आख़िर क्या लिखूँ बारिश का वो भीगा पानी, और हवा में थी जो रवानी, क्या उस मौसम का ख़ुमार लिखूँ? आँखों में थी थोड़ी शरारत, और बातों में वो नज़ाकत, क्या उनके रंगीन मिजाज़ लिखूँ? उनका आकर मुस्कुराना, जो रूठ जाऊँ तो मनाना, क्या उनका ये अंदाज़ लिखूँ? हर शाम एक दिया जलाना, सोयी उम्मीद को रोज़ जगाना, क्या उनका ये इंतज़ार लिखूँ? |
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Tuesday, May 25, 2010
Posted by Urmi at 12:22 PM 16 comments
Friday, May 21, 2010
उदास मन मन बहुत उदास है, बुझती न मेरी प्यास है ! वो जल्द चलकर आयेंगे, इतना मुझे विश्वास है ! उनके जाने का अफ़सोस है, मन बहुत उदास है ! राह सब अंजान हैं, काँटों भरे मुकाम है ! देते चुभन हमको घनी, है मित्रता इनसे घनी ! डर ही तो रहता पास है, मन बहुत उदास है ! |
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Posted by Urmi at 12:53 PM 19 comments
Sunday, May 9, 2010
मदर्स डे ज़ुबान से जो पहला शब्द निकले, वो सिर्फ़ और सिर्फ़ होती है "माँ", प्रेम की मूरत और दया की सूरत, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! जब भी मुझे दर्द होता, माँ की आँखों से नीर बहता, जिसके दर्शन में भगवान मिलता, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! बिन माँ के मैं रोयी परदेस में, जब अकेलापन मुझको पलपल सताये, सपना बनकर मेरे ख्वाबों में आए, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! फूल पे है जैसे शबनम, साँसों में है जैसे सरगम, जिसका हो आशीर्वाद हम पर सदा, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! |
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Posted by Urmi at 3:36 AM 30 comments
Wednesday, May 5, 2010
दुनिया सोचती हूँ कितनी अजीब है दुनि बहुत हैं गम मगर कम है यहाँ खुशियाँ ! कभी मौसम सुहाना है, कभी तन्हा सा है आलम, कभी बरसात बिन बादल, कभी सूखा बहुत जालिम ! कभी है बाढ़ सी आती, कभी आँधी व ओले हैं, कभी निर्दोष लोगों पर, बरसते बम के गोले हैं ! गगन ने ओढ़ ली फिर से, कलुषता से भरी चादर, झमाझम पड़ रही बारीश, मगर खाली पड़ी गागर ! सोचती हूँ कितनी अजीब है दुनि बहुत हैं गम मगर कम है यहाँ खुशियाँ ! |
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Posted by Urmi at 11:40 AM 17 comments
Saturday, May 1, 2010
परिवार हँसता खेलता खुशियों से भरा, शुक्ला जी का परिवार था पूरा ! माँ पिताजी पत्नी और दो बच्चे, सब थे सीधे-साधे मन के सच्चे ! शुक्ला जी दिनभर मेहनत करते, शाम को थके हुए घर लौटते ! सांस ससुर की सेवा करती बहुरानी, बच्चे सुनते थे दादा दादी से कहानी ! शुक्ला जी का दफ़्तर था बिल्कुल पास, खाना खाने आते थे दोपहर को निवास ! सुख शांति से भरा था शुक्ला जी का परिवार, ऐसा हो सबका घर और आनंदमय संसार ! |
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Posted by Urmi at 10:14 AM 20 comments
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