके से वो ! हफ्ते भर में, दिए अंडे उसने, नन्ही-सी जान ! छोटे-से बच्चे, चूँचूँ-चूँचूँ करती, मन को भाती ! |
---|
Posted by Urmi at 7:44 PM 30 comments
Monday, November 7, 2011
एक नयी कहानी ये कहानी, ये किस्से, है ज़िन्दगी के ही हिस्से, फिर भी हम इन्हें, क्यूँ अपना नहीं पाते? जितने ये पास आते, उतने ही हम दूर जाते, इन किस्सों से सपनों को सजाकर, जीवन को क्यूँ नहीं सँवारते? फिर आहट ह्रदय लेकर, फिरते हैं इधर उधर, किस्से बन जाते हैं नये, वैसे ही जैसे कुछ पुराने ! फिर भी सदियों से, लोग किस्से बनाते रहे, और कहानी उनकी हर युग में, सबको सुनाते ही रहे ! मैं भी एक किस्सा हूँ, क्यूँकि समय का हिस्सा हूँ, होगी मेरी भी एक कहानी, जो बनेगी अस्तित्व की निशानी ! फिर कैसे मैं सोचूँ, एक दिन अचानक मिट जाऊँगी, मैं इतिहास के पन्नों पर, अंकित हो जाऊँगी ! |
---|
Posted by Urmi at 10:19 PM 31 comments
Subscribe to:
Posts (Atom)