परिवार हँसता खेलता खुशियों से भरा, शुक्ला जी का परिवार था पूरा ! माँ पिताजी पत्नी और दो बच्चे, सब थे सीधे-साधे मन के सच्चे ! शुक्ला जी दिनभर मेहनत करते, शाम को थके हुए घर लौटते ! सांस ससुर की सेवा करती बहुरानी, बच्चे सुनते थे दादा दादी से कहानी ! शुक्ला जी का दफ़्तर था बिल्कुल पास, खाना खाने आते थे दोपहर को निवास ! सुख शांति से भरा था शुक्ला जी का परिवार, ऐसा हो सबका घर और आनंदमय संसार ! |
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Saturday, May 1, 2010
Posted by Urmi at 10:14 AM
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20 comments:
काश मैं शुक्ला जी होता !
Bahut hi Sundar Rachna hai !! Shulkla Ji kalpnaik naam lekar apne muktak ko atyant mohak bana diya hai !!Badhai..
ऐसा हो सबका घर और आनंदमय संसार !
bahut sunder
सुख शांति से भरा था शुक्ला जी का परिवार,
ऐसा हो सबका घर और आनंदमय संसार !
वाह वाह जी सारे भारत के घर शुकला जी के घर जैसे हो
बबली बेटी... ई तुमरा कबिता पढने के बाद से हमेसा लगता है कि केतना अच्छा संस्कार तुमरा माँ बाप तुमको दिए हैं.. हर कबिता में परिबार का भावना देखाई देता है... जियो बचिया... ई गुन बचाकर रखो..
अच्छा प्रयास!अच्छी कामना!ऐसा ही हो हर घर परिवार!
parivar aisa hee hota hai.......
nice
sach me kaash sab ka pariwaar itna hi khubsurat hota...
bahut hi sundar rachna..........
shukla ji kee hee tarah sabhee ka parivaar khushhal hona chahiye----sundar kavita.
Poonam
bahut badhiya rachna.
NICE ;)
ऐसा ही हो हर घर परिवार!
सुख सम्पन्नता से भरा शुक्ल जी का परिवार ...
shukla ji ka pariwar tha ,kitna achcha hota yadi shukla ji ka pariwar hota , phli najar main image ko dekh kr laga pariwarik sadshyon ki tadat jyada hai lakin jb dhyan se dekha to aapke anusar barabr sadshy mojud they ,ek achchi prastuti ke liye abhaar
बढ़िया प्रस्तुति,
कविता लघु-कथा जैसी लगी!
भोली भाली कविता .बधाई ।
yahi to hota hai sansaar ....bahut hi sundar rachna ..badhaai swekaare
http://athaah.blogspot.com/
आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
lagta hai Shukla jee ka pariwar aapka padosi hai..........:P:D
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hai na!!
jeevan ko jhakjhorti kavitao ke liye badhai, aapki sahitya sadhna utrottar aage badhti rahe
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