अधूरी सी बात कुछ कहना तो चाह रहे हैं, पर कह नहीं पा रहे हैं, न जाने क्यूँ लव्ज़ जुबां पे आकर, यूँ ठहर जा रहे हैं ! ख्याल भी मुझसे दूर जाकर, जाने किस ओर जा रहा है, अंजाम न पाकर, लौट कर आ रहा है ! कोई गूँज किसी ओर से, इधर आ रही है, मेरी ख़ामोशी से टकराकर, बिखर जा रही है ! क्या पागल है ये मन ? इस तरह बहका जा रहा है, रो रही है आँखें, और ये हँसना चाह रहा है ! कोई ख़ुशबू तो है यहाँ, जो माहौल को महका रही है, अपने ही आहोश में, मुझे डूबोए जा रही है ! मैं क्या सोच रही थी, और कहाँ जा रही थी ? हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को, पकड़ना चाह रही थी ! |
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Tuesday, November 23, 2010
Posted by Urmi at 4:51 PM 28 comments
Saturday, November 6, 2010
दिवाली मुस्कुराते हँसते दीप जलाये, जीवन में नयी खुशियाँ लेकर आये, दुःख दर्द भूलकर गले लगाये, मिलजुलकर सब दिवाली मनाये ! सुख सम्पदा सबके जीवन में आये, सुन्दर दीपों से आँगन जगमगाये, चारों तरफ़ रोशनी ही रोशनी छाये, पटाखों की बौछार से जग झिलमिलाये ! रंग बिखर रही फुलझरियां, टीम टीम दीपों की लड़ियाँ, दमक रही घर द्वारों पर, दीपों का ये त्यौहार है अनूठा ! बम फटे और चले पटाखें, रोशनी से मूंद मूंद गयी सबकी आँखें, घर घर में छायी खुशहाली, देखो मुस्काती आयी दिवाली ! |
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Posted by Urmi at 6:42 AM 14 comments
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