शुभ दीपावली अब खत्म हुआ इंतज़ार की घड़ी, हर तरफ़ खुशियों की लहर चल पड़ी, घर के द्वार पर खूबसूरती से सजी है रंगोली, चमचम करती आई रे आई है देखो दिवाली ! मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना, जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना, सारे दुःख दर्द को भुला देना, मन में उमंग और तरंग लिए दिवाली मनाना ! यहाँ वहां जहाँ भी नज़रें फेरो, जगमगाते हुए दीप जलते देखो, लड्डू बर्फी और तरह तरह की है मिठाइयां, सबके चेहरे पे झलक रही है खुशियाँ ! फुलझरी की ताड़ताड़ संग किलकारियां, हर तरफ़ है सिर्फ़ रोशनी ही रोशनियाँ, झूमते नाचते गाते खिलखिलाते सभी, आयो मिलकर हम मनाये दिवाली अभी ! |
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Friday, October 16, 2009
Posted by Urmi at 7:36 AM
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12 comments:
बहुत खूब। आपने दीपावली की जो तैयारी की है वह आपकी कविता में भी झलकती है। दीपावली की ढ़ेरों शुभकामनाएं।
स्वर्ग न सही धरा को धरा तो बनाये..
दीप इतने जलाएं की अँधेरा कही न टिक पाए..
इस दिवाली इन परिन्दों के लिए पटाके न चलायें....
सुंदर, आपने तो दीपावली का खाका खीच दिया है.
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं.
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...जो भी हो जैसी भी हो आपकी रचना अच्छी लगती है..बधाई!!!
मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना,
जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना,
सारे दुःख दर्द को भुला देना,
मन में उमंग और तरंग लिए दिवाली मनाना !
" bahut hi accha taal mel sabdo ka paya humne yaha ..khasker ye lino me aapne jis tarha se sukh dukh ko bhulker dip ...yaaane maan me ek aash ko jivit rakhker dipawali manane ki baat kahi hai vo kabile tarif hai "
" maafi chahta hu ki deri se aya hu ....magar meri badhai kabul kare "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
दीपावली को बहुत खूबसूरती से समेटा है.
बहुत अच्छा लगा.
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
युग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
हमे तो यह जानना है कि आपने दीवाली कैसे मनाई ?
बहुत खूब. दीपावली की शुभकामनायें.
मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना,
जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना,
Bahut achha मुस्कुराते और हँसते rahane main hi jindagi ka raj hai.
Deepawali ki hardik badhai.
बहुत खूब.
आपकी भावनाओं ने मेरे दिल की लहरों को एक नई उर्जा प्रदान की है जिससे मैं और सुनने को उत्सुक हूँ ..उत्सुक हूँ आपके मनन के ज्वार में खुद को डुबो देने की अनुभूति के लिए ..आशा है आप इसी तरह लिखकर मेरा उत्साह और उत्सुकता दोनों ही बढाती रहेंगी ...क्यूंकि आपकी कविताओं के भाव मुझे भी उस विषय पर अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करने की इच्छा जागृत करते हैं ....
यह वही अमावस है जिसमे अँधेरा जग में छाता है..
पर अँधेरे से निकल तभी दीपक रोशन सा आता है..
सबकी दुनिया को दे ज्योति
खुशियों का राग सुनाता है..
ऐसे हो जग जगमग सबका हर पल ये वो समझाता है...
इस दीवाली में दिल अपना यूँ सूना-सूना सा लागे,
पर होठों पे मुस्कान तेरी मन को मेरे शीतल लागे...
अब रब से बस इतना कह दूं ये दुआ हमारी सुन लेना..
चम्पक
के सब मित्रों को तू शुभ-दीवाली कह खुश रखना..
--आपसे एक गुजारिश है कि आप मेरे ब्लॉग पर स्त्री-विमर्श पर लिखी कविता एक बार ज़रूर पढें क्यूंकि मैंने नारी को केंद्र में रखकर ही यह कविता लिखी है...सधन्यवाद..
---चम्पक
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