मदर्स डे ज़ुबान से जो पहला शब्द निकले, वो सिर्फ़ और सिर्फ़ होती है "माँ", प्रेम की मूरत और दया की सूरत, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! जब भी मुझे दर्द होता, माँ की आँखों से नीर बहता, जिसके दर्शन में भगवान मिलता, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! बिन माँ के मैं रोयी परदेस में, जब अकेलापन मुझको पलपल सताये, सपना बनकर मेरे ख्वाबों में आए, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! फूल पे है जैसे शबनम, साँसों में है जैसे सरगम, जिसका हो आशीर्वाद हम पर सदा, वो है सिर्फ़ मेरी माँ ! |
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Sunday, May 9, 2010
Posted by Urmi at 3:36 AM
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29 comments:
मां चरणों में नमन!
prem ki murat, daya ki surat...aisi hi maa hai
भावविभोर कर देने वाली रचना है, बहुत सुन्दर! शुभकामना!
boht badiya ji
वाह! क्या कहने ! बहुत बढ़िया रचना !
माँ की महिमा अपरम्पार !
माँ
तुझे सलाम !
नमन
वन्दन
या
वर्षोँ
तन मन धन से
सेवा के बाद भी
नहीँ होता कोई
ऋण से
उऋण
माँ के।
चँद शब्द
याकि शब्दकोश भी
प्रयाप्त नहीँ
इस असीम को
कैसे
सीम मेँ
साधने लेँ!
एक अच्छी रचना ...दुनिया की हर माँ के चरणों में मेरा शत-शत नमन
Hi..
MAA se jeevan shuru..har lamhe har ghadi uski yaad to aati hi hai.. Des ho ya pardes..MAA ki yaad hamesh saath rahti hai..bhale Maa yaadon main saath ho ya murt rup main..
Hamesha ki tarah sundar kavita..
Esi vishay par meri kavita "MAA" PADHEN mere blog par
www.deepakjyoti.blogspot.com
DEEPAK
" sundar rachana "
----- eksacchai { AAWAZ}
http://eksacchai.blogspot.com
जब भी मुझे दर्द होता,
माँ की आँखों से नीर बहता,
जिसके दर्शन में भगवान मिलता,
वो है सिर्फ़ मेरी माँ !
......बहुत सुन्दर! शुभकामना
माँ को समर्पित बेहतरीन रचना..बधाई !!
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'शब्द सृजन की ओर' पर आज '10 मई 1857 की याद में'. आप भी शामिल हों.
boht hee badhiya babli jii..
मां चरणों में नमन
मातृ दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें
हर माँ के चरणों में मेरा शत-शत नमन
मां तुझे सलाम
माँ को समर्पित अच्छी भावाभिव्यक्ति
माँ से बड़ा कोइ नहीं.
"maaaaaaaaa" chhota sa shabd apne me paripurn!! happy mothers day......Urmi!!
man ko choo jaane vaali baat.
Aankh nam ho gayi!
yun hi likhte rahein...
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mere blog mein is baar...
जाने क्यूँ उदास है मन....
jaroora aayein
regards
http://i555.blogspot.com/
माँ पर कितना भी लिखे, पर बहुत कुछ अनकहा रह जाता है..सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई !!
maa....sundarta se likhi rachna!
माँ तुझे सलाम।
कैसे लिखेगें प्रेमपत्र 72 साल के भूखे प्रहलाद जानी।
माँ के बारे में आपने कित्ती प्यारी कविता लिखी...बधाई.
Dear Babliji
Bilkul sach farmaya hai apne. Ma to ek anmol moti hai.
Dhanyavad
Ram
ईश्वर ने जब हमें धरा पर भेजने का फैसला किया तो उसे लगा कि हमारे सुख-दुःख का ध्यान कौन रखेगा.इस चिंता में खुद ही पहले माँ का रूप धर इस वसुंधरा पर उतर आया..
भावनाओं की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है ।
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