अत्याचार पर आवाज़ वर्षों पहले हुआ, देश स्वतंत्र हमारा ! महिलाओं पर अत्याचार बदस्तूर जारी है! नारी नहीं है अबला, हर मुश्क़िलों का करती डटकर मुकाबला ! अब महिलायें कठपुतलियों की तरह नहीं नाचेगी ! दहेज न देने पर अत्याचार भी नहीं सहेगी ! मत समझो दयनीय, चैन से, सुखपूर्वक, जीने दो हमें, अपना संसार बसाये ! अब रोज़-रोज़ महिलाओं पर उत्पीड़न नहीं होगा नहीं होगा ! |
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Saturday, August 28, 2010
Posted by Urmi at 8:46 AM
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21 comments:
कवयित्री का व्यापक सरोकार निश्चित रूप से मूल्यवान है!
हम भले ही इक्कीसवीं सदी में जी रहें हो लेकिन जो इस कविता में वर्णित है उस सच्चाई से इन्कार नहीं कर सकते।
अच्छी पोस्ट है ....
एक बार इसे भी पढ़े , शायद पसंद आये --
(क्या इंसान सिर्फ भविष्य के लिए जी रहा है ?????)
http://oshotheone.blogspot.com
Very nice and strong words,conveying a big message !!
Keep it up...
अति सुन्दर रचना। बधाई
जो बात कहा गया है उससे कोनो असहमति हो भी नहीं सकता है...
आपके स्वर में हम भी अपना स्वर मिला देते हैं!
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अब रोज़-रोज़
महिलाओं पर उत्पीड़न
नहीं होगा नहीं होगा !
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उर्मी जी नमस्कार! संसार स्री को देवी मानता है तो फिर उसका अपमान और उत्पीड़न क्यूँ?.....आपने इस ज्वलंत समस्या को बहुत ही नायाब और सशक्त तरीके से व्यक्त किया हैँ।बधाई! <" पहले था इंसान देवता, क्यूँ बना दिया हैवान अब इस इंसान को? कर्म यही रहा इंसान गर तेरा, तरस जायेगा तूँ नाज्मी के दीदार को।।"> -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।...........गजल पर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
बहुत सुन्दर, बेहतरीन!
urmi bhn bhut khub naari nhin he abla shi baat he lekin hqiqt men to kai saalon se smaaj men yhi ho rhaaa he . akhtar khan akela kota rajsthan
अब महिलायें
कटपुतलियों की तरह
नहीं नाचेगी !
दहेज न देने पर
अत्याचार भी नहीं सहेगी ! बब्ली जी, बहुत सामयिक और जागरूकता लाने वाली है आपकी कविता---सच में हमें ही अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों का विरोध करना होगा।
बहुत सुंदर रचना .रचना से ज़्यादा उसकी भावना .अब अत्याचार बंद होना ही चाहिए .
बहुत ही उम्दा रचना , लगातार अच्छी रचना प्रस्तुति के लिए बधाई ।
बेहद उम्दा रचना .....एक नयी उम्मीद जगाती हुयी !
अच्छी प्रस्तुति,
सर्वप्रथम आपका तहे दिल से शुक्रिया अपनी बहुमूल्य टिप्पणी और समय देने के लिए,
साथ ही उत्साह वर्धन तथा ब्लॉग अनुगमन के लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद !!
My wife will become big fan of you when she reads it later tonight.
You are a professional. IMO, you shoudl publish a book.
अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद न करना भी अपराध है।
..कटपुतलियों ...कठपुतलियाँ
आज की नारी के भावों को आपने बड़ी खूबी से शब्दों में ढाला है.
अति सुन्दर रचना।
awesum !!!
I must say u have created a very nice place here !!!
Beautiful !!!
The poem is awesum !!!
The thoughts expressed are beautiful !!!
Happy Blogging and take care !!
The message is well expressed.
I have written a story on this in my blog. Check it out and there is contest to end the story too.
Try to participate.
http://niveditaskitchen.blogspot.com/2010/08/urad-dal-vada-repentance-and-contest.html
आपने अपनी कविता में नारी की व्यथा-कथा का सुन्दर चित्र प्रस्तुत किया है.अच्छे लेखन के लिए बधाई.परन्तु ये सिक्के का एक पहलू है.इसके दूसरे
पहलू पर भी कभी विचार करें. इस सन्दर्भ में अपना २ दोहा प्रस्तुत है:-
नारी नारी का सदा, करती मिली विरोध.
लेकिन नारी को नहीं,हुआ है इसका बोध.
xxxxxxxx
बहुओं को ही झेलना, है पीड़ा - संत्रास .
कभी किसी स्टोव से,भला जली है सास ?
कुँवर कुसुमेश(Poet)
visit : kunwarkusumesh.blogspot.com
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