आंखें सागर से भी गहरी है ये आंखें, जो बिन बोले सब कुछ कह देती है, जब लब पे बात आकर रूक जाती है, तब मन की हर बात कह देती है ये आंखें ! कभी खुशी झलकती है इन आँखों में, कभी आंसू बनकर बरस पड़ती है, कभी मासूमियत से भरी होती है, पल पल रंग बदलती हैं ये आंखें ! कोई ढूंढें इन आँखों में दिल का करार, तो कोई ढूंढें उनमें अपना प्यार, दिखती है किसीको जन्नत इसमें, तो किसीको नज़र आती है सिर्फ़ नफ़रत ! |
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Tuesday, October 27, 2009
Posted by Urmi at 3:37 PM
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19 comments:
खुबसुरत कविता...
Kitna acha likha hai apne ankho ke bare me !! Yeh kavita hridaya to chu gayi.Itni achi kavita ke liye badhai..Unseen Rajasthan
Sagar se gehri aankhe
खुबसुरत कविता...
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
उर्मी जी,
जी हाँ, आँखों में समायी हुई दुनिया को आज महसूस किया कविता में।
" पल पल रंग बदलती हैं ये आंखें !"
यह पंक्तियाँ हमारे सारे क्रिया-कलापों का कच्चा-चिट्ठा खोल रही हैं, आँखें बोलती हैं... सच ही है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
कोई ढूंढें इन आँखों में दिल का करार,
तो कोई ढूंढें उनमें अपना प्यार,
दिखती है किसीको जन्नत इसमें,
तो किसीको नज़र आती है सिर्फ़ नफ़रत !
आंखों को लेकर लिखी गयी सुन्दर रचना---आंखों को लेकर मैनें भी पिछले साल एक कविता 23-11-08 को पोस्ट की थी।मौका लगे तो पढ़ियेगा।
शुभकामनाओं के साथ।
पूनम
पल पल रंग बदलती हैं ये आंखें !
बहुत अच्छे भाव, बड़े मन से लिखी है ये पंक्तियां आपने
Bahut ahhi kavita. Ankhen sabkuch bata deti, bus unki bhasha samajhani ki aawaskata hoti hai.
Badhai.
बबली ,
बड़े सुन्दर भाव . तुम्हारी इस कविता की शान में ........
जो लब नहीं कह पाते वो कह जाती हैं आँखें
जो दिल में छुपा हो वो बता जाती हैं आँखें
आँखों के झरोखों से तो हम देखते दुनिया
दुनिया के कई रंग बता जाती है आँखें .
आँखे बेमिसाल है
ये तो एक खयाल है
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बहुत अच्छी रचना
बस इन आँखों का पानी न मरे कभी ।
आँखें कभी छला करती हैं,
आँखे कभी खला करती हैं।
गैरों को अपना कर लेती-
आँखें कभी गिला करती हैं।।
बबली जी।
आपने सुन्दर भावनाओं से सजी हुई
कविता पेश की है।
बधाई!
आँखों पर लिखी आपकी इस अद्भुत रचना ने मन मोह लिया...अति सुन्दर...
नीरज
Thats a beautiful poem bubli :) i loved it till the end you know..
har baar ki bhanti... is baar bhi ek achhi kavita...
कोई ढूंढें इन आँखों में दिल का करार,
तो कोई ढूंढें उनमें अपना प्यार,
दिखती है किसीको जन्नत इसमें,
तो किसीको नज़र आती है सिर्फ़ नफ़रत !
wah! in panktiyon ne dil chhoo liya.... bahut hi khoobsoorat kavita....
आपकी लेखन की महत्वपूर्णता शायद यही है कि आप बहुत सीधा-सरल लिख देती हैं. बहुत अच्छी रहना.
BEAUTIFUL.........
aankhe to inshan ki mausham se bhi tej badalti hai...bahut khubsurat rachna..
देखो छलक न जाये अब ये जाम तेरी आँखों से...
हमको फंसा न देना कर बदनाम तेरी आँखों से...
लुट जायेंगे सब तेरी चाहत के ये दीवाने...
उन पर लगा न देना अब इल्जाम तेरी आँखों से....!
परवाना सुनता है अब हर नाम तेरी आँखों से...
दीवाना है देख रहा अंजाम तेरी आँखों से...
खुद को साबित करने को हैं बेतरतीब निगाहें..
इनका मत लेना कोई एग्जाम तेरी आँखों से...!
दीवानों का तो है पीना अब "काम" तेरी आँखों से..
उनको तू ये दे देना पैगाम तेरी आँखों से...
के, परवानों का शिद्दत से यूँ दरिया में बह जाना,
कर जाता है घायल क्यूँ ये जाम तेरी आँखों से...?
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