सुमन नन्ही सी कली खिल गयी जब, रंग के अभिनव जगत से मिल गयी तब, गुदगुदाती है सुगन्धें मन मेरा, मुस्कुराती देखकर तुमको धरा ! रात अपनी पंखुरियों को समेटती, सुबह होते ही अपनी छटा बिखेरती, देखकर सौंदर्य कलियाँ खिल उठी, ह्रदय में मुस्कान मानो पल उठी ! छा गए जीवन में नूतन रंग हैं, मन-सुमन दोनों हंसें इक संग हैं, सीख देते हैं अनोखी यह सुमन, महकता है इन्हीं से मन का चमन ! |
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Friday, April 2, 2010
Posted by Urmi at 1:06 PM
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22 comments:
सच्ची भावना के साथ अच्छी कविता। थोड़ा अशुद्धियों को ध्यान दें।
बहुत ही खूबसूरत और शिक्षाप्रद कविता है!
बधाई!
सीख देते हैं अनोखी यह सुमन,
इन्हीं से गुलज़ार है सबका चमन.nice
khushiyan bikherti aapki kavita......hamara man bhi suvasit ho gaya........:) isse padh kar ..:)
sundar rachna..badhai!
Bahut sundar Kavita hai....Kuch wyakaran me galatiyan hain par...wo to sudhari ja sakti hain...aapki kalpna manoram hai...
बहुत ही खूबसूरत और शिक्षाप्रद कविता है!
very nice...
रात अपनी पंखुरियों को समेटती,
सुबह होते ही अपनी छटा बिखेरती,
देखकर सौंदर्य कलियाँ खिल उठी,
ह्रदय में मुस्कान मानो पल उठी !
excellent expression.
अति सुंदर ओर शिक्षाप्रद कविता
धन्यवाद
अच्छी कविता..
आपका ब्लाग गुलदस्ता-ए-शायरी खुलने के साथ ही ब्राउजर बन्द हो जाता है. सफारी, एक्स्प्लोरर और क्रोम भी..कोई गैजेट तो गड़बड़ नहीं कर रही.
waah kya baat hai....
aapki kavitaon k saaye me shayad main v kuch seekh jaun.......
"EK ACCHI KAVITA "
----- eksacchai { aawaz }
http://eksacchai.blogspot.com
प्रशंसनीय ।
रात अपनी पंखुरियों को समेटती,
सुबह होते ही अपनी छटा बिखेरती,
देखकर सौंदर्य कलियाँ खिल उठी,
ह्रदय में मुस्कान मानो पल उठी .
......बहुत ही खूबसूरत कविता.
उर्मी चक्रवर्ती जी ,बहुत मासूम सी कविता है और उतना ही निर्मल ये फोटो
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा
आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी की आपने साहित्य हिन्दुस्तानी को फालो करके हिन्दी साहित्य में अपनी आस्था प्रकट की ,
मुझे अच्छा लगा
bahut hisundar rachna,padh kar mantra
mugdh ho gai kuchh palon ke liye.
सीख देते हैं अनोखी यह सुमन,
इन्हीं से गुलज़ार है सबका चमन .
बहूत खूब...आपने तो कली के फूल बनने और सुगंध बांटने के अहसास को कविता के माध्यम से हम सभी से बांटा है
..
ek sandesh deti hui aapki yah ati sundar kavita bahut huachhi lagi.
सीख देते हैं अनोखी यह सुमन,
इन्हीं से गुलज़ार है सबका चमन
ज़िंदगी फूलों की नहीं, फूलों कि तरह महँकी रहे...
mujhe achhi lagi to main dobaara padhne chala aaya....
http://i555.blogspot.com/ mein is baar तुम मुझे मिलीं....
jaroor dekhein...
tippani ka intzaar rahega.
bahut badhiya lagi ji aapki ye kavita...
badhai swikaar kare..
kunwar ji,
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