बारिश गड़गड़ गरजने लगा है बादल, आंधी तूफानों से है हलचल, टिपटिप बरसने लगा है पानी, आयी है देखो वर्षा रानी ! नन्हे नन्हे पंछी बेचारे, भटक रहे थे प्यास के मारे, झुलस रहे थे गर्मी में सारे, झूम उठे जब पानी बरसे ! सूखे पौधे अब हुए हरे-भरे, मुरझाये फूल अब खिलने लगे, छोटे बच्चे कागज़ के नाव बनाते, पानी में तैरते देख खिलखिलाते ! मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू, ले गयी जीवन की हर आरज़ू, छमछम बरसे पानी की बूँदें, अब बारिश के सिवा न कुछ सूझे ! होठों पर मुस्कान की आनाकानी, मस्त पवन है करती मनमानी, धिन धिनक धिन दिर दिर धानी, रिमझिम रिमझिम बरसा पानी ! |
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Tuesday, July 27, 2010
Posted by Urmi at 8:46 PM
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22 comments:
mausam ke anuroop bahut hi manbhavan kavita likhi hai aapne... sach, man hara-bhara ho gaya...
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बढ़िया कविता है ..... सच है बारिश में हर किसी का मन झूमने लगता है ! चाहे किसी भी उम्र के क्यों ना हो आप ...........बारिश के दिनों में आप बच्चे ही बने रहना चाहते है !
क्या बारिश की याद दिला दी। अब यहां तो गर्मी पड़ रही है। कविता काफी अच्छी बन पड़ी है। बच्चों के लिए तो एकदम मनमाफिक............
That was a nice kavita. I last read kavita when I was in school and it is through your blog I started it again.
होठों पर मुस्कान की आनाकानी,
मस्त पवन है करती मनमानी,
धिन धिनक धिन दिर दिर धानी,
रिमझिम रिमझिम बरस रहा है पानी !
...bahut badhiya kavita.
नमस्कार जी...
गरज चमक ले कर के आई...
बरखा रिम झिम गिरता पानी.....
नभ पर हैं घन घोर घटायें...
बरखा की देखो मनमानी...
खेत और बंजर एक कर दिए...
नदियों में आई उमंग...
जीवन में सूखा हरने से...
सुखद हुई मन की तरंग...
हमेशा की तरह सुन्दर अभिव्यक्ति...
दीपक....
बहुत सुंदर रचना ... वाह वाह ...!
वाह...आपकी कविता से सावन की फ़ुहारों का आनंद दुगुना हो गया.
barkha suhani aai re...
badhai..
मनभावन रचना ।
बबली बचिया, हमको त हमेसा तुमरा कबिता पढकर सिसुगीत याद आ जाता है...एकदम नर्सरी राईम!!! दिल खुस हो गया!!
साधे और सरल शब्दों में सुन्दर रचना इसे ही कहते है ,,,,एक मनभावन प्रस्तुति ,,,,बहुत खूब ../ पिछले कुछ दिनों ब्लॉग जगत से दूर रहा ,,,,समय निकालकर पिछली रचनाये भी पढता हूँ ...!!!
बहुत अच्छी कविता।
मन को छू गयी।
kya baat hai...bahut badhiyaa!
बारिश की बूंदों ने भिगो दिया.शुभकामनायें.
yeh khubsurat baarish ka mausam...
bahut hi umdaah....
उर्मि जी, मैंने लाख कोशिश की पर आपके काव्यरस से स्वयं को भीगने से बचा नहीं पाया। बहुत सुंदर वर्षा वर्णन।
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पाँच मुँह वाला नाग?
साइंस ब्लॉगिंग पर 5 दिवसीय कार्यशाला।
sunder rachna hetu abhaar....
मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू,
ले गयी जीवन की हर आरज़ू,
छमछम बरसे पानी की बूँदें,
अब बारिश के सिवा न कुछ सूझे !
bahut hi umda rachna hai !
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