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Sunday, August 30, 2009



वक्त नहीं

हर खुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिए वक्त नहीं,
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिए ही वक्त नहीं!

माँ की लोरी का एहसास तो नहीं,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं,
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं !

सारे नाम मोबाइल में है,
पर दोस्ती के लिए वक्त नहीं,
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिए ही वक्त नहीं !

आंखों में है नींद बड़ी,
पर सोने का वक्त नहीं,
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं !

पैसों की दौड़ में ऐसा दौड़े,
की थकने का भी वक्त नहीं,
पराये एहसासों की क्या कद्र करें,
जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नहीं !

तू ही बता ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
के हर पल मरने वालों को,
जीने के लिए भी वक्त नहीं !!



Friday, August 21, 2009




बदलो

स्थान नहीं, शासन बदलो,
जात नहीं, जमान बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !

गुल नहीं गुलज़ार बदलो,
रूप नहीं श्रृंगार बदलो,
परिवार नहीं संस्कार बदलो,
अस्पताल नहीं डॉक्टर बदलो !

आवाम नहीं आवाज़ बदलो,
धर्म नहीं अन्धविश्वास बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !

कर्म नहीं तरीका बदलो,
कर्तव्य नहीं अधिकार बदलो,
राष्ट्र नहीं सरकार बदलो,
प्रेम नहीं नफ़रत को बदलो !

सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो,
समाज नहीं जन बदलो,
अगर कुछ बदलना चाहते हो
तो स्वयं बदलो !!

Sunday, August 16, 2009




मेरा बचपन

याद आता है वो जमशेदपुर...
वो जुबली पार्क का समा,
वो बुलेट का सफर और गलियों की हवा,
वो बिष्टुपुर की रौनक और शाम का समा,
वो जमशेदपुर के मुहल्ले और मुहल्लों में भटकना,
याद आता है वो जमशेदपुर...

वो सुबह सुबह जल्दी उठना और स्कूल जाना,
स्कूल लेट पहुंचना, छुट्टी के समय गपशप करके आना,
वो जनवरी की सर्दी, वो बारिशों में साइकिल चलाना,
वो गर्मी के दिन, और छुट्टी का सारा महीना,
वो मम्मी का प्यार, वो पापा की डांट,
याद आता है वो जमशेदपुर...

दोस्तों का बतकही, वो दोस्तों की टशन,
याद आता है वही शाम को चार-पॉँच घंटे गप्पे करना,
घर में डांट पड़ना और दोस्तों के साथ वक़्त बिताना,
याद आता है वो जमशेदपुर...
याद आता है वो जमशेदपुर !!