एक बूँद कभी छलके झरनों से, कभी बरसे बादलों से, कभी उछले लहरों से, वो है एक बूँद ! कभी दिखे पत्तों पे, कभी टपके दर्द से, कभी बहे ख़ुशी से, वो है एक बूँद ! कभी छलके मुस्कुराने से, कभी बहे याद आने से, कभी टपके बिछड़ने से, वो है एक बूँद ! |
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Tuesday, March 23, 2010
Posted by Urmi at 9:59 PM
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20 comments:
waah, bahut hi badhiyaa
कभी छलके मुस्कुराने से,
कभी बहे याद आने से,
कभी टपके बिछड़ने से,
वो है एक बूँद !
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
वाह--------- बूंदों का बहुत बारीक अध्ययन और बेहत्रीन प्रस्तुतीकरण्।
nice
बूँद के अनेक रूप दिखा गयी कविता...बहुत खूब..
" bahut hi badhiya " bund " ...kya baat hai ..
कभी छलके मुस्कुराने से,
कभी बहे याद आने से,
कभी टपके बिछड़ने से,
वो है एक बूँद !
aapki lekhani ko salam sister
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
अब कवितायें थोड-ई थोड़ी बड़ी होती जा रही है बधाई ।
कभी छलके झरनों से,
कभी बरसे बादलों से,
कभी उछले लहरों से,
वो है एक बूँद !...बहुत सुंदर
......हेय.......मिथुन दा के शब्दों में क्या बात......क्या बात.....क्या बात.......उर्मी आप अब सचमुच मंझ चली हो.....!!!
आपने बून्द के अस्तित्व को बहुत ही बढ़िया ढंग से परोसा है!
बधाई!
कविता के सागर में आपकी यह बूंद बहुत ही सुंदर है
एक बूंद, कई रूप । बहुत खूब । सुन्दर रचना ।
Bahut khubsurat.
वाह...आपकी बूंद ने मन को आनंद में भिगो दिया, चित्र भी सजीव लगता है मानों बूंद अभी टपक पड़ेगी.
बूंद का फलसफ़ा आपके अंदाज मेँ जाना।विराट का सूक्षम रूप ही तो है बूंद।विराट की लीला अपरम्पार है तो बूंद की लीला का कहां पार?बूंद बूंद से सागर भर जाता है मगर अंतस्थ सागर कभी बूंद बूंद से रीतता नहीँ।खैर!आपके शानदार पर जानदार मुक्तकत पसंद आए। बधाई!
omkagad.blogspot.com
sunder rachna
आप मेरे ब्लाग पर आए ,रचनाएं पढ़ी-सुनी और आपको अच्छी लगी इसके लिए साधुवाद! दूर देश में बैठ कर भी आप हिन्दी की अलख जगाए हैँ इसके लिए आपको सलाम!मेरे ब्लाग पर अपनी फोटो टांगने के लिए आभार। आप राजस्थानी भाषा भी समझती होँगी?
पढ़ने में ही नहीं,
देखने में भी
ख़ूबसूरत लग रही है -
आपकी यह सरस बूँद!
babli ji , deri se aane ke liye maafi chahunga .... aaj aapki bahut si kavitaye padhli hai .. ye mujhe bahut acchi lagi ... waah ji waah .. meri badhai sweekar kariye ...
aabhar aapka
vijay
p.s. - main jaldi ek kavita aapko bhejunga , use aapne bengali me translate karke mujhe dena hai .. main ek naya prayog kar raha hoon ...ek hi kavita ko kayio bhashao me likhna chahta hoon ji ..
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