बेसहारा औरत एक औरत, मासूमियत भरी, देखती रही ! आँखें नम-सी, भूख से तड़पती, पैसे माँगती ! दिल ने कहा, बेबसी देखकर, करूँ मदद ! पूछा उससे, क्यूँ माँग रही भीख, कुछ न बोली ! सिर हिलाए, समझाना चाहती, वो तो गूँगी थी ! तरस आया, बेचारी असहाय, वो थी अकेली ! उसे बुलाया, संग घर ले आयी, पनाह दे दी ! खुश हो गई, काम करना सीखा, मिली ज़िन्दगी ! |
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Monday, October 31, 2011
Posted by Urmi at 12:30 AM 39 comments
Sunday, October 23, 2011
दिवाली आयी दीपों की पंक्ति में हँसती, दिवाली की रात है आयी ! सब लोगों ने मिल-जुल कर, घर-आँगन की करी सफाई ! रंग बिखेर रही फुलझड़ियाँ, राकेट और पटाखे लड़ियाँ ! खिलखिलाते हुए अनार, इन्द्रधनुष सा छाया है बहार ! घर आँगन दीपों की माला, फैला चारों ओर उजाला ! बम फटे और चले पटाखे, रोशनी से मूंद-मूंद गयी आँखें ! खुशियाँ बाँटो बारम्बार, ये संदेश देती है त्यौहार ! सबको मिले प्रभु का प्यार, जीवन में सुख अपरम्पार ! दीप जले हैं देखो झिलमिल, सबने ख़ुशी मनाई हिलमिल ! घर-घर में छायी खुशहाली, मुस्काती आयी दिवाली ! |
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Posted by Urmi at 8:53 PM 39 comments
Wednesday, October 19, 2011
बारिश की फुहार रोए पर्वत, चूम कर मनाने, झुके बादल ! कुछ जज़्बात, काले बादलों जैसे, छाए मन में ! हल्की फुहार, रिमझिम के गीत, रुके न झड़ी ! एक भावना, उभर कर आई, बरस गई ! बादल संग, आँख मिचौली खेले, पागल धूप ! करे बेताब, ये भयंकर गर्मी, होगी बारिश ! झुका के सर, चुपचाप नहाए, शर्मीले पेड़ ! गीली आँखें, कर गई मन को, हल्का हवा-सा ! ओढ़ चादर, धरती आसमान, फुट के रोए ! मन मचला, हुआ है प्रफुल्लित, नया आभास ! |
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Posted by Urmi at 2:29 AM 23 comments
Thursday, October 13, 2011
ग़ज़ल सम्राट पृथ्वी है लाखों वर्ष पुरानी, जीवन है एक अनंत कहानी, जन्म-मरण का ये अविरल फेरा, जीवन बंजारों का है डेरा ! जीवन का ये दस्तूर, आज यहाँ कल कहाँ, प्रतिदिन जीवन में आता है परिवर्तन, जीवन की ढलने जाती है सांझ, तब उमर भी नहीं देती है साथ ! जगजीत सिंह जी को कोई भूल न पायेगा, उनके जैसा सुर-साधक कोई दूजा न आयेगा, विश्वभर में विख्यात था जिनका अंदाज़, गूँज रही है अब भी उनकी मधुर आवाज़ ! दुनिया को छोड़ गए करके शुन्यता, हर चेहरे पे छा गई है उदासीनता, ग़ज़ल सम्राट के नाम से थे मशहूर, उनको मेरा श्रद्धा-नमन है भरपूर ! |
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Posted by Urmi at 8:23 PM 35 comments
Sunday, October 9, 2011
दर्द रूठी तन्हाई, दर्द की बाहें घिरी, ढूँढें मंज़िल ! मूक ज़िन्दगी, सब सहे ज़िन्दगी, फिर भी चले ! अचंभित हूँ, धडकनें जो मिली, रूकती नहीं ! आँखें छलके, बहे तपते आँसू, फिर भी जागे ? बिना सहारे, तेरी आस में जिए, यही है जीना ? सहन नहीं, यूँ घुटकर जीना, ज़हर पीना ? |
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Posted by Urmi at 6:26 PM 25 comments
Sunday, October 2, 2011
गाँधी जयंती राष्ट्रपिता तुम कहलाते हो, सभी प्यार से कहते बापू ! तुमने हम सबको मार्ग दिखाया, सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया ! हम सब तेरी संतानें हैं, तुम हो हमारे प्यारे बापू ! सीधा-सादा वेश तुम्हारा, नहीं कोई अभिमान ! खादी की एक धोती पहने, वाह रे बापू तेरी शान ! एक लाठी के दम पर तुमने, अंग्रेजों की जड़ें हिलाई ! भारत माँ को आज़ाद कराया, रखी देश की शान ! आज तुम्हारे जन्मदिवस पर, हम करते हैं शत शत नमन ! |
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Posted by Urmi at 8:17 PM 26 comments
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