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Friday, October 16, 2009



शुभ दीपावली

अब खत्म हुआ इंतज़ार की घड़ी,
हर तरफ़ खुशियों की लहर चल पड़ी,
घर के द्वार पर खूबसूरती से सजी है रंगोली,
चमचम करती आई रे आई है देखो दिवाली !

मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना,
जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना,
सारे दुःख दर्द को भुला देना,
मन में उमंग और तरंग लिए दिवाली मनाना !

यहाँ वहां जहाँ भी नज़रें फेरो,
जगमगाते हुए दीप जलते देखो,
लड्डू बर्फी और तरह तरह की है मिठाइयां,
सबके चेहरे पे झलक रही है खुशियाँ !

फुलझरी की ताड़ताड़ संग किलकारियां,
हर तरफ़ है सिर्फ़ रोशनी ही रोशनियाँ,
झूमते नाचते गाते खिलखिलाते सभी,
आयो मिलकर हम मनाये दिवाली अभी !







12 comments:

मनोज कुमार said...

बहुत खूब। आपने दीपावली की जो तैयारी की है वह आपकी कविता में भी झलकती है। दीपावली की ढ़ेरों शुभकामनाएं।

डिम्पल मल्होत्रा said...

स्वर्ग न सही धरा को धरा तो बनाये..
दीप इतने जलाएं की अँधेरा कही न टिक पाए..
इस दिवाली इन परिन्दों के लिए पटाके न चलायें....

विजयप्रकाश said...

सुंदर, आपने तो दीपावली का खाका खीच दिया है.
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं.

संजय भास्‍कर said...

दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...जो भी हो जैसी भी हो आपकी रचना अच्छी लगती है..बधाई!!!

SACCHAI said...

मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना,
जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना,
सारे दुःख दर्द को भुला देना,
मन में उमंग और तरंग लिए दिवाली मनाना !

" bahut hi accha taal mel sabdo ka paya humne yaha ..khasker ye lino me aapne jis tarha se sukh dukh ko bhulker dip ...yaaane maan me ek aash ko jivit rakhker dipawali manane ki baat kahi hai vo kabile tarif hai "

" maafi chahta hu ki deri se aya hu ....magar meri badhai kabul kare "

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

M VERMA said...

दीपावली को बहुत खूबसूरती से समेटा है.
बहुत अच्छा लगा.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
युग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

शरद कोकास said...

हमे तो यह जानना है कि आपने दीवाली कैसे मनाई ?

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत खूब. दीपावली की शुभकामनायें.

KAVITA said...

मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना,
जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना,
Bahut achha मुस्कुराते और हँसते rahane main hi jindagi ka raj hai.
Deepawali ki hardik badhai.

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब.

CSK said...

आपकी भावनाओं ने मेरे दिल की लहरों को एक नई उर्जा प्रदान की है जिससे मैं और सुनने को उत्सुक हूँ ..उत्सुक हूँ आपके मनन के ज्वार में खुद को डुबो देने की अनुभूति के लिए ..आशा है आप इसी तरह लिखकर मेरा उत्साह और उत्सुकता दोनों ही बढाती रहेंगी ...क्यूंकि आपकी कविताओं के भाव मुझे भी उस विषय पर अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करने की इच्छा जागृत करते हैं ....

यह वही अमावस है जिसमे अँधेरा जग में छाता है..
पर अँधेरे से निकल तभी दीपक रोशन सा आता है..
सबकी दुनिया को दे ज्योति
खुशियों का राग सुनाता है..
ऐसे हो जग जगमग सबका हर पल ये वो समझाता है...
इस दीवाली में दिल अपना यूँ सूना-सूना सा लागे,
पर होठों पे मुस्कान तेरी मन को मेरे शीतल लागे...
अब रब से बस इतना कह दूं ये दुआ हमारी सुन लेना..

चम्पक
के सब मित्रों को तू शुभ-दीवाली कह खुश रखना..

--आपसे एक गुजारिश है कि आप मेरे ब्लॉग पर स्त्री-विमर्श पर लिखी कविता एक बार ज़रूर पढें क्यूंकि मैंने नारी को केंद्र में रखकर ही यह कविता लिखी है...सधन्यवाद..
---चम्पक