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Monday, September 27, 2010


एहसास

मेरा जीवन था बिखरा बिखरा,
बह निकला एक दरिया सा,
दिल में तुमने मुझे बसाया,
साथ हर मुश्किल में मेरा दिया !

एहसास हो तुम मेरे मन का,
धड़कन हो मेरी ज़िन्दगी का,
तुम सागर हो तुम साहिल भी,
तुम रास्ता भी और मंज़िल भी !

किस्मत से हम एक दूजे से मिले,
चलता रहे यूँ प्यार के सिलसिले,
जो दिल कहता वो तुम सुन लो,
तुम मेरे हो तुम मेरे हो !

ये जनम जनम के रिश्ते हैं,
सम्बन्ध प्यार से बनते हैं,
तुम्हारे बाहों में हमेशा रहूँ,
इस एहसास को जीवन भर पा सकूँ !

Thursday, September 23, 2010


सदा की साथी

माँ पिताजी की आँखों में आँसू आए,
हर कदम पर हम उनका साथ निभाए,
बाधा-विपत्ति मुश्क़िलों में मुँह मोड़े,
छोटी सी हर ख़ुशी उनके साथ बांटे !

ज़रूरी नहीं माँ पिताजी को सोना चांदी दे,
पर उनका जिगर जले ये कतई होने दे,
उनके प्यार और ममता को पूजे सदा,
माँ पिताजी से बढ़कर है कोई दूजा !

घर का नाम रखे मातृछाया या पितृछाया,
पर अपने माँ पिताजी का पड़ने दे परछाईयाँ,
क्यूँ रखें हम दिखाने के लिए ऐसा नाम,
सुख शान्ति रहे ऐसे घर का क्या काम !

माँ पिताजी की आँखें होने देंगे नम,
चाहे उनसे दूर जाएँ पर मुस्कुरायेंगे हम,
माँ पिताजी चाहे हमें कितना ही डांटे,
पर उनकी इज्ज़त करना कभी भूलें !

माँ पिताजी ने हमें बोलना सिखाया,
उँगलियाँ पकड़कर हमें चलना सिखाया,
जीवन के अँधेरे पथ पर रौशनी बनकर रहे,
आज उन्हीं की बदौलत इस मुकाम पर पहुँचे !

चाहे हम कितना ही धन दौलत कमाए,
पर माँ पिताजी के आशीर्वाद बिना अधूरा रह जाए,
उनके वजह से हमें अच्छी ज़िन्दगी मिली,
याद रखें सदा माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं !

Saturday, September 18, 2010


वादियाँ

ऊँचे ऊँचे पहाड़ों से बहता पानी राग अलापता है,
सावन का सरगम मन को उत्साह से भरता है,
कभी मन करता है रुक जाऊँ और इनमें खो जाऊँ,
कभी दिल करता है दौड़ पडूँ पहाड़ की उंचाई पर !

दिल करता है बड़े छोटे पेड़ों से बात करती ही रहूँ,
इन ख़ूबसूरत वादियों का भरपूर आनंद लेती रहूँ,
घने काले बादल फैले हुए हैं मानो चादर की तरह,
जी करे बादलों को पकड़कर दूर कहीं उड़ जाऊँ !

कभी मन चाहे भीग जाऊँ पूरी तरह बारिश में,
कभी लगे इन खुली वादियों में झूमती रहूँ,
सच में ये सावन
आह्लादित करता है,
गाँव की खुशबू एक अजीब सुकून देती है !

गोबर की भीनी सी महक हवा में जादू घोलती है,
मानो किसी मेहबूब की यादें लेकर चली रही है,
यूँ तो कभी मिलता नहीं आसमाँ अपनी ज़मीं से,
क्यूँकि जीवन खिलता है इस कमी से !

Tuesday, September 14, 2010


हिन्दी दिवस

हम हिन्दी दिवस गर्व और उलास के साथ मनाते हैं,
हिन्दी में कार्य करने का संकल्प दोहराते हैं !

शान से हम सब हिन्दी प्रेमी कहलाते हैं,
सच्चे मन से हर देशवासी हिन्दी भाषा को पूजते हैं !

हिन्दी में हर काम करने में गर्व महसूस करते हैं,
हिन्दी में निरंतर अभ्यास जारी रखते हैं !

हर कठिनाइयों को दूर करने की ठान लेते हैं,
हिन्दी भाषा में ज्ञान प्राप्त करने की सोचते हैं !

विदेशी हमारी हिन्दी भाषा सिखने में उत्सुक रखते हैं,
हम अपनी हिन्दी भाषा पर फक्र महसूस करते हैं !

आओ हम सब मिलकर हिन्दी दिवस की सम्मान करें,
हिन्दी भाषा के प्रति प्यार हर देशवासी के दिल में रहे !

लाखों लोग हुए हमारे देश के लिए कुर्बान,
अपने देश और भाषा को होने देंगे बदनाम !

अपने देश के प्रति प्यार और भावना सदा बढ़ाएं,
सब मिलकर हिन्दी दिवस का सम्मानित करें !

Saturday, September 11, 2010


गणेश चतुर्थी

गणेश तेरा रूप है निराला,
कोटि सूर्य का है तुझमें उजाला !

सिंदुर लाल चढ़ाये अपने मन का,
सुन्दर लाल विराजे सुत गौरी-शिव का !

हे गणपति तू सबके दुःख दूर करना ,
संकट में हम सबकी रक्षा करना !

ज्ञानी दानी तू है सिद्धिदाता,
सबके लिए तू प्यार बरसाता !

हाथ में लिए लड्डू प्रभु गजानन,
सब भक्तों को मिले तेरा दर्शन !

हर गुण से पूर्ण है शिव गौरी नंदन,
तुझको भाये कुमकुम केसर चन्दन !

मोतियों का माला चमके तेरे गले पर,
खुशियाँ लहराए सबके द्वार पर !

जय श्री गजराज विद्या सुख दाता,
गणपति बप्पा तू है विघ्न हरता !

तेरे दर्शन से मिले जीवन में सफलता,
झुकाके सिर तेरे पद में मिले प्रसन्नता !

Sunday, September 5, 2010



शिक्षक दिवस

आपके आशीष, तालीम और ज्ञान से,
आपके उपदेश, उसूल एवं व्याख्यान से,
मुझे मिली एक नयी परिधि, एक नयी दिशा !

डगमगाते कदम को आपने नेक राह और आधार दिया,
संकीर्द, संकुचित बुद्धि को अनंत सा विस्तार दिया,
निस्वार्थ और निर्लोभ होकर आगे चलना सिखाया !

काम निष्ठापूर्वक करने पर आपने हमेशा सराहा,
कभी सदाचार से कभी दुलार से उत्साह बढ़ाया,
उद्दण्ता को दंड देकर विकसित किया और आयाम दिया !

हर विद्यार्थी हो जीवन में
सफल, आपने हमेशा चाहा,
गुरुवर मेरे सिर पुनः आशिषमय कर दीजिये,
"उर्मी" हर बुलंदियों को छुए आप आशीर्वाद दीजिये !

Wednesday, September 1, 2010


जन्माष्टमी

चन्दन की खुशबू, फूलों का हार,
दही की हांडी, बारीश की फुहार,
माखन चुराने आया नंदलाल,
यशोमती मैया का नंदगोपाल !


राधा की भक्ति, मुरली की मिठास,
माखन का स्वाद और गोपियों का रास,
इन्ही सबसे मिलकर बनता है,
जन्माष्टमी का ये दिन ख़ास !

मुरली मनोहर, ब्रिज के धरोहर,
मुरली की मधुर आवाज़, झूम उठे ये बहार,
कृष्ण जिनका नाम, गोकुल जिनका धाम,
श्री कृष्ण भगवान को हम सबका प्रणाम !