तस्वीर समय की शिला पर मधुर चित्र बसे, किसी ने बनाये किसी ने मिटाया उसे ! किसी ने लिखी आँसूंओं से कहानी, किसी ने बहाया उसमें दो बूँद पानी ! इसी में बीत गए दिन ज़िन्दगी के, रंगों-भरी तस्वीर बेरंग-सी लगे ! विकल सिन्धु की लहर न रुके कभी, धरा न उठाये, गगन न गिराए उसे ! प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने, मिलन ने जलाये, विरह ने बुझाये इतने ! नयन-प्राण में रूप के स्वप्न जितने, निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने ! |
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Tuesday, January 31, 2012
Posted by Urmi at 7:23 PM
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38 comments:
नयन-प्राण में रूप के स्वप्न जितने,
निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने !
बहुत गहन ...सीधे ह्रदय तक पहुंची है ...
बहुत ही सुंदर भावप्रबल रचना ....
EXCELLENT ......!!!!
रचना और विध्वंस को एक साथ उकेरने में पूरी तरह सफल है यह कविता...
आपकी कविताओं में दिनोदिन निखार आता जा रहा है!! यह कविता प्रभाव छोड़ जाती है दिल पर!!
सुन्दर तस्बीर, सुन्दर रचना!
विरोधाभास को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं ..अच्छी प्रस्तुति
विकल सिन्धु की लहर न रुके कभी,
धरा न उठाये, गगन न गिराए उसे !... bhawpurn
किसी ने लिखी आँसूंओं से कहानी,
किसी ने बहाया उसमें दो बूँद पानी !
बेहतरीन रचना...
सुन्दर!!!
किसी ने लिखी आँसूंओं से कहानी,
किसी ने बहाया उसमें दो बूँद पानी !.....बहुत खूबसूरत भाव..
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
बेहतरीन भाव लिए सुंदर कविता..बधाई
बहुत सुन्दर अहसास..सशक्त प्रस्तुति..
बेहतरीन।
सादर
नयन-प्राण में रूप के स्वप्न जितने,
निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने ...
बहुत उम्दा प्रस्तुति ... गहन ...
प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने,
मिलन ने जलाये, विरह ने बुझाये इतने !
बेहतरीन लाजबाब प्रस्तुति.
शब्द और भावों की सुन्दर तस्वीर प्रस्तुत
की है आपने.
अच्छी प्रस्तुति ...
मधुर चित्र मिट जाते हैं, परन्तु कडवे चित्र ?
इसी में बीत गए दिन ज़िन्दगी के,
रंगों-भरी तस्वीर बेरंग-सी लगे ! प्रेरक और प्रभावशाली खुबसूरत रचना.....
लाजवाब अभिव्यक्ति ..
प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने,
मिलन ने जलाये, विरह ने बुझाये इतने !-बहौत भावप्रवण पंक्तियां , हृदय को छूती हुई लहरों की तरह ।
नयन-प्राण में रूप के स्वप्न जितने,
निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने
bahut khoob urmi ji behad sundar ghazal ke liye badhai .
ap bahut achchha likhti hai....ati uttam
विकल सिन्धु की लहर न रुके कभी,
धरा न उठाये, गगन न गिराए उसे !
bah bahut koob
rachana
बहुत सुन्दर मगर सच है
लिखी अश्कों से कोइ रचना
बहा दे व्यर्थ में ही कोइ
है निश्चित आपकी रचना
बधाई के लिये उपयुक्त
नेता,कुत्ता और वेश्या
प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने,
मिलन ने जलाये, विरह ने बुझाये इतने !
...बहुत खूब! सृजन और विध्वंश के विरोधी भावों का बहुत सुन्दर चित्रण...
खूबसूरत है
" निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने !" बहुत ही सुन्दर जीवन के सारांश
कोमल शब्द,बढ़िया रचना..
मिलन विरह से अधिक आनंद देता है कभी !
वाह!!!!!बहुत सुंदर भाव की अच्छी रचना.
NEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
नयन-प्राण में रूप के स्वप्न जितने,
निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने !
bahut sundar prbhavtpadak rachna....
बहुत खूब
कल 08/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, !! स्वदेश के प्रति अनुराग !!
धन्यवाद!
ati utam ! bilamb se padhne ke liye kshama chahta hun.
बेहद सुंदर प्रभावशाली और बेहतरीन रचना...
किसी ने लिखी आँसूंओं से कहानी,
किसी ने बहाया उसमें दो बूँद पानी !
सुंदर कविता...
this poem is written by famous poet Shambhunath Singh. Only a few words have been changed and .the whole poem is copied as such. This is most unethical.
wg cdr SP Shukla
this poem is written by famous poet Shambhunath Singh. Only a few words have been changed and .the whole poem is copied as such. This is most unethical.
wg cdr SP Shukla
sunder ghazal
समय की शिला पर.........?
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