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Saturday, December 25, 2010

Sunday, December 12, 2010


क़ाश

क़ाश ये दिल यूँ उदास होता,
तुमसे मिलकर यादों में खोया होता,
दिल में इतना हमारे प्यार होता,
तुम्हारे लिए मन बेक़रार होता !


तुम्हें जाने का कोई गम नहीं है,
प्यार दिया तुमने जितना वो कम नहीं है,
जाने आँखें क्यूँ नम है मेरी,
रोकना चाहूँ खुदको पर रूकती ही नहीं !


चेहरा तुम्हारा रहता हैं आँखों में हरदम,
नाम लबों पर और कहती है धड़कन,
तुम्हारा हमारा ये कैसा है बंधन,
अजनबी होकर क्यूँ लगते हो मेरे हमदम !


मिल कर भी तुमसे मिल चुकी हूँ,
लगता है जैसे बरसों से तुम्हें जानती हूँ,
सबके साथ रहकर मैं
तन्हा महसूस करती,
अपने मन की बात किसीसे कह नहीं पाती !


Wednesday, December 1, 2010


तन्हाई

हमसे यूँ मिला करो तन्हाई,
शायद किस्मत में लिखी है जुदाई !

तन्हा बैठे बातें करती हूँ,
तन्हा हूँ मगर साथ है तन्हाई !

हर पल रहती हूँ साथ उसके,
के कभी अपनी सी लगती है तन्हाई !

वक़्त गुज़रने का एहसास नहीं होता,
बातें करते करते सुला देती है तन्हाई !

हँसती रहती हूँ साथ उसके,
के हँसती है तन्हा देखकर मेरी तन्हाई !

कुछ कहती नहीं मेरे बारे में,
बिना कुछ कहे कह जाती है मेरी तन्हाई !

Tuesday, November 23, 2010


अधूरी सी बात

कुछ कहना तो चाह रहे हैं,
पर कह नहीं पा रहे हैं,
न जाने क्यूँ लव्ज़ जुबां पे आकर,
यूँ ठहर जा रहे हैं !

ख्याल भी मुझसे दूर जाकर,
जाने किस ओर जा रहा है,
अंजाम न पाकर,
लौट कर आ रहा है !

कोई गूँज किसी ओर से,
इधर आ रही है,
मेरी ख़ामोशी से टकराकर,
बिखर जा रही है !

क्या पागल है ये मन ?
इस तरह बहका जा रहा है,
रो रही है आँखें,
और ये हँसना चाह रहा है !

कोई ख़ुशबू तो है यहाँ,
जो माहौल को महका रही है,
अपने ही आहोश में,
मुझे डूबोए जा रही है !

मैं क्या सोच रही थी,
और कहाँ जा रही थी ?
हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को,
पकड़ना चाह रही थी !

Saturday, November 6, 2010


दिवाली

मुस्कुराते हँसते दीप जलाये,
जीवन में नयी खुशियाँ लेकर आये,
दुःख दर्द भूलकर गले लगाये,
मिलजुलकर सब दिवाली मनाये !

सुख सम्पदा सबके जीवन में आये,
सुन्दर दीपों से आँगन जगमगाये,
चारों तरफ़ रोशनी ही रोशनी छाये,
पटाखों की बौछार से जग झिलमिलाये !

रंग बिखर रही फुलझरियां,
टीम टीम दीपों की लड़ियाँ,
दमक रही घर द्वारों पर,
दीपों का ये त्यौहार है अनूठा !

बम फटे और चले पटाखें,
रोशनी से मूंद मूंद गयी सबकी आँखें,
घर घर में छायी खुशहाली,
देखो मुस्काती आयी दिवाली !

Tuesday, October 19, 2010


मौसम

बारिश का ये मौसम,
कुछ याद दिलाता है !
किसीके साथ होने का,
एहसास दिलाता है !

फिज़ा भी सर्द है,
यादें भी ताज़ा है !
ये मौसम किसीका प्यार,
दिल में जगाता है !

भीगी हुई रातें,
ख़ामोश सी बातें,
ऐसे में कुछ कहूँ तो,
हर लफ्ज़ मरहम हो जाता है !

बरसात की है बूँदें,
बूँदों में है ख़ुशबू,
ये लम्हा दिल का एहसास छू जाता है !

अब कह दो तुम अपने दिल की बात,
ये मौसम पल भर में बीत जाता है !

Monday, October 11, 2010



तलाश

निकले थे कुछ दूर हम,
आज़ाद पंछी की तरह,
मिल जाए कहीं हमें वो जगह,
खुला आकाश, अपनी ज़मीन,
पंख फैलाये, हम थे लीन !
जग अपना, खुशियाँ अपनी,
लगा जैसे, कहीं वो तो नहीं,
आज उड़ने का मन था,
कहना कुछ भी कम था,
पर पल हर पल एक आस है,
आज भी हमें तलाश है !

Tuesday, October 5, 2010


दर्द--दिल

शाम होते ही चिरागों को बुझा दिया,
तेरी याद में अपने दिल को जला दिया !

क्या करें शायद अपनी राहें जुदा हैं,
वफ़ा बस नाम की है, बेवफ़ाई का फ़साना है !

मोहब्बत किया और उसे पहचाना हमने,
दिल की बेचैन उमंगों को मिटा दिया तुमने !

रात के जलते दिये दिन में बुझ गए,
तेरे प्यार की हर वो यादें मिट गए !

जाने क्या क्या वादा किया था तुमने,
पलभर का तेरा साथ भी पाया हमने !

आसमां पर लिखकर जाऊँ है प्यार तुझसे,
इस दिल में तेरे प्यार का चिराग जलता रहे !

Monday, September 27, 2010


एहसास

मेरा जीवन था बिखरा बिखरा,
बह निकला एक दरिया सा,
दिल में तुमने मुझे बसाया,
साथ हर मुश्किल में मेरा दिया !

एहसास हो तुम मेरे मन का,
धड़कन हो मेरी ज़िन्दगी का,
तुम सागर हो तुम साहिल भी,
तुम रास्ता भी और मंज़िल भी !

किस्मत से हम एक दूजे से मिले,
चलता रहे यूँ प्यार के सिलसिले,
जो दिल कहता वो तुम सुन लो,
तुम मेरे हो तुम मेरे हो !

ये जनम जनम के रिश्ते हैं,
सम्बन्ध प्यार से बनते हैं,
तुम्हारे बाहों में हमेशा रहूँ,
इस एहसास को जीवन भर पा सकूँ !

Thursday, September 23, 2010


सदा की साथी

माँ पिताजी की आँखों में आँसू आए,
हर कदम पर हम उनका साथ निभाए,
बाधा-विपत्ति मुश्क़िलों में मुँह मोड़े,
छोटी सी हर ख़ुशी उनके साथ बांटे !

ज़रूरी नहीं माँ पिताजी को सोना चांदी दे,
पर उनका जिगर जले ये कतई होने दे,
उनके प्यार और ममता को पूजे सदा,
माँ पिताजी से बढ़कर है कोई दूजा !

घर का नाम रखे मातृछाया या पितृछाया,
पर अपने माँ पिताजी का पड़ने दे परछाईयाँ,
क्यूँ रखें हम दिखाने के लिए ऐसा नाम,
सुख शान्ति रहे ऐसे घर का क्या काम !

माँ पिताजी की आँखें होने देंगे नम,
चाहे उनसे दूर जाएँ पर मुस्कुरायेंगे हम,
माँ पिताजी चाहे हमें कितना ही डांटे,
पर उनकी इज्ज़त करना कभी भूलें !

माँ पिताजी ने हमें बोलना सिखाया,
उँगलियाँ पकड़कर हमें चलना सिखाया,
जीवन के अँधेरे पथ पर रौशनी बनकर रहे,
आज उन्हीं की बदौलत इस मुकाम पर पहुँचे !

चाहे हम कितना ही धन दौलत कमाए,
पर माँ पिताजी के आशीर्वाद बिना अधूरा रह जाए,
उनके वजह से हमें अच्छी ज़िन्दगी मिली,
याद रखें सदा माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं !

Saturday, September 18, 2010


वादियाँ

ऊँचे ऊँचे पहाड़ों से बहता पानी राग अलापता है,
सावन का सरगम मन को उत्साह से भरता है,
कभी मन करता है रुक जाऊँ और इनमें खो जाऊँ,
कभी दिल करता है दौड़ पडूँ पहाड़ की उंचाई पर !

दिल करता है बड़े छोटे पेड़ों से बात करती ही रहूँ,
इन ख़ूबसूरत वादियों का भरपूर आनंद लेती रहूँ,
घने काले बादल फैले हुए हैं मानो चादर की तरह,
जी करे बादलों को पकड़कर दूर कहीं उड़ जाऊँ !

कभी मन चाहे भीग जाऊँ पूरी तरह बारिश में,
कभी लगे इन खुली वादियों में झूमती रहूँ,
सच में ये सावन
आह्लादित करता है,
गाँव की खुशबू एक अजीब सुकून देती है !

गोबर की भीनी सी महक हवा में जादू घोलती है,
मानो किसी मेहबूब की यादें लेकर चली रही है,
यूँ तो कभी मिलता नहीं आसमाँ अपनी ज़मीं से,
क्यूँकि जीवन खिलता है इस कमी से !

Tuesday, September 14, 2010


हिन्दी दिवस

हम हिन्दी दिवस गर्व और उलास के साथ मनाते हैं,
हिन्दी में कार्य करने का संकल्प दोहराते हैं !

शान से हम सब हिन्दी प्रेमी कहलाते हैं,
सच्चे मन से हर देशवासी हिन्दी भाषा को पूजते हैं !

हिन्दी में हर काम करने में गर्व महसूस करते हैं,
हिन्दी में निरंतर अभ्यास जारी रखते हैं !

हर कठिनाइयों को दूर करने की ठान लेते हैं,
हिन्दी भाषा में ज्ञान प्राप्त करने की सोचते हैं !

विदेशी हमारी हिन्दी भाषा सिखने में उत्सुक रखते हैं,
हम अपनी हिन्दी भाषा पर फक्र महसूस करते हैं !

आओ हम सब मिलकर हिन्दी दिवस की सम्मान करें,
हिन्दी भाषा के प्रति प्यार हर देशवासी के दिल में रहे !

लाखों लोग हुए हमारे देश के लिए कुर्बान,
अपने देश और भाषा को होने देंगे बदनाम !

अपने देश के प्रति प्यार और भावना सदा बढ़ाएं,
सब मिलकर हिन्दी दिवस का सम्मानित करें !

Saturday, September 11, 2010


गणेश चतुर्थी

गणेश तेरा रूप है निराला,
कोटि सूर्य का है तुझमें उजाला !

सिंदुर लाल चढ़ाये अपने मन का,
सुन्दर लाल विराजे सुत गौरी-शिव का !

हे गणपति तू सबके दुःख दूर करना ,
संकट में हम सबकी रक्षा करना !

ज्ञानी दानी तू है सिद्धिदाता,
सबके लिए तू प्यार बरसाता !

हाथ में लिए लड्डू प्रभु गजानन,
सब भक्तों को मिले तेरा दर्शन !

हर गुण से पूर्ण है शिव गौरी नंदन,
तुझको भाये कुमकुम केसर चन्दन !

मोतियों का माला चमके तेरे गले पर,
खुशियाँ लहराए सबके द्वार पर !

जय श्री गजराज विद्या सुख दाता,
गणपति बप्पा तू है विघ्न हरता !

तेरे दर्शन से मिले जीवन में सफलता,
झुकाके सिर तेरे पद में मिले प्रसन्नता !

Sunday, September 5, 2010



शिक्षक दिवस

आपके आशीष, तालीम और ज्ञान से,
आपके उपदेश, उसूल एवं व्याख्यान से,
मुझे मिली एक नयी परिधि, एक नयी दिशा !

डगमगाते कदम को आपने नेक राह और आधार दिया,
संकीर्द, संकुचित बुद्धि को अनंत सा विस्तार दिया,
निस्वार्थ और निर्लोभ होकर आगे चलना सिखाया !

काम निष्ठापूर्वक करने पर आपने हमेशा सराहा,
कभी सदाचार से कभी दुलार से उत्साह बढ़ाया,
उद्दण्ता को दंड देकर विकसित किया और आयाम दिया !

हर विद्यार्थी हो जीवन में
सफल, आपने हमेशा चाहा,
गुरुवर मेरे सिर पुनः आशिषमय कर दीजिये,
"उर्मी" हर बुलंदियों को छुए आप आशीर्वाद दीजिये !

Wednesday, September 1, 2010


जन्माष्टमी

चन्दन की खुशबू, फूलों का हार,
दही की हांडी, बारीश की फुहार,
माखन चुराने आया नंदलाल,
यशोमती मैया का नंदगोपाल !


राधा की भक्ति, मुरली की मिठास,
माखन का स्वाद और गोपियों का रास,
इन्ही सबसे मिलकर बनता है,
जन्माष्टमी का ये दिन ख़ास !

मुरली मनोहर, ब्रिज के धरोहर,
मुरली की मधुर आवाज़, झूम उठे ये बहार,
कृष्ण जिनका नाम, गोकुल जिनका धाम,
श्री कृष्ण भगवान को हम सबका प्रणाम !

Saturday, August 28, 2010


अत्याचार पर आवाज़

वर्षों पहले हुआ,
देश स्वतंत्र हमारा !

महिलाओं पर
अत्याचार बदस्तूर
जारी है!


नारी नहीं है अबला,
हर मुश्क़िलों का करती
डटकर मुकाबला !


अब
महिलायें
कठपुतलियों की तरह
नहीं नाचेगी !
दहेज देने पर
अत्याचार भी नहीं सहेगी !

मत समझो दयनीय,
चैन से, सुखपूर्वक,
जीने
दो हमें,
अपना संसार बसाये !


अब
रोज़-रोज़
महिलाओं पर उत्पीड़न
नहीं होगा नहीं होगा !

Monday, August 23, 2010



रक्षाबंधन

राखी एक पवित्र बंधन है,
बहन के लिए ये ख़ास दिन है !

हर धागे में है भरपूर प्यार,
भैया तुम्हीं हो जिससे खिलता है संसार !

स्नेह ममता से भरा है प्यार तुम्हारा,
भैया तुम्हीं हो मेरे जीने का सहारा !

बचपन की वो मीठी यादें,
लड़ते झगड़ते फिर गले मिलते !

भैया तेरा साया रहे मुझ पर सदा,
इश्वर से करती हूँ ये दुआ हमेशा !

हम भले ही दूर रहें तुमसे कितना,
पर हमारा प्यार कभी भूलना !

कामयाबी तुम्हारे कदम चूमे,
तुम्हें ज़िन्दगी में सारी खुशियाँ मिले !

भाई बहन का प्यार यूँ ही बरक़रार रहे,
हर साल ये प्यार यूँ बढ़ता ही चले !


Friday, August 20, 2010


खाली सा कुछ

यूँ तो गुज़र रहा है हर एक पल ख़ुशी के साथ,
फिर भी कोई कमी सी है क्यूँ ज़िन्दगी के साथ !

हर लम्हा है हसीन, नयी दिलकशी के साथ,
फिर भी कोई कमी सी है क्यूँ ज़िन्दगी के साथ !

रिश्ते वफ़ायें चाहत सब कुछ है साथ,

फिर भी कोई कमी सी है क्यूँ ज़िन्दगी के साथ !

आँखों में है ख़्वाब, लबों पे हँसी है साथ,
फिर भी कोई कमी सी है क्यूँ ज़िन्दगी के साथ !

दिल को नहीं है कोई शिकायत किसी के साथ,
फिर भी कोई कमी सी है क्यूँ ज़िन्दगी के साथ !

कुदरत भी मेहरबान है दरियादिली के साथ,
फिर भी कोई कमी सी है क्यूँ ज़िन्दगी के साथ !

Sunday, August 15, 2010


स्वतंत्रता दिवस

हम जिस माता की है संतान,
भारत माता तुझे प्रणाम,
अपनेपन के साथ सदा रहेंगे,
मिलकर सुख-दुःख साथ सहेंगे !

हम
मिलकर देश की रक्षा करेंगे,
कर्त्तव्य से कभी मुँह मोड़ेंगे,
एक सुर में फिर हम सब बाधेंगे,
माँ तेरी ममता पर नतमस्तक रहेंगे !

हम सब मिलकर देश को बचायेंगे,
देश को प्रगति की ओढ़ बढ़ायेंगे,
उन शहीदों की क़ुरबानी को नहीं भूलेंगे,
माँ की बलिवेदी पर अर्पण प्राण करेंगे !

मेरा, तेरा, इसका, उसका,
ये वतन है हम सबका,
अपने देश की करेंगे हिफाज़त,
मिटा देंगे हम एक दूजे से नफ़रत !



Tuesday, August 10, 2010


घर

प्यार से खुशियों से भरा रहे मेरा घर,
दूर कहीं भी जाए पर याद आए अपना घर !

बीते हुए सुनहरे पलों को रखते हैं समेटकर,
अपना घर से न प्यारा होता है कोई घर !

सबके साथ लगाव और अपनापन से भरा,
गुलदान में फूलों जैसा है घर खुशबू से भरा !

आँखें नम हो जाती है बीती बातों को सोचकर,
भले ही भूलें हम खुदको पर न भूले अपना घर !

चाहे घर से कितने ही दूर क्यूँ न चले जाए,
पर हमें अपना घर हर लम्हा याद आए !





Friday, August 6, 2010


मेरे प्यारे पापा

याद आए पापा परदेस में रहकर,
आँखें नम हो जाती है बारम्बार !


आज है जन्मदिन मेरे प्यारे पापा का,
अपनी बिटिया को मिले प्यार आपका !


सोच रही हूँ बचपन के दिनों को,
थामा करती थी आपकी मजबूत कलाई को !


भाई के साथ लड़ना माँ से डांट खाना,
नन्हे नन्हे क़दमों से आपके पास जाना !

सदा खुशहाल सही सलामत रहे आप,
आपकी प्यारी बिटिया है सदा आपके पास !

पापा मैं करती हूँ आपसे बहुत प्यार,
आपसे मिलने के लिए करती हूँ इंतज़ार !