ख़ाक होने से पहले रूठे हो मुझसे, बात भले न करना तुम, सिर्फ़ एक बार सीने से लगालो तुम ! ख़ाक होने से पहले जो पुकारूँ नाम, सुनके मुझे पास में बुलालो तुम ! वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों, बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम ! तन्हाई का शिकार हूँ मैं, जानते हो तुम, तन्हा न करो और मुझे संभालो तुम ! दूर रहकर भी तुम अपने-से लगते हो, पास आकर अजनबी न बनालो तुम ! सहारा नहीं माँगा है तुमसे मगर, मझधार से अब तो निकालो तुम ! |
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Friday, September 23, 2011
Posted by Urmi at 9:49 AM 28 comments
Friday, September 2, 2011
ख़्वाबों में मत तराश
उदास रात की कोई सुबह हसीन नहीं होती, ख़ुशी के एक लम्हें के लिए तरस जाती ! न आसमाँ है मेरा, न ज़मीन ही है मेरी, जिसे माना अपना, बेगाना-सा लगे वहीँ ! मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती, मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं ! मुझे तू ख़्वाबों में मत तराश अभी, उड़ती तितली की तरह मैं रंगीन नहीं ! छुप जाते हैं बादल में कभी चाँद व तारे, गुमसुम रहकर देखती हूँ वो सब नज़ारे ! भुला दिया उसने प्यार करके मुझे, मिलने पर वो पहचाने, मुझे ये यकीन नहीं ! टूटे हुए कांच की तरह बिखर गई मैं तो, मिले न अब पनाह तक, ये सोचकर रोयी ! बुझ गया ये "दीप", सुबह के सितारे के लिए, खुश हूँ मिटकर भी, मैं ज़रा गमगीन नहीं ! |
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Posted by Urmi at 7:32 PM 44 comments
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