बदलता ज़माना कैसा बदल गया है ज़माना, धरम के नाम पर हो रहा है दंगा, जनता को झूठा दिलासा देते हैं नेता, सिर्फ़ लम्बी चौड़ी भाषण है सुनाता ! रिशवत, घुसखोरी और चोरी, इसमें भरा है देश पूरी, चारों ओर है लड़ाई और लूटमार, भाईचारे के नाम पर हो रहा है वार ! जिस देश पर लाखों हुए कुर्बान, नज़र आता है टूटे हुए मंदिर मकान, मासूम लोग देते हैं बलिदान, क्या यही है मेरा भारत महान ! आओ सब मिलकर वतन को बचायें, गरीबी और लाचारी को मिटायें, ले आये हर आंगन में खुशियाँ, बदल दे इस नए ज़माने की रीतियाँ ! |
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Thursday, March 4, 2010
Posted by Urmi at 11:17 PM
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13 comments:
सुंदर कविता. आज के समय की सच्चाई, आम आदमी के आक्रोश, भावनाओं एवं इस स्थिति को बदलने की प्रेरणा सभी को आपने कविता में पिरो दिया है.चित्रों का चुनाव हमेशा की तरह कविता का पूरक है.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 06.03.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
आओ सब मिलकर वतन को बचायें,
गरीबी और लाचारी को मिटायें,
ले आये हर आंगन में खुशियाँ,
बदल दे इस नए ज़माने की रीतियाँ .....
सुंदर कविता.
What a nice and awakening post !! Really fantastic !! Great
कैसा बदल गया है ज़माना,
धरम के नाम पर हो रहा है दंगा,
एक कवि को यह चिंता करनी ही चाहिये तभी कविता के सामाजिक सरोकार स्पष्ट होते हैं ।
बदल दे इस नए ज़माने की रीतियाँ .....
सुंदर कविता.
welcome to the new world
जिस देश पर लाखों हुए कुर्बान,
नज़र आता है टूटे हुए मंदिर मकान,
मासूम लोग देते हैं बलिदान,
क्या यही है मेरा भारत महान !
देश के हालातों पर चिंता व्यक्त करती रचना....सार्थक लेखन
ले आये हर आंगन में खुशियाँ,
बदल दे इस नए ज़माने की रीतियाँ .....
सुंदर कविता.
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
जिस देश पर लाखों हुए कुर्बान,
नज़र आता है टूटे हुए मंदिर मकान,
मासूम लोग देते हैं बलिदान,
क्या यही है मेरा भारत महान !
आज के हालात पर चिंतन लिए हुए एक सार्थक रचना है
एक सुन्दर कविता से मुलाकात हुयी
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काश इस कविता के अल्फाजों का कुछ तो असर हो
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शुभ कामनाएं
कौमी एकता के लिए आपने
सुन्दर रचना प्रस्तुत की है!
विडम्बनाओं का सुन्दर वर्णन!
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