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Wednesday, January 27, 2010




जुदाई

तुम्हारी जुदाई ने हमें हर पल तड़पाया है,
दर्द छुपाकर मुस्कुराना तुम्हारी जुदाई ने सिखाया है !

लोगों के दर्द को अपना समझना और उसे सहना,
तुम्हारी जुदाई ने
हमें सिखाया है !

तन्हाई में घुटघुट कर रोता रहता ये दिल,
अफ़सोस है के तुमने हमें समझा अपने क़ाबिल !

मेरे गम मेरी ख़ुशी से ख़ुशनसीब है,
अब तो गमों ने आसुओं की कदर की है !

जाने क्यूँ रंगीन ख़्वाबों में परछाई सी दिखती है,
उस परछाई की आहट हमें बेचैन कर देती है !


अब तन्हाई साथ है और यही इत्तेफ़ाक है,
मेरे जीने का सहारा अब सिर्फ तेरी यादें है !















Tuesday, January 19, 2010





तितली

हाथों में लेकर किताब,
देख रही थी मैं ख़्वाब,
आयी अचानक कहाँ से उड़ती हुई,
और मैं बस उसे देखती रही !

रंग बिरंगी सुन्दर सी तितली,
देखकर शर्मा गयी बिजली,
मंडराने लगी मेरे दिल के कमरे में,
बिखर के रंग सारे वो प्यारी तितली !

ज़न्नत से उतरी थी शायद ये तितली,
आखों में मेरी बस गयी थी ये तितली,
देखकर ऐसा लगा जैसे,
पतझड़ में बहार आयी !

सुन्दरता से निखरी हुई ये तितली,
पलक झपकते ही उड़ गयी,
ऐसा लगा जैसे,
रंगों भरी ज़िन्दगी अब बेरंग हो गयी !





Saturday, January 16, 2010



ज़ख्म


जब भी देखा मैंने अपने नैनों में एक सपना,
तब से लगी समझने सारे जग को बिल्कुल अपना।

मैं दीवानी अपनेपन की,
या दुनिया बेगानी,
गूँज रही मन की घाटी में बरबस यही कहानी।

ये कैसे अजीब लम्हें है,
या दीवानापन है,
सब पागल हैं या
मेरे ही मन का पागलपन है।


न भूल पाऊँगी तुम्हारा नाम,
याद करुँगी हर पल हर शाम,
क्यूँ दिया इस नाज़ुक दिल को ज़ख्म?
होगा न असर अब लगाकर मरहम !

Monday, January 11, 2010




नया साल मुबारक

खेत खलिहान और किसानों को,
पेड़ पौधे और पंछियों को,
नए साल क़ी शुभकामनायें !


नील गगन पर चमकते सूरज को,
अँधेरी रात में जगमगाते तारों को,
नए साल की शुभकामनायें !


नन्हे नन्हे प्यारे प्यारे बच्चों को ,
सभी बुज़ुर्ग और नौजवानों को,
नए साल की शुभकामनायें !


सुनसान राहों को, बहते पवन को,
कोहरे में लिपटे पूरे शहर को,
नए साल की शुभकामनायें !


खुशियों से भरी सबके आशियाने को,
दिल में उमंगों के तराने को,
नए साल की शुभकामनायें !