अपने हुए पराये पुत्र अकेला है विदेश में, माता पिता स्वदेश में ! अब तक भेजा नहीं पता, वह दूर देश में हुआ लापता ! न कोई ख़त न सन्देश, सुहाते नहीं भजन उपदेश ! वह सात समंदर पार गया, मम्मी पापा को भूल गया ! आँखों से आंसू झरते हैं, गम हम दामन में भरते हैं ! उसकी याद सताती है, हमें हरदम तड़पाती है ! दिन बीतता गया महीना बीता, ख़बर के बिना अब कैसे जीता ! भूल गया वो पर भूला न उसे कोई, क्या एक पल भी याद न तुझे आया कोई? परदेस छोड़कर हो जा रवाना, दौलत स्वदेस में खूब कमाना ! रिश्तों की एहमियत को समझ, क्या यही शिक्षा मिली है तुझे नासमझ? |
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Tuesday, April 13, 2010
Posted by Urmi at 3:16 AM
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26 comments:
बहुत ही सही चित्रण किया है आपने आजकल के रिश्तों का!
आजकल यही हो रहा है ! आपने सही फ़रमाया है ! सच तो यह है कि हमारे देश में साडी सुबिधायें उपलब्ध हैं, बस थोड़ी सी पैसे कि कमी हो सकती है !
बुज़ुर्गों के दर्द क सुन्दर बयान है आपकि कविता!वाह
sahi kaha aapne babli ji
bikul satya kaha aapne..
aalkal shayad yahi ho raha hai...
aaj kal mata-pita shayd kahin peeche chhotte ja rahe hain..
mamrmik kavita....
mere blog par is baar..
वो लम्हें जो शायद हमें याद न हों......
jaroor aayein...
आज कल दौलत कमाने के चक्कर में रिश्तों को सच ही भूल बैठते हैं...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत अच्छा लिखा है बबली जी!भावविभोर हो जाता है पाठक इस संवेदना के आगे।
उम्र होने को है पचास के पार
कौन है किस जगह पता रखना.
मर्मस्पर्शी रचना...
Babli, tumne to rula diya! Pardes me rahnewali apni bitiya bahut yaad aayi...
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
bahut sach likha hai aapne ....
लडकी घर से दूर है,
लड़का बसा विदेश .
ममता सिसके गाँव में.
बदला यूँ परिवेश ..
- विजय तिवारी "किसलय
are, yanhaa to aapne bahut hi prernaaspad rachnaa ki he..bahut khoob..is yathaarth ko aap jyada behatar tarike se anubhav karati he.., umda rachna
बहुत अच्छी बात कही है आपने और सच्चे मन से एक सन्देश भी दिया है... आजकल बहुत से बहानो को ढूढ़ लगभग सभी ऐसा ही कुछ करते है अलग-अलग तरीकों से और हम सभी इसको महसूस भी करते ही हैं...
नई तस्वीर... अच्छा परिवर्तन है... हमने भी आज कलेवर बदला है ज़रा सा...
बहुत बढ़िया लिखा ..और हाँ आपकी नई प्रोफाइल फोटो बड़ी प्यारी लग रही है...
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'पाखी की दुनिया' में इस बार "मम्मी-पापा की लाडली"
आजकल यही हो रहा है !बहुत ही सही चित्रण .बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत ही सही चित्रण किया है
mere blog par is baar..
नयी दुनिया
jaroor aayein....
भगवान किसी को अकेलापन न दे.... कुछ मां बाप को भी बच्चों का साथ देने की कोशिश करनी चाहिए . ठीक है पराया मुल्क होता है पर सोचिए बच्चा आपका ही है....
bahut hi umda aur bhavuk
very good.
प्रशंसनीय ।
dil ko chunewali rachna.
दूरियां बढ़ने से रिश्तों में भी दूरियां आ जाती है, अच्छा प्रयास है लोगों को जगाने का
लडकी घर से दूर है,
लड़का बसा विदेश .
bahut achchhia pankti lagai.
man ko chhoo gai.
dhanyawad.
parveen snehi
www.parveensnehi.blogspot.com
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