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Wednesday, December 9, 2009


प्रिय मित्रों
मैं एक महीने के लिए छुट्टी पर जा रही हूँ ! आप सभी को बहुत याद करुँगी! क्रिसमस और नए साल की हार्दिक शुभकामनायें आप सब को और आपके परिवार को!

बबली (उर्मी)

Sunday, December 6, 2009




नवनिर्माण

जहाँ नैतिकता का पतन हो,
मानवता का दफ़न हो,
जहाँ नवयुवकों के सर पे कफ़न हो,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !


जिसके बच्चे के सीने में जलन हो,
मानव-मानव से त्रस्त हो,
क़दम-क़दम पर धोखा, भ्रष्टाचार और रिशवत हो,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !

नैतिकता का अब बोलबाला कहाँ,
आदम-आदमखोर बनकर रहता है जहाँ,
छातियाँ भी डरती है संगीनों से,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !

जनता भी कम नहीं कमीनों से,
होती है बलात्कार सामने,
पूछते फिरते हैं, कल की घटना सुना है आपने,
फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम !










Tuesday, December 1, 2009




रसगुल्ला

गोल गोल रसीले,
अरे ये तो हैं रसगुल्ले,
जो भाये मन सबका,
ये मिठाई है गज़ब का !


मम्मी ने आज दोस्तों को बुलाया,
अपने हाथों से बनाया रसगुल्ला खिलाया,
गरमागरम रसगुल्ले खाकर सबको आनंद आया,
प्यार से भरा मिठाई सबके मन को भाया !

गुजराती हो या पंजाबी, बिहारी हो या बंगाली,
सबको लगे ये रसगुल्ले निराली,
पूजा हो या फिर जन्मदिन,
खाते रहो रसगुल्ले प्रतिदिन !






Tuesday, November 24, 2009





अरमान

नीले नीले आसमान तले,
बैठी थी मैं अरमान लिए,
दूर कहीं जाना था मुझे,
पर बैठ गई मैं हाथ मले !

बदल गया मौसम का रंग,
रह गई रूप
मैं देख दंग,
मेरा मन पागल सा झूमा,
भँवरे ने कलियों को चूंमा !

अरमानों ने ली अंगड़ाई,
मुखड़े पर खुशियाँ है छाई,
चलते चलते रुक गए कदम,
बेदम दिल ने पाया है दम !

बह गई उसी पल एक हवा,
बन गया शीत सा गरम तवा,
क्या सोचा था और क्या पाया,
चलकर बसंत द्वारे आया !








Thursday, November 19, 2009



रिश्ता

तुम्हारी खुशी से ही नहीं,
गम से भी रिश्ता है हमारा,
ये जो तुम्हारी ज़िन्दगी है,
वो एक हिस्सा है हमारा !

प्यार का रिश्ता बहुत गहरा है हमारा,
सिर्फ़ लफ़्ज़ों का ही नहीं,
रूह का भी रिश्ता है हमारा,
तुम बिन अब जीना नहीं है गवारा !

बस एक गुज़ारिश है तुमसे मेरी,
एक शाम चुरा लूँ मैं तुम्हारी,
तुम चाहो तो भुला देना मुझे,
पर मैं न भुला पाऊँगी तुझे !

मेरे हाथों से गिर गई लकीरें कहीं,
भूल आई हूँ अपनी तकदीर कहीं,
अगर तुम्हें मिले तो उठा लेना,
मेरे हिस्से की हर खुशी हाथों में सजा लेना !











Wednesday, November 11, 2009


माँ

माँ तुम अत्यन्त ममतामयी हो,
तुम्हीं कमला तुम्हीं वांग्मयी हो,

उर्जा से भरपूर संदील धूप हो,

तुम देवी की मूरत हो!
माँ पहले खाना मुझे खिलाती,
बाद में तुम ख़ुद खाना खाती,
मेरी खुशियों में खुश होती,
मेरे दुखों में आँसूं बहाती!
तुमने मुझे संस्कार सिखलाया ,
अच्छा बुरा मुझे बतलाया ,
मेरी गलतियों को सुधारा ,
हमेशा मुझपर प्यार बरसाया ।
तुम अमृत की गागर हो,
फूलों जैसी कोमल और नाज़ुक हो,
तुम बिन मेरा जीवन है अधूरा,
हाँ माँ तुम ही मेरे जीने की वजह हो !



Sunday, November 8, 2009



अकेलापन

वीरान है ये आंखें मेरी,
राह देख रही हूँ बस तेरी,
छाई है यहाँ सुनी रातें,
याद दिलाये तुम्हारी बातें !


बादलों ने ऐसे घेर लिया,
उसे लिपटकर आँखों को बंद किया,
आया कैसा ये सुहाना मौसम,
बहने लगा जैसे प्यार में आलम !

रिमझिम रिमझिम बरसे सावन,
भीगा तनमन मांगे साजन,
इन वादियों ने मेरा मन मोह लिया,
भी जा, अब भी जा मेरे पिया !



Sunday, November 1, 2009



यादें

ज़िन्दगी क्या है ?
एक खेल है,
सुख और दुःख का मेल है,
याद करती हूँ सुख भीने पलों को,
भुलाने को दुःख खिलाती हूँ,
ह्रदय कमल के सुप्त शत दलों को !

प्यार का आलम यहाँ हर जगह नहीं होता,
प्यार बेवजह होता है, बावजह नहीं होता,
यादों का मौसम हमेशा बरसता रहता है,
ये बदलती ऋतुओं की तरह नहीं होता !

फूलों को कितने जतन से रखते हैं ये खार,
फूल फ़िर भी बनते हैं गैरों के गले का हार,
खार लेकिन देवदास सा उदास नहीं होते,
अपने प्रिय की हर अदा से करते हैं प्यार !

हर सुर- ताल पे झूमने को मन चाहता है,
पर 'राधा-कृष्ण' सा महारास नहीं होता,
चाहते सभी हैं ज़िन्दगी में आनन्द लेना,
पर ऐसा मुकद्दर सभी के पास नहीं होता !




Tuesday, October 27, 2009





आंखें


सागर से भी गहरी है ये आंखें,
जो बिन बोले सब कुछ कह देती है,
जब लब पे बात आकर रूक जाती है,
तब मन की हर बात कह देती है ये आंखें !

कभी
खुशी झलकती है इन आँखों में,
कभी आंसू बनकर बरस पड़ती है,
कभी मासूमियत से भरी होती है,
पल पल रंग बदलती हैं ये आंखें !

कोई ढूंढें इन आँखों में दिल का करार,
तो कोई ढूंढें उनमें अपना प्यार,
दिखती है किसीको जन्नत इसमें,
तो किसीको नज़र आती है सिर्फ़ नफ़रत !

Wednesday, October 21, 2009



उलझन

ये ज़िन्दगी उलझनों से भरी है,
जो उलझती सुलझती और फिर उलझन बन जाती है,
ज़िन्दगी में कुछ करने का सपना देखा है,
पर वो हकीकत नहीं एक सपना बनकर ही टूट जाता है !


आखिर क्यूँ उलझने आती हैं?
क्यूँ सपने बिखर जाते हैं?
क्या सपने कभी हकीक़त नहीं हो सकते?
कोई उम्मीद की किरण क्यूँ नहीं दिखाई देती?

ज़िन्दगी तो एक जुआ जैसा खेल है,
हार और जीत दोनों ही इसमें शामिल है,
हम सपने क्यूँ देखते हैं?
सपने तो जैसे अँधेरी गुफाओं में खो जाते हैं !

उलझन में हम यूँ ही उलझते रहे,
सपने यूँ ही सजते रहे,
उलझन लिपटती रही साये की तरह,
हम तड़प उठे सूखे पत्तों की तरह !

Friday, October 16, 2009



शुभ दीपावली

अब खत्म हुआ इंतज़ार की घड़ी,
हर तरफ़ खुशियों की लहर चल पड़ी,
घर के द्वार पर खूबसूरती से सजी है रंगोली,
चमचम करती आई रे आई है देखो दिवाली !

मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना,
जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना,
सारे दुःख दर्द को भुला देना,
मन में उमंग और तरंग लिए दिवाली मनाना !

यहाँ वहां जहाँ भी नज़रें फेरो,
जगमगाते हुए दीप जलते देखो,
लड्डू बर्फी और तरह तरह की है मिठाइयां,
सबके चेहरे पे झलक रही है खुशियाँ !

फुलझरी की ताड़ताड़ संग किलकारियां,
हर तरफ़ है सिर्फ़ रोशनी ही रोशनियाँ,
झूमते नाचते गाते खिलखिलाते सभी,
आयो मिलकर हम मनाये दिवाली अभी !







Friday, October 9, 2009



आसां नहीं है राहें

आसां नहीं है राहें,
बुझ सी गई है निगाहें,
थककर हार जाऊँ मैं कैसे,
फिर से प्रशस्त करनी है अपनी बाहें !

प्रशस्त होती ज़िन्दगी पे,
काली घटा है छाई,
कालचक्र की मनोदशा को,
अब तक समझ न पाई !

आर्थिक मंदी की चपेट से,
डूबता हुआ सव मंजर,
सजी संवरी ज़िन्दगी में,
चुभाता कोई खंजर !

सपनें सजाये चली थी घर से,
किसीको आँचल में सर छुपाये,
वक्त की दरिया ने ऐसा डुबोया,
ज़िन्दगी भी गई और गई पनाहें !

Sunday, October 4, 2009



दोस्ती

इस दुनिया में दोस्त कम मिलेंगे,
जहाँ दुनिया नज़र फेर लेंगी,
उसी मोड़ पर तुम्हें हम मिलेंगे !

दोस्त वो जो बिन बुलाये आए,
कभी हंसाये और कभी रुलाये,
मगर हमेशा साथ निभाए !

तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की,
तुम्हारे जैसा सच्चा दोस्त जब मिल जाए,
तो हम भी खुशनसीब कहलायें !

दोस्त तू हमेशा मेरे दिल में रहना,
अगर कभी तेरी राहों में अँधेरा छाए,
तो रोशनी बनकर ये दोस्त छा जाए !








Monday, September 28, 2009



ज़िन्दगी


जो चाहत थी ज़िन्दगी में,
जिसे ख़्वाब में देखा था मैंने,
उसे जब पाया मैंने हकीक़त में,
तो ज़िन्दगी क्या है उसे महसूस किया मैंने !

ज़िन्दगी की हर ख्वाइश को पूरा किया उसने,
हर लम्हे को फूलों की तरह ख़ूबसूरत बनाया उसने,
मेरे हर दुःख को उसने अपना समझा,
हर मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया उसने !

मेरे दिल की हर बात को उसने अपना समझा,
मैंने ख़ुद को दुनिया का सबसे ज़्यादा खुशनसीब समझा,
सारी दुनिया से बेखबर हो गई थी मैं,
उसके बेपनहा मोहब्बत में इस कदर खो गई मैं !




Tuesday, September 22, 2009



प्यारी सी पंछी

खड़ी थी अपने घर के आंगन में,
नीले नीले आसमान को देखते हुए,
चारों तरफ़ हरियाली छाई हुई थी,
मन मेरा खुशी से झुमने लगा था !


मैं देख रही थी सुंदर पंछियों को,
तभी आकर मेरे सामने बैठा एक मीठा सा पंछी,
मैं उसकी ओर देखती रही और वो मुझे भी,
पल भर में लगा की उसने बहुत कुछ कह दिया!


मैं अपने अकेलेपन को दूर करने चली थी,
अब उस पंछी से मेरी दोस्ती हो गई,
सोचा था कभी ऐसा दोस्त मिलेगा,
उस छोटे से नन्हे पंछी से मुझे तमाम खुशियाँ मिल गई !


Thursday, September 17, 2009




सफर
मीलों दूर तक जाना है,
एक नया जहाँ बनाना है,
झुकना मना है, थकना मना है,
मंजिल से पहले रुकना मना है !

पता है मुश्किलें तो आयेंगी,
मुझको, मेरे हौसले को आज़मायेंगी,
पर मैं न डरूंगी, मैं न मरूंगी,
सीने में सैलाब लिए,
मुश्किलों पर ही टूट पडूँगी !

इन मुश्किल हालातों में,
अचानक मेरे ख्यालों में,
किसीकी मुस्कान याद आती है,
उसकी प्यारी बातें दिल के तार छेड़ जाती है,
कोई था, जो मुझे अकेला छोड़ गया,
सारे रिश्ते, सारे बंधन,
एक पल में ही तोड़ गया !

जब आँखें भर आती है,
और यादें तडपाती है,
उसकी आवाज़ कहीं से आती है,
हौसला ना हार,
कर सामना तूफ़ान का,
तू ही तो रंग बदलेगा आसमान का !

करता जा अपनी मंजिल की तलाश;
तेरे साथ चलेंगे ये दिन ये रात;
चलेगी ये धरती, ये सकल आकाश !

काटों को फूल समझता चल;
बाधा को धूल समझता चल;
पर्वत हिल जाए, ऐसा चल;
धरती फट जाए ऐसा चल;
चल ऐसे की, तूफ़ान भी शरमाये
तेज़ तेरा देखकर,
ज्वालामुखी भी ठण्ड पर जाए !

Thursday, September 10, 2009


तूफ़ान

हम भी थे इश्क की भीड़ में खोये हुए कभी,
आज हमनें तन्हाई में जीना सीख लिया है !


किसी भी राह पर चलने से अभी कतराते नहीं,
तूफानों से हंसके गुज़रना हमनें सीख लिया है !

लफ़्जों का इस्तेमाल करना छोड़ दिया हमनें,
आंखों से दर्द बयान करना सीख लिया है !

वफ़ा का ज़िक्र करना छोड़ दिया हमनें,
तुमनें की जो बेवफ़ाई उसी राह पर चलना सीख लिया है !

रास आया तुम्हें हमारा खुशी से जीना,
इसलिए घुट घुट कर मरना हमनें सीख लिया है !

Sunday, September 6, 2009



इंतज़ार

खामोश से रहने लगे हैं हम,
इंतज़ार किसीका करने लगे हैं हम !

यकीनन किसीसे हुई है मोहब्बत,
बिना बात ही मुस्कुराने लगे हैं हम !

दिल पूछता है बस ये एक सवाल के,
कोई हमारा या किसीके होने लगे हैं हम !

डर है किसीके खो जाने का,
जाने कैसा ख्वाब बुनने लगे हैं हम !

अब तो हर चीज़ से हो जाता है प्यार,
दूसरो को भी प्यार सिखाने लगे हैं हम !

ये कलम भी प्यार की हो गई दीवानी,
बस प्यार ही प्यार लिखने लगे हैं हम !!




Sunday, August 30, 2009



वक्त नहीं

हर खुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिए वक्त नहीं,
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिए ही वक्त नहीं!

माँ की लोरी का एहसास तो नहीं,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं,
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं !

सारे नाम मोबाइल में है,
पर दोस्ती के लिए वक्त नहीं,
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिए ही वक्त नहीं !

आंखों में है नींद बड़ी,
पर सोने का वक्त नहीं,
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं !

पैसों की दौड़ में ऐसा दौड़े,
की थकने का भी वक्त नहीं,
पराये एहसासों की क्या कद्र करें,
जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नहीं !

तू ही बता ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
के हर पल मरने वालों को,
जीने के लिए भी वक्त नहीं !!



Friday, August 21, 2009




बदलो

स्थान नहीं, शासन बदलो,
जात नहीं, जमान बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !

गुल नहीं गुलज़ार बदलो,
रूप नहीं श्रृंगार बदलो,
परिवार नहीं संस्कार बदलो,
अस्पताल नहीं डॉक्टर बदलो !

आवाम नहीं आवाज़ बदलो,
धर्म नहीं अन्धविश्वास बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !

कर्म नहीं तरीका बदलो,
कर्तव्य नहीं अधिकार बदलो,
राष्ट्र नहीं सरकार बदलो,
प्रेम नहीं नफ़रत को बदलो !

सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो,
समाज नहीं जन बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !!

Sunday, August 16, 2009




मेरा बचपन

याद आता है वो जमशेदपुर...
वो जुबली पार्क का समा,
वो बुलेट का सफर और गलियों की हवा,
वो बिष्टुपुर की रौनक और शाम का समा,
वो जमशेदपुर के मुहल्ले और मुहल्लों में भटकना,
याद आता है वो जमशेदपुर...

वो सुबह सुबह जल्दी उठना और स्कूल जाना,
स्कूल लेट पहुंचना, छुट्टी के समय गपशप करके आना,
वो जनवरी की सर्दी, वो बारिशों में साइकिल चलाना,
वो गर्मी के दिन, और छुट्टी का सारा महीना,
वो मम्मी का प्यार, वो पापा की डांट,
याद आता है वो जमशेदपुर...

दोस्तों का बतकही, वो दोस्तों की टशन,
याद आता है वही शाम को चार-पॉँच घंटे गप्पे करना,
घर में डांट पड़ना और दोस्तों के साथ वक़्त बिताना,
याद आता है वो जमशेदपुर...
याद आता है वो जमशेदपुर !!