बदलो स्थान नहीं, शासन बदलो, जात नहीं, जमान बदलो, अगर कुछ बदलना चाहते हो तो स्वयं बदलो ! गुल नहीं गुलज़ार बदलो, रूप नहीं श्रृंगार बदलो, परिवार नहीं संस्कार बदलो, अस्पताल नहीं डॉक्टर बदलो ! आवाम नहीं आवाज़ बदलो, धर्म नहीं अन्धविश्वास बदलो, अगर कुछ बदलना चाहते हो तो स्वयं बदलो ! कर्म नहीं तरीका बदलो, कर्तव्य नहीं अधिकार बदलो, राष्ट्र नहीं सरकार बदलो, प्रेम नहीं नफ़रत को बदलो ! सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो, समाज नहीं जन बदलो, अगर कुछ बदलना चाहते हो तो स्वयं बदलो !! |
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Friday, August 21, 2009
Posted by Urmi at 11:37 PM
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20 comments:
स्थान नहीं, शासन बदलो,
मान नहीं, आसन बदलो,
बहुत बढ़िया बबली जी!
आप लिखती रहें,
लेखनी में निखार आता जायेगा।
बधाई।
सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो,
समाज नहीं जन बदलो,
बहुत सुन्दर भाव व लेखन. बहुत अच्छा लगा.
दार्शनिक भावों की सुन्दर कविता
प्रेरक रचना...
wow...
another composition of yours...
"सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो" - इस एक वाक्य में छिपा है सब कुछ का हल । आभार ।
sundar badalav hai aap ke lekani me
कविता में कहीं कहीं विसंगतियाँ है लेकिन कविता का मूल भाव परिवर्तन की प्रासंगिकता है यह अच्छी बात है ।
आवाम नहीं आवाज़ बदलो,
धर्म नहीं अन्धविश्वास बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो तो स्वयं बदलो !
वाह वाह ...क्या बात है
बहुत खूब ... सच्ची पोस्ट
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Sahi kaha, bahut si badli na jaane ke kaaran sad jati hain.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो,
समाज नहीं जन बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !!
आज के वर्तमान परिवेश मे इसी बात की आवश्कता हॆ, रचाना के माध्यम से व्यक्त विचार अच्छे लगे
very realistic.....sach hai khud ko badlo...
bahut badiya Babli ji
-Sheena
fantastic babli ,aapki kavita ki kuch kadiya dil ko chu gayi bahut hi accha nikhar is kavita me dikha hai ....
----- eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
उर्मी जी,
कर्म नहीं तरीका बदलो,
कर्तव्य नहीं अधिकार बदलो,
बहुत सुन्दर बात कही है, पॉजिटिव्ह थिंकिंग के लिये किसी मैनेजमेंट गुरू के संदेश सा लगा, उदाहरण बतौर श्री शिव खेड़ा साहब का कथन है कि "विजेता उसी काम को दूसरे तरीके से करता है"
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !!sahi baat hai duniya badlni hai to pahle khud ko badlo...
aadami yadi khud badal jaaye to is sansaar ke saare kasht khatm ho sakte he/
bahut achhi kavita he ji aapki/
बाबली आपकी कुछ कवितायें पढीं मुझे कविताओं के साथ प्रकाशित पेंटिंग्स अच्छी लगी। आपकी कलात्मक सृजनता अद्भुत है। मेरी रुचि कला में अधिक है,वैसे प्रोफेशन से मैं एक डॉक्टर हूँ
बाबली आपकी कुछ कवितायें पढीं मुझे कविताओं के साथ प्रकाशित पेंटिंग्स अच्छी लगी।
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
nice......
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