अलग अलग हर इंसान के विचार होते हैं अलग, पूजा करने के तरीके होते हैं अलग ! आसमान में चाँद और जगमगाते तारे हैं अलग, खिलखिलाते सूरज की बात है अलग ! रहन सहन हर किसीके है अलग, बात करने के ढंग है सबके अलग ! नेताओं के लम्बे चौड़े भाषण की बात है अलग, अपने वादे से मुकड़ जाने में है सबसे अलग ! माँ पिताजी के भरपूर प्यार की बात है अलग, भाई बहन का अटूट प्यार है अलग ! मेहनत मज़दूरी करके गरीब हैं अलग, दौलत के अहंकार में अमीर होते हैं अलग ! घर में मिलजुलकर रहने की बात है अलग, अपनापन बनाये रखने में है बात अलग ! मुश्क़िलों का सामना करने की बात है अलग, धैर्य और हिम्मत से सुलझाने की बात है अलग ! |
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Tuesday, June 1, 2010
Posted by Urmi at 6:25 AM
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15 comments:
वाह, बहुत ही सुन्दर, कुछ इसी तरह की एक रचना मैंने भी लिखी थी, जल्द ही ब्लॉग पर दूंगा!
बहुत अच्छी रचना।
अऊर ई सब से तुम्हारा अंदाज़ ए बयाँ अलग!!!
उर्मी जी.... एक सुन्दर सी रचना में बहुत कुछ अलग-अलग समेट रखा है ....हर पहलू मौजूद है इस कविता में ,,,,,इस बार तारीफ में कोई उपयुक्त शब्द नहीं चुन पा रहा हूँ ...बस एक शब्द में कहूँगा तो ' अद्दभुत '
बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.
aapka likhney ka andaz bhi hai alag..achchi rachna....
नेताओं के लम्बे चौड़े भाषण की बात है अलग,
अपने वादे से मुकड़ जाने में है सबसे अलग !
....वाह, बहुत ही सुन्दर.
Hi..
Alag alag hai dunia main sab,
Alag alag hain sab parivesh..
Alag dhara abhivayakti ki hai..
Alag hain sabke raag aur dwesh..
Sundar kavita..
DEEPAK..
वाह, बहुत ही सुन्दर बहुत अच्छी लगी ये रचना
बहुत अच्छे से सारे अलग अलग एहसासों को लिखा है....और ये सब अलग अलग मिल कर एक व्यक्तित्व बना लेते हैं...
वाह, बहुत ही सुन्दर.........
बबली जी की शायरी का
अन्दाज है अलग ।
कविता करने का आगाज है अलग ।
खाना मसाला का स्वाद है अलग ।
अति सुन्दर रचना का धन्यवाद है अलग ।
yah to sach baat kahi ,andaaz apna -apna ,khyaal apna -apna
बहुत अच्छी कविता .. मुझे तो बहुत पसंद आई.
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कल 7 जून को 'पाखी कि दुनिया' में समीर अंकल जी की प्यारी सी कविता पढना ना भूलियेगा.
ALAG<ALAG kitnaa achchhaa likhaa hai ,aatmaa prasann ho gai,aise hi likhte raho,
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