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Sunday, August 28, 2011

दरिया

सागर से बिछड़ा दरिया हूँ मैं,
क़ाश कहीं पर फिर मिल जाऊँ,
बादल ने चुराया जिसका पानी,
उस धरा को आज भिगो जाऊँ !

कैसे रहूँ बिन सागर के मैं,
अधूरा सा रहने लगा हूँ उसके बिन,
सागर से संगम कब होगा?
ये आस लिए मैं बिखरी धरा पर !

लाया था कुछ, ले जाऊँ,
समंदर में फिर समा जाऊँ,
इस मोह से बंधन टूटा पर,
इस माया से कैसे मुक्ति पाऊँ?

कुछ क़र्ज़ लिए थे दे जाऊँ,
कुछ अश्क मिले थे पी जाऊँ,
मैंने भी पाया ज़ख्म यहाँ पर,
मगर औरों को खुशियाँ दे जाऊँ !

Monday, August 22, 2011

कान्हा का जन्मदिवस

माखन खाए, शोर मचाये,
गोपियों के संग रास रचाए,
मुरली बजाके मन बहलाए,
है वो नटखट नंदगोपाल !

गोकुल में करे जो निवास,
सबके मन में है कान्हा का वास,
बारिश में झूमे सारी गोपियाँ,
कान्हा देखे गोपियों की मस्तियाँ !

माखन चुराकर जिसने खाया,
बंसी बजाकर जिसने नचाया,
ख़ुशी मनाओ उनके जन्म की,
जिसने दुनिया को प्रेम करना सिखाया !

बच्चे बूढ़े सभी झूमे मस्ती में,
सबके दिल में है ज़ोश उत्साह,
उमंग से भरा ये पल रहे हमेशा,
कान्हा का आशीर्वाद रहे सर्वदा !


Friday, August 19, 2011

याद उनकी

याद उनकी हमें पल-पल सताए क्यूँ?
खुश्क अँखियों में समंदर आए क्यूँ?

पानी को तरसते जिस वीराने में,
दर्द का सागर वहाँ पहुँच जाए क्यूँ?

तन्हा रात कटती नहीं बगैर तेरे,
ख़ुशी का इक लम्हा यूँ गुज़र जाए क्यूँ?

इन्कार का गिला ना किया जब हमनें,
मेरी आह पर इलज़ाम लगाए क्यूँ?

कहता है प्यार है बेपन्हा मुझसे,
हर मोड़ पर हमें यूँ आज़माए क्यूँ?

महसूस नहीं कर सके मेरे गम को,
आज मेरे दर्द पे मुस्कुराए क्यूँ?

हर इल्ज़ाम वो देता है इस दिल को,
फिर भी मासूम बना नज़र आए क्यूँ?


Monday, August 15, 2011

स्वतंत्रता दिवस

वतन हमारा ऐसे छोड़ पाए कोई,
रिश्ता हमारा ऐसे तोड़ पाए कोई,
जान लुटा देंगे, वतन पे हो जायेंगे कुर्बान,
सब मिलकर कहते हैं हमारा देश महान !

कई धर्मों का हमारा देश है,
फिर भी एक दूजे से प्यार है,
कितने लोग, है अलग-अलग भाषाएँ,
फिर भी सबकी एक जुबां है !

हम अपने देश का सम्मान करें,
शहीदों की शहादत याद करें,
सब हाथों पे हाथ रखकर कहें,
जो कुर्बान हुए, उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाएं !

मिलकर हम सब यतन करें,
हिन्दुस्तान हमारा खुशहाल रहे,
अपने ध्वज की जो मर्यादा करें,
वही भारत का सच्चा नागरिक कहलाये !

मुश्किल नहीं कोई भी काम,
हम करते है तिरंगे को सलाम,
जब जब ये तिरंगा लहराएगा,
देशभक्ति के किरणों को फैलाएगा !

ये ध्वज हिस्दुस्तान की शान है,
इस देश के बलिदानों की जान है,
ये देश है हमारा, हम इसे बचाए,
आओ गर्व से स्वतंत्रता दिवस मनाये !

Thursday, August 11, 2011

शब्दों के अश्क

कलम ये जब-जब रोती है,
शब्दों में अश्क पिरोती है !

अश्कों में स्याही घुलकरके,
गीतों के दुःख में सोती है !

इक हाथ से ज़ख्म दिया करती,
दूजे से मरहम दे रोती है !

तेरी कमी में बिखरती हूँ,
तेरी यादें नयन भिगोती हैं !

रात बढ़ते ही सन्नाटा छाए,
तेरे बगैर अब कुछ भाए !

है पहचान हमारी बरसों की,
फिर भी लगे यूँ कि हो अजनबी !

अब कुछ लिखना चाहे,
ये कलम यूँ मुरझाना चाहे !

सिर्फ़ अश्क ही अपने साथ रहे,
तुझे पास बुलाकर दर्द कहें !


Thursday, August 4, 2011

मेरा शहर

मेरा
शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी साथ मिल-जुलकर रहते थे वहाँ,
अब किसी के पास बात करने का वक़्त कहाँ !

मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी बहारों का आशियाना था जहाँ,
अब पतझड़ के पेड़-सा लगता है सुना !

मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
वो वक़्त गया जब एक दूजे के लिए जीते,
आज वही लोग सब स्वार्थी बन गए !

मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी दोस्त जो लगते थे अपने,
अब सारे लोग अजनबी-से लगने लगे !


मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
आसमाँ है वही, हवाओं में है खुशबू वही,
खो गया है वो प्यार, वे जज़्बात कहीं !

मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी फूलों की तरह खिलता था बचपन यहीं,
अब बिखर गया है टूटे दर्पण-सा कहीं !


मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
ख्वाहिश है इसके ज़र्रों में ज़िन्दगी भरूँ,
आने वाले सुनहरे कल के साथ हर खुशियाँ समेटूँ !

मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी खोया, कभी पाया, जैसे समंदर की लहर,
रह-रहकर अब सपनों में भी रुलाता मेरा शहर !