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Tuesday, January 19, 2010





तितली

हाथों में लेकर किताब,
देख रही थी मैं ख़्वाब,
आयी अचानक कहाँ से उड़ती हुई,
और मैं बस उसे देखती रही !

रंग बिरंगी सुन्दर सी तितली,
देखकर शर्मा गयी बिजली,
मंडराने लगी मेरे दिल के कमरे में,
बिखर के रंग सारे वो प्यारी तितली !

ज़न्नत से उतरी थी शायद ये तितली,
आखों में मेरी बस गयी थी ये तितली,
देखकर ऐसा लगा जैसे,
पतझड़ में बहार आयी !

सुन्दरता से निखरी हुई ये तितली,
पलक झपकते ही उड़ गयी,
ऐसा लगा जैसे,
रंगों भरी ज़िन्दगी अब बेरंग हो गयी !





20 comments:

gazalkbahane said...

तितली,jaisi sunder abhivyakti badhaayeee
ज़न्नत से उतरी थी शायद ये तितली,
आखों में मेरी बस गयी थी ये तितली,
देखकर ऐसा लगा जैसे,
पतझड़ में बहार आयी !

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

arey aisa na karein abbli ji...

aapki zindagi ki kitaab hamesha rang birangi rahey yehi meri kaamna hai...

SACCHAI said...

" behad khubasurat rachana ..aur aapko hamari aur se dhero badhai .


----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Unknown said...

waah waah !
titli ko maadhyam bana kar aapne bahut hi khoobsoorti se jivan ke jheene jheene parde hata kar antarman ka saakshaatkaar kara diya hai..

badhaai !

abhinandan !

Arvind Mishra said...

अब ऐसी भी क्या मायूसी ..फिर आया बसंत और आयेगीं तितलियाँ !

Apanatva said...

nice poem.

Mithilesh dubey said...

bahut khub, es lajwab rachna ke liye bahut-bahut badhai.

रावेंद्रकुमार रवि said...

सच्चे मन से प्रतीक्षा कीजिए,
दूसरी तितली भी आएगी!

--
"सरस्वती माता का सबको वरदान मिले,
वासंती फूलों-सा सबका मन आज खिले!
खिलकर सब मुस्काएँ, सब सबके मन भाएँ!"

--
क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
--
संपादक : सरस पायस

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत सुंदर, चित्र भी और कविता भी।
--------
औरतों के दाढ़ी-मूछें उग आएं तो..?
ज्योतिष के सच को तार-तार करता एक ज्योतिषाचार्य।

संजय भास्‍कर said...

behad khubasurat rachana ..aur aapko hamari aur se dhero badhai .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

रंग बिरंगी सुन्दर सी तितली,
देखकर शर्मा गयी बिजली,
मंडराने लगी मेरे दिल के कमरे में,
बिखर के रंग सारे वो प्यारी तितली !

सुन्दर तितली रंग बिरंगी,
मन को बहुत लुभाती।
जो तुमसे आकर कह जाती,
वह मुझको बतलाती!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

titlee ke liye itne sundar shabd! padh kar achchha lga.........:)

Pushpendra Singh "Pushp" said...

तितलियों पर सुन्दर कविता
बहुत बहुत आभार ..............

Pushpendra Singh "Pushp" said...

titli par sundar kavita
badhai

Tomz said...

the picture on the header is very beautiful

संजय भास्‍कर said...

गणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएं

सुशील कुमार जोशी said...

आपको और आपके परिवार को और तितली को भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

Kusum Lohani said...

सुन्दर तितली !!

आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

निर्मला कपिला said...

बबली जी इस ब्लाग को तो देखा ही नहीं बहुत सुन्दर कविता है तितली जैसी बधाई आपको

डिम्पल मल्होत्रा said...

aap videsh me rah ke bhi hindi me likhti hai jan ke achha lgta hai..keep writing.