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Wednesday, February 8, 2012

झरना

झरता जाये,
झरना निरंतर,
गाता सस्वर !

गीत गूंजते,
मिल नाचे उर्मियाँ,
खिले नयन !

सुन्दर शोभा,
बहे पानी निर्मल,
जगे झरना !

खूब नहाये,
है आनंद मनाये,
खिलखिलाएँ !

मधुर गीत,
झरने के संग में,
गाये पंछी !

निहारूँ इसे,
ये बच्चों-सा उछले,
अपूर्व दृश्य !

उमंग भरा,
परिवार लगता,
सदा अनूठा !

Tuesday, January 31, 2012

तस्वीर

समय की शिला पर मधुर चित्र बसे,
किसी ने बनाये किसी ने मिटाया उसे !

किसी ने लिखी आँसूंओं से कहानी,
किसी ने बहाया उसमें दो बूँद पानी !

इसी में बीत गए दिन ज़िन्दगी के,
रंगों-भरी तस्वीर बेरंग-सी लगे !

विकल सिन्धु की लहर रुके कभी,
धरा उठाये, गगन गिराए उसे !

प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने,
मिलन ने जलाये, विरह ने बुझाये इतने !

नयन-प्राण में रूप के स्वप्न जितने,
निशा ने जगाये, उषा ने सुलाए उतने !


Monday, January 16, 2012

आरज़ू

कहीं दूर वादियों में,
काश हम तुम होते,
बेपन्हा मोहब्बत की कशिश,
हम दोनों आँखों से कहते !


जो देखना चाहे हमें देखे,
करें हम किसीकी परवाह,
हम दोनों हो जाएँ चलो,
कुछ देर के लिए गुमराह !


आरज़ू थी तुमसे मिलने की,
तुम्हें पाया है हमने आज,
कैसे करूँ अपने ख़ुशी का इज़हार,
मेरा दिल झूम उठा है आज !


तुमसे दो घड़ी हुई जो बात,
लगा जैसे पाया है उम्रभर साथ,
हो जाएँ एक दूजे के इतने करीब,
सोचे हम क्या है हमारा नसीब !

Monday, January 9, 2012

चाँदनी रात

चाँदनी रात,
महकी हुई फिज़ा,
रोशनी छायी !

प्रतिबिम्ब सा,
अद्भुत नज़ारा,
खोए हुए नयन !

प्रकाश छाये,
अँधेरा उज्जवल हो,
करूँ प्रतीक्षा !

जीवन मेरा,
तुम बिन अधूरा,
तन्हा-सा लगे !

देखूँ चाँद को,
रात गुज़र जाये,
खालीपन-सी !

सोचती रही,
बाहें फैलाये तुम,
कब आओगे !

गहरे पल,
ख़्वाब अधूरा रहा,
नशा-सा लगे !

चाँद का रूप,
तलाशती अँखियाँ,
बरस पड़ी !

Tuesday, January 3, 2012

नव वर्ष

ये नव वर्ष,
नया रंग ले आए,
ख़ुश्बू फैलाये !

मिलके रहें,
सबको खुशियाँ दें,
करे बैर !

रिश्ते निभाए,
अपनापन बढ़े,
साथ छूटे !

नया दिन हो,
नयी सोच के साथ,
कदम चलें !

ख़्वाब हो पूरे,
अरमां जो दिल के,
पीछे हटें !

झूम रहे हैं,
सारे जहाँ के लोग,
मस्त मगन !

मुस्काएँ सभी,
कली जैसे हैं खिले,
पूरी दुनिया !

सबके संग,
आओ करें स्वागत,
नव वर्ष का !

Saturday, December 24, 2011

मोहब्बत भरी ज़िन्दगी

कभी करती है आँख मिचौली,
कभी सजाये सपनों की डोली,
शरारत उम्र भर करती ही रहती,
है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी !


कभी खुशियों का मेला लगता है,
कभी जीवन झमेला लगता है,
कभी चुराए हमसे ये नज़र,

है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी !

अपनों से जुदा कर देती है,
आँखों में पानी भर देती है,
कोई कितनी शिकायत करेगा,

है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी !

दूर ये हो तो गम होता है,
आँखों का दरिया नम होता है,
ख़ुद अपनी मर्ज़ी से चलती है,

है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी !

आँसूं भी हो तो पी लेते हैं,
पल दो पल ख़ुशी से जी लेते हैं,
पलभर न रोका हमें कभी,
है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी !

कभी पास है तो कभी दूर है,
इसकी नज़ाकत भी नूर है,
जीना भी हमको सिखाती है ये,
है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी !

ज़िन्दगी गुज़र जाये तकरार में,
बेहतर है ये गुज़र जाये प्यार में,
इतनी इजाज़त है ज़िन्दगी से,
है ये मोहब्बत भरी ज़िन्दगी !

Sunday, December 18, 2011

वर्षा ऋतु

भीषण गर्मी,
तपती है धरती,
है परेशान !

नभ की ओर,
आँखें लगाए सभी,
करते दुआ !

वर्षा की रुत,
सूखा पड़ा है खेत,
किसान दुखी !

मेघ गरजा,
मुसलाधार वर्षा,
धरा मुस्काई !

झूमता मन,
रिमझिम के गीत,
गुनगुनाए !

शीश झुकाए,
वर्षा ऋतू में तरु,
हरे-भरे से !

चमक उठे,
चेहरे हैं सबके,
बौछार पड़ी !