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Friday, September 23, 2011

ख़ाक होने से पहले

रूठे हो मुझसे, बात भले करना तुम,
सिर्फ़ एक बार सीने से लगालो तुम !


ख़ाक होने से पहले जो पुकारूँ नाम,
सुनके मुझे पास में बुलालो तुम !

वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों,
बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम !

तन्हाई का शिकार हूँ मैं, जानते हो तुम,
तन्हा करो और मुझे संभालो तुम !

दूर रहकर भी तुम अपने-से लगते हो,
पास आकर अजनबी बनालो तुम !

सहारा नहीं माँगा है तुमसे मगर,
मझधार से अब तो निकालो तुम !


Friday, September 2, 2011

ख़्वाबों में मत तराश

उदास रात की कोई सुबह हसीन नहीं होती,
ख़ुशी के एक लम्हें के लिए तरस जाती !

आसमाँ है मेरा, ज़मीन ही है मेरी,
जिसे माना अपना, बेगाना-सा लगे वहीँ !

मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती,
मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं !

मुझे तू ख़्वाबों में मत तराश अभी,
उड़ती तितली की तरह मैं रंगीन नहीं !

छुप जाते हैं बादल में कभी चाँद तारे,
गुमसुम रहकर देखती हूँ वो सब नज़ारे !

भुला दिया उसने प्यार करके मुझे,
मिलने पर वो पहचाने, मुझे ये यकीन नहीं !

टूटे हुए कांच की तरह बिखर गई मैं तो,
मिले अब पनाह तक, ये सोचकर रोयी !

बुझ गया ये "दीप", सुबह के सितारे के लिए,
खुश हूँ मिटकर भी, मैं ज़रा गमगीन नहीं !