हमारा प्यारा देश यह है हमारा प्यारा देश, देश है खेत खलिहानों से, मज़दूरों से किसानों से, इनमें बसता है हमारा देश, यह है हमारा प्यारा देश ! बच्चों की खिलखिलाहट से, पंछियों की चहचहाहट से, युवाओं की मुस्कुराहट से, इनमें बसता है हमारा देश, यह है हमारा प्यारा देश ! कुछ भूखे हैं कुछ गरीब है, भीख मांगना जिनका नसीब है, यह दुनिया भी अजीब है, इनमें बसता है हमारा देश, यह है हमारा प्यारा देश ! |
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Tuesday, February 2, 2010
Posted by Urmi at 10:43 AM
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12 comments:
जब देश प्यारा हो तो उसकी हर चीज प्यारी लगने लगती है। रूखी-सूखी रोटी भी अमृत सी होती है। आपकी रचना देश पर है और यही वजह है कि वो भी बहुत प्यारी लगी।
is post me aapne apne dil me deshbhakti ke priti jo shradh dikhai hai vo aap aur ham sabhi ke liye gaurav ki baat hai behad hi behatrin rachna babli ji jai hind jai bharat
nice poem .
is desh ki har cheez pyaari hai babli ji!!
बच्चों की खिलखिलाहट से,
पंछियों की चहचहाहट से,
युवाओं की मुस्कुराहट से,...
इन सब में बस्ता है हमारा देश ....... सच है हम तो ऐसा ही देखते हैं अपने देश को ............. अच्छी रचना है ..........
Desh Bhakti ko itne ache vicharo me prastut karne par apko badhai !!
अपने देश की झलक का
आपने निष्पक्षता से वर्णन किया है!
बहुत सुन्दर रचना है!
कुछ भूखे हैं कुछ गरीब है,
भीख मांगना जिनका नसीब है,
यह दुनिया भी अजीब है,
इनमें बसता है हमारा देश.
this is reality of our society;
sundar chitran :)
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
अपने प्यारे देश का दर्शन खूबसूरती से किया है आपने
बहुत सुन्दर
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