आरज़ू कहीं दूर वादियों में, काश हम तुम होते, बेपन्हा मोहब्बत की कशिश, हम दोनों आँखों से कहते ! जो देखना चाहे हमें देखे, न करें हम किसीकी परवाह, हम दोनों हो जाएँ चलो, कुछ देर के लिए गुमराह ! आरज़ू थी तुमसे मिलने की, तुम्हें पाया है हमने आज, कैसे करूँ अपने ख़ुशी का इज़हार, मेरा दिल झूम उठा है आज ! तुमसे दो घड़ी हुई जो बात, लगा जैसे पाया है उम्रभर साथ, हो जाएँ एक दूजे के इतने करीब, न सोचे हम क्या है हमारा नसीब ! |
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Monday, January 16, 2012
Posted by Urmi at 2:07 AM
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36 comments:
खुबशुरत अहसासों की बहुत अच्छी प्रस्तुति,बेहतरीन पोस्ट
welcome to new post--काव्यान्जलि --हमदर्द-
beautiful and romantic..
आपकी कविताओं की खासियत उनकी मासूमियत होती है!! यह भी उसी श्रेणी में है!!
Waah..!!
Bahut khoob, shaandaar.
बहुत खूबसूरत कविता| धन्यवाद|
उम्दा प्रस्तुति...
khoobsoorat naseeb!!
प्रेम में मिलन पक्ष को बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने.
जो देखना चाहे हमें देखे,
न करें हम किसीकी परवाह,
हम दोनों हो जाएँ चलो,
कुछ देर के लिए गुमराह !
ऐसा लगता है जैसे आत्मा का परमात्मा से
मिलन हो रहा हो.
शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
क्षमा चाहता हूँ ,उर्मी जी देर से आ पाया आपके ब्लॉग पर.यहाँ सब कुशल से हैं.आपके कुशल मंगल की भगवान से प्रार्थना करता रहता हूँ.
अभी मकर सक्रांति पर आपके दूसरे ब्लॉग पर
नई पुरानी हलचल से आया था.
बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ आपको और आपके समस्त परिवार को.
एहसास बिखेरती सुन्दर रचना ...
मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
सुन्दर एहसास जगाती रचना .
Behad sundar aarju hai Urmiji:)
Visit my blog
arju padhane ke bad ....badhai dene ke liye bhi ....aarju ho hi gayee ...badhai urmi ji .
short and beautiful!!
प्यार की निश्छल अभिव्यक्ति...
romantic and lovely poem
really touching....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
आरजू ऐसी ही होती है।
मासूम जज्बातो की खूबसूरत अभिव्यक्ति...सुन्दर..
URMI JI APKI RACHANA ME DARD YUN HI CHHALK JATA HAI .....GAZAB KI PRASTUTI ...BADHAI ......MERE NAYE POST PR AMANTRAN SWEEKAREN
Dear,
In your recipe blog i am not able to comment....its getting hanged up...Please can u change the setting of comment box to pop up window....
thank u so much dear...
U have got so many lovely blogs....great
बहुत सुन्दर रचना है।
आदरणीय उर्मी जी, क्षमा माँगते हुए सादर प्रणाम।
नेट में खराबी होने के कारण आपके ब्लॉग पर नहीं
आ सका।
आपकी कविता बहुत ही सुन्दर है। खासतौर पर अंत
की पंक्तियाँ तो लाजबाव हैं। नश्चित ही सराहनीय।
क्या यही गणतंत्र है
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ |
दो घड़ी वो जो पास ,आ बैठे ,
हम ज़माने से दूर ,जा बैठे .ऐसा ही होता है इजहारे मोहब्बत में अच्छी प्रस्तुति रही आपकी .
prem ko jis tarah chhuaa hai aapne, adbhut hai. itni sundar prastuti ke liye badhai
पहली बार आया आपके ब्लॉग पर शायद । अच्छा लगा । प्यार के संवेदनाओं से सजी सुन्दर रचना ।
बसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । मेरे ब्लॉग "मेरी कविता" पर माँ शारदे को समर्पित 100वीं पोस्ट जरुर देखें ।
"हे ज्ञान की देवी शारदे"
तुमसे दो घड़ी हुई जो बात,
लगा जैसे पाया है उम्रभर साथ,
मासूम सादगी.....सराहनीय.....
भावपूर्ण और प्यारी कविता|
कमाल की अभिव्यक्ति, पढ़ते पढ़ते मंत्रमुग्ध हो गया, बहुत सुन्दर, बेहतरीन, लाजवाब!
आपली लाविताएं अनोखी होती हैं.. बहुत अच्छी!
'विरह - व्यथा' की भावपूर्ण अभिव्यक्ति - बधाई.
तुमसे दो घड़ी हुई जो बात,
लगा जैसे पाया है उम्रभर साथ,
वाह... दो घडी ही काफी है सुख की... खूबसूरत अहसास
मेरा विचार है कि यह कविता फिल्म में गीत की तरह प्रयोग की जा सकती है. बहुत खूब लिखा है.
बहुत सुंदर प्रस्तुती। मेरे ब्लॉग http://santam sukhaya.blogspot.com पर आपका स्वागत है. अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराये, धन्यवाद
बहुत सुंदर ! जितनी सार्थक रचना उतनी ही कलात्मक ! शुभकामनायें !
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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