वक्त नहीं हर खुशी है लोगों के दामन में, पर एक हँसी के लिए वक्त नहीं, दिन रात दौड़ती दुनिया में, ज़िन्दगी के लिए ही वक्त नहीं! माँ की लोरी का एहसास तो नहीं, पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं, सारे रिश्तों को तो हम मार चुके, अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं ! सारे नाम मोबाइल में है, पर दोस्ती के लिए वक्त नहीं, गैरों की क्या बात करें, जब अपनों के लिए ही वक्त नहीं ! आंखों में है नींद बड़ी, पर सोने का वक्त नहीं, दिल है गमों से भरा हुआ, पर रोने का भी वक्त नहीं ! पैसों की दौड़ में ऐसा दौड़े, की थकने का भी वक्त नहीं, पराये एहसासों की क्या कद्र करें, जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नहीं ! तू ही बता ए ज़िन्दगी, इस ज़िन्दगी का क्या होगा, के हर पल मरने वालों को, जीने के लिए भी वक्त नहीं !! |
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Sunday, August 30, 2009
Posted by Urmi at 7:20 PM
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30 comments:
जिन्दा दिलों को आज भी जीने का ह्क़ नही।
अश्कों को गम के दौर में, पीने का हक़ नही।
सीने फटे हुए हैं, जुल्म के समाज में-
बेटे को बाप का कफ़न सीने का हक़ नही।।
उर्मि जी।
बहुत सुन्दर कविता है आपकी।
बधाई!
कितना बढ़िया लिखा है आपने मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता...सच में सोचने को मजबूर करती है आपकी रचना !!!!!!!!! इस बेहतरीन रचना के लिए कुंदन की ओर से लाख लाख शुक्रिया आप ऐसे ही लिखते रहो बबली जी !!!!
once again a very nice composition....
great work....
सही बात बबली जी , सारे नाम मोबाइल में है पर दोस्ती के लिए वक़्त नहीं !
पंकज
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं !
adbhut!
अच्छी कविता है बबली , यह विचार भी उम्दा है जिसका सही निर्वाह यहाम हुआ है तीसरे स्स्टांझा से जब और पाँचवे से जब अपने शब्द हटा दें शिल्प सही हो जायेगा -शरद कोकास
हालात चाहे जो हों...जब हम दिल से किसी को पसन्द करते हैं तो उसकी रचनाओं को पढने का वक्त तो निकाल ही लेते हैं..........जब किसी भी चीज़ के लिए वक्त नहीं होता ज़िन्दगी के लिए वक्त होता है........बस इसीलिए हम सब ज़िन्दा हैं.......अच्छी-सी कविता के लिए बधाई..
umda vichar hai babli,per plz kai jaghaper jaise ye " jab " alfaz mere khyal se kuch thik nahi hai plz agar ho sake to ise hata de ....
" paraye ehsaso ki kya kadra kare,
apane sapno ke liye hi waqt nahi"
----- eksacchai {AAWAZ }
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nice
hummmm pahli baar apke is blog par aaya hu ....wahhh yaar kya kavita hai...sath aapka picture combination hamesha ki tarah best....good job yaar
आंखों में है नींद बड़ी,
पर सोने का वक्त नहीं,
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं
बहुत सुन्दर सत्य बधाइ
उर्मी जी आपने इस कविता में कड़वा सच बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है...ये एक ऐसा सत्य है जिसे मानने को मन नहीं करता लेकिन सत्य तो सत्य है...हम अपने जीवन का उद्धेश्य ही भूलते जा रहे हैं . इस अंधी दौड़ में क्या खो रहे हैं ये भी जानने का वक्त नहीं है हमारे पास...इस निर्मम सत्य को उजागर करती आपकी ये रचना कमाल की है....वाह.
आपका ब्लॉग और उसपर लगाये चित्र आपकी परिष्कृत रूचि को दर्शाते हैं...बहुत ही सुन्दर....बधाई..
नीरज
माँ की लोरी का एहसास तो नहीं,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं,
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं !
लाजवाब और कटु सत्य !!
बढ़िया लिखा है आपने. continue with it
बहुत ही सुंदर कविता लिखी है...
आप समझ रही होंगी कि मेरे पास लिखने का काम तो है पर लिखने का वक़्त नहीं.
बहुत अच्छे.
हाँ, इसी का इंतज़ार था आपकी ओर से... बहुत ही मनमोहक पृष्ट-भूमि है और कवितायेँ भी सच्ची और सुन्दर हैं...
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जिंदगी के बहाने बहुत गहरी बातें बयां कर दी आपने।
( Treasurer-S. T. )
सहज सरल शब्दों में बड़ी बात -यह मनुष्य का मशीनी अवतरण है !
यही आज के जीवन की सच्चाई है..
बहुत सुन्दर कविता है...दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं !....
सच में बहुत विरोधाभास हैं जीवन में। साधन बढ़ गये और उत्तरोत्तर साध्य गुम होता गया है!
bahut khoobsurat andaaz he/ marmsparshi rachna/
उर्मी जी,
तू ही बता ए ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
के हर पल मरने वालों को,
जीने के लिए भी वक्त नहीं !!
बहुत अच्छा फलसफ़ा लगा और कविता भी।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत प्यारा सवाल है। सुंदर अभिव्यक्ति।
{ Treasurer-S, T }
zindagi yun bhaag rahi hai ki zindagi ko samajhne ka waqt nahi.......yahi dukhad satya hai
"पैसों की दौड़ में ऐसा दौड़े,
की थकने का भी वक्त नहीं,
पराये एहसासों की क्या कद्र करें,
जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नहीं !"
ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं...बहुत बहुत बधाई...
BAHUT KHOOB LIKHA AAPNE HAR KHUSHI HEYN LOGO KEDAAMAN ME , PAR EK HASI KE LIYE WAKT NAHI. AAJ PAISE KE PEECHE PAGAL HUE LOGO KA JO SATEEK CHITRAN AAPNE KIYA HEY KAABILE TARRIF HEY.ASHOK KHATRI
क्या बात है बहुत खुब\
बेहतरीन ... बेहतरीन.
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दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं !
क्या बात है बहुत खुब\
बेहतरीन ... बेहतरीन.
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