BLOGGER TEMPLATES AND TWITTER BACKGROUNDS

Monday, October 31, 2011

बेसहारा औरत

एक औरत,
मासूमियत भरी,
देखती रही !

आँखें नम-सी,
भूख से तड़पती,
पैसे माँगती !

दिल ने कहा,
बेबसी देखकर,
करूँ मदद !

पूछा उससे,
क्यूँ माँग रही भीख,
कुछ बोली !

सिर हिलाए,
समझाना चाहती,
वो तो गूँगी थी !

तरस आया,
बेचारी असहाय,
वो थी अकेली !

उसे बुलाया,
संग घर ले आयी,
पनाह दे दी !

खुश हो गई,
काम करना सीखा,
मिली ज़िन्दगी !

Sunday, October 23, 2011

दिवाली आयी

दीपों की पंक्ति में हँसती,
दिवाली की रात है आयी !

सब लोगों ने मिल-जुल कर,
घर-आँगन की करी सफाई !


रंग बिखेर रही फुलझड़ियाँ,
राकेट और पटाखे लड़ियाँ !

खिलखिलाते हुए अनार,
इन्द्रधनुष सा छाया है बहार !


घर आँगन दीपों की माला,
फैला चारों ओर उजाला !


बम फटे और चले पटाखे,
रोशनी से मूंद-मूंद गयी आँखें !

खुशियाँ बाँटो बारम्बार,
ये संदेश देती है त्यौहार !


सबको मिले प्रभु का प्यार,
जीवन में सुख अपरम्पार !


दीप जले हैं देखो झिलमिल,
सबने ख़ुशी मनाई हिलमिल !


घर-घर में छायी खुशहाली,
मुस्काती आयी दिवाली !


Wednesday, October 19, 2011

बारिश की फुहार

रोए पर्वत,
चूम कर मनाने,
झुके बादल !

कुछ जज़्बात,
काले बादलों जैसे,
छाए मन में !

हल्की फुहार,
रिमझिम के गीत,
रुके न झड़ी !

एक भावना,
उभर कर आई,
बरस गई !

बादल संग,
आँख मिचौली खेले,
पागल धूप !

करे बेताब,
ये भयंकर गर्मी,
होगी बारिश !

झुका के सर,
चुपचाप नहाए,
शर्मीले पेड़ !

गीली आँखें,
कर गई मन को,
हल्का हवा-सा !

ओढ़ चादर,
धरती आसमान,
फुट के रोए !

मन मचला,
हुआ है प्रफुल्लित,
नया आभास !

Thursday, October 13, 2011

ग़ज़ल सम्राट

पृथ्वी है लाखों वर्ष पुरानी,
जीवन है एक अनंत कहानी,
जन्म-मरण का ये अविरल फेरा,
जीवन बंजारों का है डेरा !

जीवन का ये दस्तूर, आज यहाँ कल कहाँ,
प्रतिदिन जीवन में आता है परिवर्तन,
जीवन की ढलने जाती है सांझ,
तब उमर भी नहीं देती है साथ !

जगजीत सिंह जी को कोई भूल पायेगा,
उनके जैसा सुर-साधक कोई दूजा आयेगा,
विश्वभर में विख्यात था जिनका अंदाज़,
गूँज रही है अब भी उनकी मधुर आवाज़ !

दुनिया को छोड़ गए करके शुन्यता,
हर चेहरे पे छा गई है उदासीनता,
ग़ज़ल सम्राट के नाम से थे मशहूर,
उनको मेरा
श्रद्धा-नमन है भरपूर !

Sunday, October 9, 2011

दर्द

रूठी तन्हाई,
दर्द की बाहें घिरी,
ढूँढें मंज़िल !


मूक ज़िन्दगी,
सब सहे ज़िन्दगी,
फिर भी चले !

अचंभित हूँ,
धडकनें जो मिली,
रूकती नहीं !

आँखें छलके,
बहे तपते आँसू,
फिर भी जागे ?

बिना सहारे,
तेरी आस में जिए,
यही है जीना ?

सहन नहीं,
यूँ घुटकर जीना,
ज़हर पीना ?

Sunday, October 2, 2011

गाँधी जयंती

राष्ट्रपिता तुम कहलाते हो,
सभी प्यार से कहते बापू !

तुमने हम सबको मार्ग दिखाया,
सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया !

हम सब तेरी संतानें हैं,
तुम हो हमारे प्यारे बापू !

सीधा-सादा वेश तुम्हारा,
नहीं कोई अभिमान !

खादी की एक धोती पहने,
वाह रे बापू तेरी शान !

एक लाठी के दम पर तुमने,
अंग्रेजों की जड़ें हिलाई !

भारत माँ को आज़ाद कराया,
रखी देश की शान !

आज तुम्हारे जन्मदिवस पर,
हम करते हैं शत शत नमन !