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Monday, September 28, 2009



ज़िन्दगी


जो चाहत थी ज़िन्दगी में,
जिसे ख़्वाब में देखा था मैंने,
उसे जब पाया मैंने हकीक़त में,
तो ज़िन्दगी क्या है उसे महसूस किया मैंने !

ज़िन्दगी की हर ख्वाइश को पूरा किया उसने,
हर लम्हे को फूलों की तरह ख़ूबसूरत बनाया उसने,
मेरे हर दुःख को उसने अपना समझा,
हर मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया उसने !

मेरे दिल की हर बात को उसने अपना समझा,
मैंने ख़ुद को दुनिया का सबसे ज़्यादा खुशनसीब समझा,
सारी दुनिया से बेखबर हो गई थी मैं,
उसके बेपनहा मोहब्बत में इस कदर खो गई मैं !




Tuesday, September 22, 2009



प्यारी सी पंछी

खड़ी थी अपने घर के आंगन में,
नीले नीले आसमान को देखते हुए,
चारों तरफ़ हरियाली छाई हुई थी,
मन मेरा खुशी से झुमने लगा था !


मैं देख रही थी सुंदर पंछियों को,
तभी आकर मेरे सामने बैठा एक मीठा सा पंछी,
मैं उसकी ओर देखती रही और वो मुझे भी,
पल भर में लगा की उसने बहुत कुछ कह दिया!


मैं अपने अकेलेपन को दूर करने चली थी,
अब उस पंछी से मेरी दोस्ती हो गई,
सोचा था कभी ऐसा दोस्त मिलेगा,
उस छोटे से नन्हे पंछी से मुझे तमाम खुशियाँ मिल गई !


Thursday, September 17, 2009




सफर
मीलों दूर तक जाना है,
एक नया जहाँ बनाना है,
झुकना मना है, थकना मना है,
मंजिल से पहले रुकना मना है !

पता है मुश्किलें तो आयेंगी,
मुझको, मेरे हौसले को आज़मायेंगी,
पर मैं न डरूंगी, मैं न मरूंगी,
सीने में सैलाब लिए,
मुश्किलों पर ही टूट पडूँगी !

इन मुश्किल हालातों में,
अचानक मेरे ख्यालों में,
किसीकी मुस्कान याद आती है,
उसकी प्यारी बातें दिल के तार छेड़ जाती है,
कोई था, जो मुझे अकेला छोड़ गया,
सारे रिश्ते, सारे बंधन,
एक पल में ही तोड़ गया !

जब आँखें भर आती है,
और यादें तडपाती है,
उसकी आवाज़ कहीं से आती है,
हौसला ना हार,
कर सामना तूफ़ान का,
तू ही तो रंग बदलेगा आसमान का !

करता जा अपनी मंजिल की तलाश;
तेरे साथ चलेंगे ये दिन ये रात;
चलेगी ये धरती, ये सकल आकाश !

काटों को फूल समझता चल;
बाधा को धूल समझता चल;
पर्वत हिल जाए, ऐसा चल;
धरती फट जाए ऐसा चल;
चल ऐसे की, तूफ़ान भी शरमाये
तेज़ तेरा देखकर,
ज्वालामुखी भी ठण्ड पर जाए !

Thursday, September 10, 2009


तूफ़ान

हम भी थे इश्क की भीड़ में खोये हुए कभी,
आज हमनें तन्हाई में जीना सीख लिया है !


किसी भी राह पर चलने से अभी कतराते नहीं,
तूफानों से हंसके गुज़रना हमनें सीख लिया है !

लफ़्जों का इस्तेमाल करना छोड़ दिया हमनें,
आंखों से दर्द बयान करना सीख लिया है !

वफ़ा का ज़िक्र करना छोड़ दिया हमनें,
तुमनें की जो बेवफ़ाई उसी राह पर चलना सीख लिया है !

रास आया तुम्हें हमारा खुशी से जीना,
इसलिए घुट घुट कर मरना हमनें सीख लिया है !

Sunday, September 6, 2009



इंतज़ार

खामोश से रहने लगे हैं हम,
इंतज़ार किसीका करने लगे हैं हम !

यकीनन किसीसे हुई है मोहब्बत,
बिना बात ही मुस्कुराने लगे हैं हम !

दिल पूछता है बस ये एक सवाल के,
कोई हमारा या किसीके होने लगे हैं हम !

डर है किसीके खो जाने का,
जाने कैसा ख्वाब बुनने लगे हैं हम !

अब तो हर चीज़ से हो जाता है प्यार,
दूसरो को भी प्यार सिखाने लगे हैं हम !

ये कलम भी प्यार की हो गई दीवानी,
बस प्यार ही प्यार लिखने लगे हैं हम !!